सब्जियों की पैदावार बढ़ाती है मचान विधि, इसमें बीजों की बुवाई का तरीका भी है खास

सब्जियों की पैदावार बढ़ाती है मचान विधि, इसमें बीजों की बुवाई का तरीका भी है खास

किसानों को कद्दूवर्गीय सब्जियों की खेती में कई बार कीट और रोगों की समस्‍या से जूझना पड़ता है. ऐसे में किसान मचान विध‍ि का उपयोग कर फसल को कीड़ों और बीमार‍ियों से बचा सकते हैं. साथ ही इससे उपज भी बढ़ेगी और किसानों का मुनाफा बढ़ेगा.

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सब्जियों की पैदावार बढ़ाती है मचान विधि, इसमें बीजों की बुवाई का तरीका भी है खासमचान विध‍ि से खेती. (सांकेत‍िक तस्‍वीर)

देश के अलग-अलग भागों में करीब 70 से ज्‍यादा प्रकार की सब्जियों की खेती की जाती है. इनमें 20 से ज्‍यादा कद्दूवर्गीय सब्जियां भी शामिल हैं. कद्दूवर्गीय सब्जियां किसानों के आर्थ‍िक लिहाज से काफी फायदेमंद होती हैं. ऐसे में इनकी अच्‍छी पैदावार के लिए सही देखभाल बहुत जरूरी है. अक्‍सर किसान कद्दूवर्गीय बेलदार सब्जियों की बुवाई कर जमीन पर ही बेलों को बिछने देते हैं, लेकिन इससे फसल में कीटों और रोगों का प्रकोप दिखने लगता है. इस वजह से उपज पर भी बुरा असर पड़ता है. इसलिए आज हम आपको इन खतरों से सब्‍जी की फसल बचाने के लिए मचान विध‍ि और इसके फायदे के बारे में बताने जा रहे हैं. 

क्‍या है मचान विध‍ि

मचान विध‍ि के तहत खेत में बांस, सीमेंट या लोहे के खंभे से 5 से 7 फीट ऊंची मचान बनाई जाती है. जैसे ही सब्‍जी की बेल बढ़ने लगती है, वैसे ही इसे मचान पर चढ़ा दिया जाता है. इसमें मेड़ों की दूरी डेढ़ से दो मीटर रखी जाती है. इस पर कम वजन वाली सब्जियों जैसे नेनुआ, करेला, लौकी, तोरई, सेम आदि को चढ़ाना चाहिए. सब्जियां ऊपर लगने की वजह से इनमें हवा का प्रवाह सही रहता है और सही तरह से सूर्य का प्रकाश मिलता है, ज‍िससे कई कीटों और रोगों से बचाव होता है.  

बुवाई का तरीका

मचान विध‍ि से खेती के लिए कद्दूवर्गीय सब्जियों की बुवाई मेड़ या थालों में करनी चाहिए. एक जगह पर तीन से चार सेंटीमीटर गहराई में दो से तीन बीज डालकर बोना चाहि‍ए‍. बारिश के समय ध्‍यान रखें कि मेड़ ऊंची हो. 

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मचान बनाने का तरीका

मचान बनाने के लिए 8 से 10 फीट लंबी बल्लियां, बांस, लोहे के एंगल या सीमेंट के खंभे का इस्‍तेमाल कर सकते हैं. इन्‍हें खंभे के रूप में लगाने के बाद तार या प्‍लास्टिक की रस्‍सी से जाल बिछाने की जरूरत पड़ती है. मचान के लिए खंभों को सीधा दो से ढाई फीट गहरे गड्ढे में करीब 6 फीट के अंतर पर गाड़ कर मिट्टी-पत्‍थर भरे जाते हैं. इतनी दूरी रखने से मचान पर फसल का भार नहीं पड़ता है.

लकड़ी और बांस का उपयोग करने पर दीमक लगने का खतरा रहता है. ऐसे में इनके निचले हिस्‍से में पाइप या पॉलीथीन चढ़ाकर गाड़ना चाहिए. इसके बाद खंभों के ऊपरी सिरों को जोड़ते हुए लोहे के तार से बांध दें और ऊपरी से को रस्‍सी या जाल से ढांक दें और सब्जियों की बेल चढ़ाएं.

मचान विध‍ि के अन्‍य फायदे

बेलदार सब्जियों को मचान पर चढ़ाने से नीचे काफी जगह खाली बचती है. ऐसे में इसके साथ आंशिक छाया वाली फसलें-धनिया, पालक, हल्दी, मूली की भी खेती कर ज्‍यादा फायदा लिया जा सकता है. मचान विधि में सब्जियों की तुड़ाई करना बहुत आसान हो जाता है.

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