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बैंगन को चौपट कर देता है माइकोप्लाज्मा से होने वाला यह रोग, बचाव का आसान उपाय जानिए

बैंगन को चौपट कर देता है माइकोप्लाज्मा से होने वाला यह रोग, बचाव का आसान उपाय जानिए

छोटी पत्ती रोग बैंगन का विनाशकारी रोग है जो माइकोप्लाज्मा के कारण होता है. इस रोग के प्रकोप से पत्तियां छोटी रह जाती हैं और तने पर गुच्छों के रूप में उगी हुई दिखाई देती हैं. रोगग्रस्त पौधा झाड़ी जैसा दिखता है और ऐसे पौधों में फल नहीं आते हैं.

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बैंगन के लिए बेहद खतरनाक है ये रोग बैंगन के लिए बेहद खतरनाक है ये रोग

भारत में ऊंचाई वाले क्षेत्रों को छोड़कर लगभग सभी क्षेत्रों में बैंगन की खेती एक प्रमुख सब्जी फसल के रूप में की जाती है. झारखण्ड राज्य में सब्जियों के कुल क्षेत्रफल के लगभग 10.1% भाग में इसकी खेती की जाती है. बैंगन की हरी पत्तियों में विटामिन सी पाया गया है. इसके बीज भूख बढ़ाने वाले और पत्ते अपच और कब्ज में लाभकारी होते हैं. इसकी खेती अच्छी जल निकासी वाली सभी प्रकार की मिट्टी में की जा सकती है. बैंगन की अच्छी पैदावार के लिए बलुई दोमट से लेकर भारी मिट्टी जिसमें पर्याप्त मात्रा में कार्बनिक पदार्थ हो उपयुक्त होती है. भूमि का पीएच मान 5.5-6.0 के बीच होना चाहिए और सिंचाई की उचित व्यवस्था करना आवश्यक है. वहीं कुछ रोग ऐसे हैं जो बैंगन की खेती को चौपट कर देते हैं. आइए जानते हैं इस रोग का नाम और इससे बचाव के उपाय.

बैंगन के लिए खतरनाक है छोटी पत्ती रोग

छोटी पत्ती रोग बैंगन का विनाशकारी रोग है जो माइको प्लाज्मा के कारण होता है. इस रोग के प्रकोप से पत्तियां छोटी रह जाती हैं और तने पर गुच्छों के रूप में उगी हुई दिखाई देती हैं. रोगग्रस्त पौधा झाड़ी जैसा दिखता है और ऐसे पौधों में फल नहीं आते हैं. इस रोग से बचाव के लिए रोगग्रस्त पौधों को उखाड़कर नष्ट कर देना चाहिए. यह रोग हरे तेले के माध्यम से फैलता है, अत: इसकी रोकथाम के लिए 0.5 मिली फॉस्फोमिडान 85 एसएल या 1 मिली डाइमेथोएट 30 ईसी प्रति लीटर का छिड़काव करें और आवश्यकतानुसार 15 दिन बाद यह छिड़काव दोहराएं. 

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इस रोग से बचाव का तरीका क्या है

  • बैंगन को इस रोग से बचाने के लिए ग्रीष्मकालीन जुताई करें, रोगग्रस्त पौधों या पत्तों को इकट्ठा कर नष्ट कर दें.
  • रोग प्रतिरोधी/सहनशील किस्में जैसे पूसा पर्पल क्लस्टर, पूसा पर्पल राउंड, पूसा पर्पल लॉन्ग, कैटरिन साल 212 1, साल 252-1-1, साल 252-2-1, पंत ऋतुराज, बी.बी.-7, एच. -8, बी. डब्लूआर-12 की बुवाई करें. 
  • रोपाई से पहले पौधों को टेट्रासाइक्लिन घोल (1 ग्राम/10 लीटर पानी) में आधे मिनट तक या कार्बोसल्फान 25% ईसी के 0.2% घोल में 20-25 मिनट तक उपचारित करके लगाएं.
  • रोग के लक्षण दिखाई देने पर रोगग्रस्त पौधों को उखाड़कर नष्ट कर दें. टेट्रासाइक्लिन आधा ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें. इस रोग को फैलने से रोकने के लिए इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एसएल 3 मिली/10 लीटर पानी की दर से या डिमेंथोएट 30 ईसी 1.5 मिली/लीटर पानी या मैलाथियान 50 ईसी 2 मिली/लीटर पानी की दर से छिड़काव करें.