धान की खेती करने में आमतौर पर ऐसा माना जाता है कि फसल में ज्यादा पानी की जरूरत होती है. यानी सिंचाई की ज्यादा आवश्यकता होती है. वहीं, एक रिपोर्ट के मुताबिक दावा किया जाता है कि 1 किलो चावल पैदा करने के लिए 5000 लीटर पानी की खपत होती है. ऐसे में आप धान की फसल में पानी की खपत को कम कर सकते हैं. कृषि एक्सपर्ट कि मानें तो इसके लिए किसानों को कुछ खास बातों का ध्यान देना होता है.
दरअसल, किसान परंपरागत तरीके से धान की रोपाई करते हैं, लेकिन पानी की बढ़ती खपत की वजह से वैज्ञानिक किसानों को डीएसआर (Direct Seeded Rice) तकनीक से धान की खेती करने के लिए लगातार प्रोत्साहित कर रहे हैं. वहीं, जो किसान परंपरागत तरीके से धान की खेती करते हैं, उनके लिए यह जानना बेहद जरूरी है कि धान की फसल में कब कितना पानी देना चाहिए. आइए जानते हैं.
धान की फसल की रोपाई करने के लिए खेत को पानी भरकर रोटावेटर से जुताई की जाती है. उसके बाद खेत में धान की रोपाई की जाती है. पौधे रोपते वक्त खेत में 3 से 5 सेंटीमीटर पानी होना चाहिए. वहीं इस पानी को 15 से 20 दिनों तक नियमित बनाए रखना चाहिए, ऐसा नहीं करने पर धान की फसल के बीच खरपतवार उग आते हैं जो पौधों को नुकसान पहुंचाते हैं.
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धान की रोपाई के 20 से 25 दिन के बाद धान के पौधे में कल्ले निकलने लगते हैं. उस समय खेत में ज्यादा पानी की आवश्यकता नहीं रहती है, लेकिन इस बात का ध्यान रखें कि खेत में नमी बनी रहे. अगर समय पर बारिश ना हो तो खेत में सिंचाई कर दें. नहीं तो इस स्थिति में खेत में दरारें पड़ सकती हैं. जिससे धान के पौधों की ग्रोथ पर असर पड़ता है, जिससे उत्पादन प्रभावित होता है.
धान के पौधों में बाली निकलने की अवस्था में सिंचाई का विशेष ध्यान रखने की जरूरत है क्योंकि बाली निकलने के बाद दूध से दाने की प्रक्रिया शुरू हो जाती है. उस समय खेत में 3 से 5 सेंटीमीटर तक पानी भरें. इस समय पौधे को पानी की ज्यादा आवश्यकता होती है.
धान की फसल में ज्यादा पानी भरने से पौधे रोग के चपेट में आ जाते हैं. ज्यादा दिन तक पानी भरा रहने की वजह से गर्मी के मौसम में पानी का तापमान बढ़ता है. जिसका सीधा असर धान के पौधों की जड़ों पर पड़ता है. धान के पौधे ऑक्सीजन भी नहीं ले पाते हैं, जिसके बाद जड़ें काली और पत्तियां पीली पड़ने लगती हैं. ऐसे लक्षण देखने के बाद धान के पौधे कमजोर हो जाते हैं. इस तरह कब और कैसे पानी देना है ये जानकर आप पानी की खपत को कम कर सकते हैं.
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