भारत में रबी सीजन की फसलें किसानों के लिए मुख्य फसले मानी जाती हैं. रबी सीजन की प्रमुख फसलों में जौ (Barley) भी शामिल है. जौ में BH 946 किस्म किसानों की आमदनी बढ़ाने में अहम भूमिका निभा रही है, यही वजह है कि BH 946 किस्म किसानों के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रही है. जौ की यह किस्म रोग-रोधी तो है ही, साथ-साथ ये ज्यादा दाने और अधिक माल्ट उत्पादन के लिए जानी जाती है. कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि जौ की BH 946 से किसान एक एकड़ जमीन से 20 से 22 क्विंटल तक उपज प्राप्त कर सकते हैं, जो पारंपरिक जौ की किस्मों की तुलना में काफी ज्यादा है.
विशेषज्ञों की मानें तो BH 946 किस्म की सबसे बड़ी खासियत इसकी उपज क्षमता और प्रति स्पाइक दानों की संख्या है. यही कारण है कि बीयर और माल्ट उद्योग के लिए भी जौ की यह किस्म काफी उपयोगी साबित हो रही है. वहीं रोग-रोधी होने के कारण किसानों को फसल सुरक्षा पर खर्च भी ज्यादा नहीं करना पड़ता.
अगर आपको बारानी (बिना सिंचाई वाले) क्षेत्रों में ये जौ बोनी है तो मध्य अक्टूबर से शुरू हो जाती है, जबकि सिंचित क्षेत्रों में इसकी बुवाई के लिए 15 नवंबर से 30 नवंबर तक का समय सबसे उपयुक्त माना जाता है. इसके साथ ही इसके बीज की मात्रा क्षेत्र और बुवाई पद्धति के हिसाब से अलग रखनी होती है.
जौ BH 946 की खेती में सिंचाई का भी खास खयाल रखना जरूरी है. इसकी पहली सिंचाई बुवाई के 40 से 45 दिन बाद करनी चाहिए. इसकी दूसरी सिंचाई करीब 80 से 85 दिन बाद की करनी होगी. अगर समय पर सिंचाई करेंगे तो पौधों की ग्रोथ बेहतर होगी और उपज में भी बढ़ोतरी मिलेगी.
भारत में जौ की खेती मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश, बिहार, पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर जैसे राज्यों में की जाती है. इन इलाकों की जलवायु इस फसल के लिए अनुकूल है.
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