साउथ अमेरिका के पेरू से दुनिया को टमाटर जैसी सब्जी मिली और आज यह भारत की यह सबसे महत्वपूर्ण फसल के तौर पर जाना जाने लगा है. आलू के बाद यह दुनिया की दूसरी सबसे अहम फसल है. विटामिन ए, सी, पोटेशियम और कई मिनिरल्स से लैस टमाटर एक फेवरिट सब्जी के तौर पर हर घर में मशहूर है. बिहार, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, उड़ीसा, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में जमकर टमाटर की खेती होती है. लेकिन अब ज्यादातर लोग अपने किचन गार्डेन में भी टमाटर उगाने लगे हैं. खेतों में खड़ी फसल हो या फिर किचन गार्डेन में लगा टमाटर का पौधा, इस पर लगे कीड़े इसकी फसल को चौपट कर सकते हैं.
टमाटर के पौधे में अगर पर्ण सुरंगक जैसे कीड़े लग जाएं तो फिर उसमें फूल या फिर फल नहीं आ पाते हैं. यह कीड़ा तब हमला करता है जब पौधा नया होता है और ऐसे में उसे बहुत नुकसान भी होता है. इस कीड़े के प्रकोप से पौधे की पत्तियां मुरझा जाती हैं और ऐसे में पौधे में फल या फूल आने की संभावना भी जीरो हो जाती है.
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कीड़ा पत्तियों के बीच में अंडा देता है और एक बार में 250 से 300 अंडे होते हैं. 2-3 दिन बाद इससे मैगट निकलते हैं जो पत्तियों में सुरंग बनाकर उसके हरे भागों को खाकर खत्म कर देता है. सुरंगों में ही मैगट प्यूपा में बदल जाता है. विशेषज्ञों की मानें तो हाइब्रिड वैरायटी में इस कीड़े के प्रकोप की आशंका ज्यादा रहती है.
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अगर टमाटर के पौधे पर इस कीड़े का हमला नजर आए तो इसके हमले वाली पुरानी और सूखी पत्तियों को पौधों से तोड़कर खत्म कर देना चाहिए. इसके बाद 4 प्रतिशत नीम गिरी पाउडर एक लीटर पानी में स्टीकर के साथ छिड़का करने पर फायदा होता है. इमिडाक्लो प्रिड 200 एसएल 1.00 मिली प्रति तीन लीटर पानी में घोलकर बनाकर फल आने के पहले छिड़काव करने से भी यह समस्या नियंत्रित हो सकती है. फल या फूल आने की स्थिति में कीड़े का बहुत ज्यादा प्रकोप के समय डाइक्लोरोभास (0.03 प्रतिशत) का छिड़काव करने से भी इससे फायदा मिल सकता है.
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