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कमजोर मांग ने कृषि क्षेत्र की बड़ी कंपनियों पर डाला बुरा असर, उम्‍मीद से कम हुआ फायदा

कमजोर मांग ने कृषि क्षेत्र की बड़ी कंपनियों पर डाला बुरा असर, उम्‍मीद से कम हुआ फायदा

  दिसंबर 2023 तिमाही कृषि-रसायन कंपनियों के लिए मिलीजुली रही. इनमें से कई कंपनियां तो ऐसी रहीं जिनमें कमजोर और अनियमित मानसून और रबी सीजन के लिए जरूरी मिट्टी की नमी न होने की वजह से गिरावट तक देखी गई है. साथ ही, जेनेरिक उत्पादों की कीमतों में गिरावट के रुख से कुछ कंपनियों के प्रदर्शन पर असर पड़ा. 

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कमजोर मांग से हुआ कंपनियों को घाटा कमजोर मांग से हुआ कंपनियों को घाटा

दिसंबर 2023 तिमाही कृषि-रसायन कंपनियों के लिए मिलीजुली रही. इनमें से कई कंपनियां तो ऐसी रहीं जिनमें कमजोर और अनियमित मानसून और रबी सीजन के लिए जरूरी मिट्टी की नमी न होने की वजह से गिरावट तक देखी गई है. साथ ही, जेनेरिक उत्पादों की कीमतों में गिरावट के रुख से कुछ कंपनियों के प्रदर्शन पर असर पड़ा.  एक रिपोर्ट के मुातबिक जहां कमजोर मांग ने बायर क्रॉपसाइंस और यूपीएल जैसी बड़ी कंपनियों की बिक्री की मात्रा और उसके फायदे पर असर डाला तो वहीं धानुका एग्रीटेक और इंसेक्टिसाइड्स (इंडिया) जैसी छोटी कंपनियों में मामूली वृद्धि देखी गई. 

फायदे में दर्ज हुई गिरावट 

बायर क्रॉपसाइंस ने दिसंबर तिमाही में शुद्ध लाभ में 31 प्रतिशत की गिरावट के साथ 93.1 करोड़ रुपए की गिरावट दर्ज की. यह आंकड़ा एक साल पहले की समान अवधि 134.5 करोड़ रुपए की तुलना में ज्‍यादा है. इसका राजस्व आठ प्रतिशत घटकर 954.9 करोड़ रुपए रहा. पिछले हफ्ते एक बयान में, बीसीएसएल के प्रबंध निदेशक और सीईओ साइमन विबुश ने कहा, 'अनियमित मानसून के कारण जलाशयों का स्तर कम हो गया. इसका नतीजा रहा कि फसल में बदलाव और छूटे हुए स्प्रे का कम मात्रा और बिक्री रिटर्न के कारण हमारे तिमाही बिक्री प्रदर्शन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा.' 

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पिछले साल हुआ था फायदा 

यूपीएल के राजस्व में 28 प्रतिशत की गिरावट देखी गई, जो  9887 करोड़ रुपए रही. तिमाही के दौरान उसे 1,217 करोड़ रुपए का शुद्ध घाटा हुआ. यूपीएल कॉर्प का कहना है कि स्टॉकिंग से वैश्विक कृषि रसायन बाजार पर दबाव जारी रहा. कुल मिलाकर, फसल सुरक्षा व्यवसाय में कीमतें तिमाही-दर-तिमाही स्थिर रहीं, लेकिन पेटेंट के बाद की तीव्र मूल्य प्रतिस्पर्धा के बीच पिछले वर्ष के उच्च आधार की तुलना में इसमें काफी गिरावट आई. इसे तिमाही प्रदर्शन पर बाकी उद्योग की तरह ही इन विपरीत स्थितियों का काफी असर पड़ा. यह वर्तमान में दशक में सबसे खराब मंदी का अनुभव कर रहा है. 

31 फीसदी तक का नुकसान 

भारत में यूपीएल कॉर्प की मात्रा में  21 फीसदी और कीमतों में 13 प्रतिशत की गिरावट देखी गई.  इसके अलावा, कंपनी को उत्तर भारत में कम कपास रकबे वाली कपास जैसी प्रमुख फसलों और दालों में उच्च बिक्री रिटर्न का सामना करना पड़ा. तेलंगाना और कर्नाटक में खराब रबी सीजन ने भी प्रदर्शन को प्रभावित किया. शुष्क खरीफ और रबी सीजन, ऊंचे चैनल स्टॉक, बढ़ती प्रतिस्पर्धा और उच्च बिक्री रिटर्न के कारण कंपनी ने अपने प्रमुख उत्पाद ग्लूफोसिनेट की पिछले वर्ष की तुलना में कम मांग देखी. 

कायम हैं कईं चुनौतियां 

दिसंबर तिमाही में रैलिस इंडिया का राजस्व पांच फीसदी घटकर 598 करोड़ रुपए रह गया, जबकि इसके मुनाफे में मामूली वृद्धि देखी गई और यह 24 करोड़ रुपए दर्ज हुआ.  रैलिस इंडिया की तरफ से कहा गया है कि घरेलू कारोबार ने चुनौतीपूर्ण बाहरी परिस्थितियों के बावजूद कंपनी ने अपनी गति बनाए रखी और सात फीसदी की मात्रा में वृद्धि दर्ज की. हालांकि, कीमतों में भारी गिरावट और उद्योग स्तर पर जारी इन्वेंट्री ओवरहैंग के कारण कमजोर मांग के कारण निर्यात के मोर्चे पर चुनौतियां जारी रहीं. 

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