उपजाऊ मिट्टी के लिए केमिकल खाद का इस्तेमाल घटाना जरूरी, PHDCCI ने कहा- सिंचाई तकनीक मजबूत करनी होगी 

उपजाऊ मिट्टी के लिए केमिकल खाद का इस्तेमाल घटाना जरूरी, PHDCCI ने कहा- सिंचाई तकनीक मजबूत करनी होगी 

पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ने कहा कि यह जरूरी है कि कृत्रिम उर्वरकों के इस्तेमाल को घटाया जाए और फिर पूरी तरह से बंद किया जाए. विज्ञान आधारित टेक्नोलॉजी को अपनाकर खेती का विकास करना होगा.

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उपजाऊ मिट्टी के लिए केमिकल खाद का इस्तेमाल घटाना जरूरी, PHDCCI ने कहा- सिंचाई तकनीक मजबूत करनी होगी PHDCCI ने कहा सूखा और कीटों से निपटने में सक्षम बीजों का विकास जरूरी है.

खेत की मिट्टी को उपजाऊ बनाए रखने के लिए केमिकल खादों का इस्तेमाल घटाकर पूरी तरह बंद करना होगा. पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ने कृषि पर रिपोर्ट जारी करते हुए कहा कि सिंचाई तकनीक को मजबूत करने के साथ ही नए इनोवेशन जरूरी हैं. सूखा और कीटों से निपटने में सक्षम बीजों का विकास करना होगा, ताकि भविष्य में कृषि का विकास बेहतर बना रहे.

उद्योग निकाय पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (PHDCCI) ने कृषि पर जारी रिपोर्ट में सिफारिश की है कि सिंचाई तकनीक को मजबूत करने के लिए और अधिक इनोवेशन करने जाने चाहिए ताकि कृषि को उतार- चढ़ाव वाले मानसून के असर मुक्त किया जा सके. संस्थान ने यह भी कहा कि केमिकल खादों के इस्तेमाल को धीरे-धीरे कम करना जरूरी है क्योंकि देश तेजी से सस्टेनेबल एग्री की ओर बढ़ रहा है.

केमिकल खादों का इस्तेमाल घटाया जाए 

पीएचडी चैंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री ने कहा कि भारत अपनी अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों में तेजी से अधिक स्थिरता को लागू कर रहा है. इसलिए यह जरूरी है कि कृत्रिम उर्वरकों के इस्तेमाल को घटाया जाए और फिर पूरी तरह बंद किया जाए. कहा गया कि विज्ञान आधारित टेक्नोलॉजी में प्रगति आज कृषि के सामने मौजूद बहुआयामी चुनौतियों पर काबू पाने के लिए अहम है. 

किसानों को कृषि तकनीक ट्रेनिंग की व्यवस्था हो

रिपोर्ट में कहा गया है कि सूखा प्रतिरोधी और कीट प्रतिरोधी फसलों किस्मों को विकसित करना जरूरी है. कृषि-पूर्व तकनीक और डिजिटल खेती सॉल्यूशन को विकसित करने के लिए रिसर्च और डेवलपमेंट में निवेश करने से उत्पादन में बढ़ोत्तरी हो सकती है. किसानों को तकनीक और ट्रेनिंग दिलाने के लिए पहल शुरू की जानी चाहिए. 

जलवायु अनुकूल किस्मों को विकसित करे ICAR

सरकार ने जलवायु परिवर्तन के प्रभाव से लड़ने के लिए कम से कम एक विशेषता वाली किस्मों को विकसित करने को कहा है. इन किस्मों में सूखा, गर्मी या बाढ़ जैसी स्थितियों में सहनशील बने रहने की क्षमता के साथ विकसित करने के निर्देश दिए हैं. सरकार ने पिछले साल अगस्त में जलवायु अनुकूल बीजों की 109 किस्में भी जारी कीं, जबकि 2025-26 के बजट में हाईब्रिड बीजों पर एक टेक्नोलॉजी मिशन की घोषणा की गई है. 

फसल नुकसान घटाने पर फोकस करना होगा 

रिपोर्ट में कहा गया है कि फसल कटाई से पहले और फसल कटाई के बाद की गतिविधियों में निजी क्षेत्र की सक्रिय भागीदारी जरूरी है. इससे खेत स्तर से स्टोरेज तक पहुंचने के दौरान उपज के नकुसान को घटाने में मदद मिलेगी. इसके लिए सरकार निवेश के लिए प्रोत्साहित कर सकती है. अन्य सिफारिशों में आसाना बाजार पहुंच, किसान उत्पादक संगठनों और सहकारी नेटवर्क को मजबूत करने के साथ ही फसल विविधीकरण पर जोर दिया गया है. 

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