पूसा, नई दिल्ली ने किसानों के नाम फसल एडवाइजरी जारी की है. इसमें किसानों को मौसम के लिहाज से खेती करने और फसलों का ध्यान रखने की सलाह दी गई है. एडवाइजरी में कहा गया है, इस मौसम में अगेती मटर की बुवाई कर सकते हैं. उन्नत किस्में- पूसा प्रगति, बीजों को कवकनाशी केप्टान या थायरम @ 2 ग्राम प्रति किग्रा बीज की दर से मिलाकर उपचार करें. उसके बाद फसल विशेष राईजोबियम का टीका जरूर लगाएं. गुड़ को पानी में उबालकर ठंडा कर लें और राईजोबियम को बीज के साथ मिलाकर उपचारित करके सूखने के लिए किसी छायेदार स्थान में रख दें और अगले दिन बुवाई करें.
सरसों की अगेती बुवाई के लिए पूसा सरसों-25, पूसा सरसों-26, पूसा सरसों 28, पूसा अगर्णी, पूसा तारक, पूसा महक आदि के बीज की व्यवस्था करें और खेतों को तैयार करें. इस मौसम में किसान गाजर की बुवाई मेड़ों पर कर सकते हैं.
उन्नत किस्म पूसा रुधिरा की बीज दर 4.0 किग्रा प्रति एकड़ है. बुवाई से पहले बीज को केप्टान @ 2 ग्राम प्रति किग्रा बीज की दर से उपचार करें और खेत में देसी खाद, पोटाश और फास्फोरस उर्वरक जरूर डालें. गाजर की बुवाई मशीन द्वारा करने से बीज 1.0 किग्रा प्रति एकड़ की जरूरत होती है जिससे बीज की बचत और उत्पाद की क्वालिटी भी अच्छी रहती है.
इस मौसम में फसलों और सब्जियों में दीमक का प्रकोप होने की संभावना रहती है. इसलिए किसान फसलों की निगरानी करें. यदि प्रकोप दिखाई दे तो क्लोरपाइरीफॉस 20 ई सी @ 4.0 मिली/लीटर सिंचाई जल के साथ दें.
इस मौसम में किसान अपने खेतों की नियमित निगरानी करें. यदि फसलों और सब्जियों में सफेद मक्खी या चूसक कीटों का प्रकोप दिखाई दें तो इमिडाक्लोप्रिड दवाई 1.0 मिली/3 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें.
इस मौसम में सब्जियों (मिर्च, बैंगन) में यदि फल छेदक, शीर्ष छेदक और फूलगोभी और पत्तागोभी में डायमंड बेक मोथ की निगरानी के लिए फीरोमोन प्रपंच 4-6 प्रति एकड़ की दर से लगाएं और प्रकोप अधिक हो तो स्पेनोसेड़ दवाई 1.0 मिली/4 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें. इस मौसम में सरसों साग- पूसा साग-1, मूली- समर लोंग, लोंग चेतकी, पालक- ऑल ग्रीन और धनिया- पंत हरितमा या संकर किस्मों की बुवाई मेड़ों (उथली क्यारियों) पर करें.
मिर्च और टमाटर के खेतों में विषाणु रोग से ग्रसित पौधों को उखाड़कर जमीन में गाड़ दें. यदि प्रकोप अधिक है तो इमिडाक्लोप्रिड @ 0.3 मिली प्रति लीटर की दर से छिड़काव आसमान साफ होने पर करें. इस मौसम में किसान धान के ब्लास्ट (बदरा) रोग का आक्रमण होने की निगरानी हर 2 से 3 दिन के अंतराल पर करें.
इस रोग का सूचक है पत्तियों में एक छोटी आंख जैसा धब्बा जिसका अंदर का भाग हल्का भूरा और बाहर गहरे भूरे रंग का होता है. आगे जाकर अनेक धब्बे मिलकर एक बड़ा धब्बा बन जाता है.
इस मौसम में धान (पूसा सुगंध-2511) में आभासी कंड (False Smut) आने की काफी संभावना है. इस बीमारी के आने से धान के दाने आकार में फूल जाते हैं. इसकी रोकथाम के लिए ब्लाइटोक्स 50 की 500 ग्राम प्रति एकड़ की दर से जरूरत अनुसार पानी में मिलाकर 10 दिन के अंतराल पर 2-3 बार छिड़काव करें.
इस मौसम में धान की फसल को नष्ट करने वाली ब्राउन प्लांट हॉपर का आक्रमण शुरू हो सकता है. इसलिए किसान खेत के अंदर जाकर पौध के निचली भाग के स्थान पर मच्छरनुमा कीट का निरीक्षण करें. यदि कीट का प्रकोप अधिक है तो इमिडाक्लोप्रिड @ 0.3 मि.ली. प्रति लीटर की दर से छिड़काव करें.
इस मौसम में धान की फसल में तना छेदक कीट की निगरानी के लिए फेरोमोन प्रपंच 4-6 प्रति एकड़ की दर से लगाएं और प्रकोप अधिक हो तो करटाप दवाई 4% दालें. उसे 10 किलोग्राम/एकड़ का बुरकाव करें. इस मौसम में कीटों की रोकथाम के लिए प्रकाश प्रपंच का भी इस्तेमाल कर सकते हैं.
इसके लिए एक प्लास्टिक के टब या किसी बरतन में पानी और थोड़ा कीटनाशी मिलाकर एक बल्ब जलाकर रात में खेत के बीच में रखे दें. प्रकाश से कीट आकर्षित होकर उसी घोल पर गिरकर मर जाएंगे. इस प्रपंच से अनेक प्रकार के हानिकारक कीटों का नाश होगा.
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