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Sugarcane insect: गन्ने के इन हानिकारक कीटों की अनदेखी ना करें, जानिए पहचान और नियंत्रण का तरीका

Sugarcane insect: गन्ने के इन हानिकारक कीटों की अनदेखी ना करें, जानिए पहचान और नियंत्रण का तरीका

गन्ने की फसल के हानिकारक कीटों की अनदेखी नहीं करना चाहिए, क्योंकि इनका असर फसल पर भारी पड़ सकता है. गन्ने में लगने वाले हानिकारक कीट जैसे कि गन्ने का चोटी बेधक कीट, अगेती तना बेधक और गन्ने का जड़ छेदक, फसल पर बेहद नुकसान पहुंचा सकते हैं. इससे गन्ने की उपज में गिरावट आ जाती है.

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गन्ने के हानिकारक कीट गन्ने के हानिकारक कीट

गन्ने के हानिकारक कीटों से होने वाले नुकसान के कारण गन्ने की उपज लगभग 20 फीसदी और चीनी की रिकवरी 15 फीसदी तक कम हो सकती है. गन्ने में लगने वाले हानिकारक कीट जैसे कि गन्ने का चोटी बेधक कीट, अगेती तना बेधक, और गन्ने का जड़ छेदक, फसल पर बेहद नुकसान पहुंचा सकते हैं. उत्तर भारत में शीतकालीन और बंसतकालीन गन्ने की फसल अभी मई महीने में बढ़वार की अवस्था पर है और इस विकास के चरण में गन्ने पर कीटों का प्रकोप बढ़ सकता है.

गन्ने का चोटी बेधक कीट से ज्यादा नुकसान

कृषि विज्ञान केंद्र गौतम बुद्ध नगर, डॉ मयंक कुमार राय ने बताया कि गन्ने के चोटी बेधक कीट को टॉप बोरर कहते हैं. उत्तर भारत में गन्ने में ज्यादा प्रकोप होता है. इस कीट की साल में 5 पीढ़ियां गन्ने की फसल पर जीवन निकाल लेती हैं. इसका वयस्क कीट चांदी के समान सफेद होता है. इसकी सुंडी गन्ने के विकसित हो रही पत्तियों को खाती और काटती है, जिससे उपरी पत्तियां सूख जाती हैं. इसके नुकसान के कारण कई बार गन्ने का पौधा झाड़ू जैसा दिखने लगता है. 

कैसे करें इस हानिकारक कीट का रोकथाम ? 

पौध सुरक्षा विशेषज्ञ डॉ राय के अनुसार, अगर इस कीट का प्रकोप हो रहा है तो मार्च से जून के महीने में इसके अंडे समूह में दिखाई देते हैं. अगर ऐसा दिखे तो निकाल कर नष्ट कर दें. ग्रसित कल्लों को एक इंच जमीन से काटकर निकाल दें. वयस्क कीड़ों को पकड़ने के लिए फेरोमेन ट्रैप या लाइट ट्रैप का प्रयोग करें. यूरिया का संतुलित प्रयोग करें. अधिक यूरिया के प्रयोग से बचें. जैविक नियंत्रण के लिए ट्राईकोग्रामा जैपनिकम का इस्तेमाल एक एकड़ खेत में करें.

चोटी बेधक कीट से गन्ने की क्षति . फोटो सौजन्य TANU
चोटी बेधक कीट से गन्ने की क्षति. फोटो सौजन्य TANU

इन केमिकल दवाओं का करें इस्तेमाल

डॉ मंयक कुमार राय ने बताया कि कीट के रासायनिक नियंत्रण के लिए इस समय क्लोरेंट्रानिलिप्रोल 18.5 एसी 150 एम.एल दवा को 400 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ के हिसाब से गन्ने की जड़ों के पास डालना चाहिए. इस कीट की तीसरी पीढ़ी के रोकथाम के लिए जून के अंतिम और जुलाई के प्रथम सप्ताह में कार्बोफ्यूरान 3-जी 12-14 किलोग्राम दाने प्रति एकड़ की दर से पौधों की जड़ों के पास की मिट्टी में डालें. इस बात का ध्यान रखें कि उपयोग के समय पर्याप्त नमी होनी चाहिए. अगर नमी न हो तो कीटनाशक डालने के बाद हल्की सिंचाई करें. इस समय क्लोरेंट्रानिलिप्रोल 18.5 एस.एल यानी कोराजेन 150 एम.एल दवा को 400 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ के हिसाब से भी उपयोग कर सकते हैं.

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अप्रैल से जून तक तना छेदक का ज्यादा प्रकोप 

पौध विशेषज्ञ डॉ राय ने बताया कि गन्ने में अगेती तना छेदक कीट का प्रकोप फरवरी से मार्च तक बोई जाने वाली फसलों में अप्रैल-जून और सितंबर-अक्टूबर में दिखाई देता है. इसके वयस्क कीट भूरे रंग के होते हैं. इस कीट से निकले लार्वा का सिर और शरीर काला होता है. इस कीट का लार्वा पहले गन्ने की पत्ती के आवरण के मुलायम भागों को खुरचता है और बाद में तने में घुसकर विकास कर रहे उपरी तने को काट देता है, जिससे गन्ने की पौध सूख जाती है.

तना छेदक से गन्ने की फसल को ऐसे बचाएं

पौध विशेषज्ञ के अनुसार इस कीट को रोकने के लिए खेत में जगह-जगह सूखी पत्तियों के ढेर बना दें. बाद में उन सूखी पत्तियों के ढेर को आग लगा दें, जिससे कि इसके वयस्क कीट नष्ट हो जाएं. वयस्क कीड़ों को पकड़ने के लिए फेरोमेन ट्रैप या लाइट ट्रैप का प्रयोग करें. जैविक नियंत्रण के लिए ट्राइकोग्रामा का प्रयोग करें. अगर रासायनिक नियंत्रण करना है तो प्रति एकड़ के हिसाब से क्लोरेंट्रानिलिप्रोल 18.5 एसी 150 एम.एल दवा 400 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें.

गन्ने का जड़ छेदक कैसे पहचानें? 

जड़ छेदक कीट, यानी रूट बोरर गन्ने के भूमिगत जड़ वाले हिस्से को नुकसान पहुंचाता है. इस कीट के सिर का रंग भूरा होता है. सिर हल्का गुलाबी और शरीर भूरा होता है. इस कीट की सुंडी का रंग मक्खन की तरह सफेद होता है.

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इस कीट से बचने के उपाय 

पौध विशेषज्ञ डॉ मंयक कुमार राय ने सुझाव दिया कि इस कीट का प्रकोप जिन खेतों में हो रहा है, वहां गन्ने के खेत के चारों ओर 12 फुट चौड़ी पट्टी में अरहर की बुवाई से इस कीट का प्रकोप कम होता है. हमेशा गन्ने की कटाई ज़मीन की सतह से करें ताकि लार्वा की अधिकतम संख्या गन्ने में ही हो. बुवाई के समय क्लोरपायरीफॉस 20 ईओसी की 2 लीटर मात्रा को 650 लीटर पानी में घोलें और नाली में पड़े गन्ने के टुकड़ों पर छिड़काव कर मिट्टी से ढक दें. अगस्त के मध्य में इमिडाक्लोप्रिड 200 मिलीलीटर या क्लोरपाइरीफोस 20 ईसी 3 लीटर 400 लीटर पानी में घोलें.  इस घोल को प्रति एकड़ के हिसाब से गन्ने के पौधे का डेंचिंग करें.