इस साल कम बारिश की वजह से किसानों ने सीमित सिंचाई में गेहूं की फसल बोई है. पानी की उपलब्धता की गारंटी नहीं है. जबकि खेती के लिए मिट्टी में नमी जरूरी होती है. तो आइए जानते हैं कि कम सिंचित एरिया में गेहूं की फसल में मिट्टी की नमी को संरक्षित करने के लिए किन उपायों की आवश्यकता है. रबी मौसम के दौरान मिट्टी की नमी को बनाए रखने के लिए इन तरीकों को अपनाकर काम किया जा सकता है. पहली बात यह है कि फसल बुवाई के तीन सप्ताह के बाद पहली सिंचाई करनी चाहिए. खेती में मिट्टी की नमी बनाए रखने में इससे मदद मिलती है.
रबी मौसम में गेहूं की खेती से वाष्पीकरण रोकने और खरपतवार नियंत्रण के रूप में इसका दोहरा फायदा होता है. खेत में नमी बनाए रखने के लिए आमतौर पर पुआल, सूखी घास या भूसी आदि का इस्तेमाल होता है. प्रति हेक्टेयर 4 से 5 टन सूखी घास का प्रयोग करना चाहिए. कवर को जितनी जल्दी लगाया जाए, वह उतना ही अधिक उपयोगी होता है. मल्च को चुनने के 4 से 5 सप्ताह के भीतर लगाया जाना चाहिए. घास के उपयोग से फसल में 25 से 30 मिमी नमी की बचत होती है और पानी देने की महत्वपूर्ण अवस्था के दौरान फसल को अधिक नमी मिलती है. यह मिट्टी के फटने की तीव्रता को भी कम करता है, इसलिए ऐसा करना गेहूं की खेती के लिए लाभदायक रहता है.
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ड्रिप सिंचाई प्रणाली अपनाई जानी चाहिए. यदि पानी उपलब्ध है तो संरक्षित या फसली आजीविका के लिए पानी उपलब्ध कराया जाना चाहिए. अगर इस विधि से पानी दिया जाए, तो अतिरिक्त क्षेत्र को थोड़े समय में भिगोया जा सकता है. यदि मिट्टी में नमी कम हो तो फसल पर 1 प्रतिशत प्रति लीटर पानी की दर से पोटेशियम नाइट्रेट का छिड़काव करें. यह फसल की पत्तियों की गतिविधि को तेज करने में मदद करता है और फसलें मिट्टी से नमी को अवशोषित करना शुरू कर देती हैं.
फसल के वाष्पोत्सर्जन को कम करने के लिए, पत्तियों पर काओलिन या चाक पाउडर का 1 प्रतिशत स्प्रे करना चाहिए. पत्तियों से सूरज की रोशनी को प्रतिबिंबित करके गेहूं की फसल के अंदरूनी हिस्से से जल वाष्प को कम करने में मदद करता है. गेहूं की फसल बोने के 55 व 70 दिन बाद 200 ग्राम 19:19:19 घुलनशील उर्वरक 10 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें. देश में इस समय गेहूं की बुवाई जोरों पर है. अभी दिसंबर अंत तक बुवाई चलेगी.
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