भारत में आम को 'फलों का राजा' कहा जाता है और यह सबसे अधिक पसंद किया जाने वाला फल भी है. आम की खेती से किसान अच्छी आय कमा सकते हैं, लेकिन इसके लिए उन्नत और आधुनिक तकनीकों का उपयोग करना बहुत ज़रूरी है. आज हम जानेंगे कि आम की खेती में कौन-कौन सी आधुनिक तकनीकें अपनाई जा रही हैं जो उत्पादन को बढ़ाती हैं और फलों की गुणवत्ता को भी बेहतर बनाती हैं.
आधुनिक आम की खेती की शुरुआत अच्छी किस्म के पौधे से होती है. आजकल वैज्ञानिकों द्वारा विकसित की गई कई हाईब्रिड किस्में उपलब्ध हैं जैसे- आम्रपाली, दशहरी, लंगड़ा, केसर और मल्लिका. ये किस्में जल्दी फल देती हैं और रोग प्रतिरोधक क्षमता भी अधिक होती है.
ड्रिप इरिगेशन यानी बूंद-बूंद सिंचाई प्रणाली से पौधों की जड़ों तक पानी सीधा पहुंचाया जाता है. इससे पानी की बचत होती है और पौधे की वृद्धि भी अच्छी होती है. ड्रिप सिस्टम में साथ ही साथ उर्वरक भी दिया जा सकता है जिसे 'फर्टिगेशन' कहते हैं.
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मल्चिंग का मतलब होता है पौधों की जड़ों के चारों ओर घास, प्लास्टिक शीट या सूखे पत्तों की परत बिछाना. इससे नमी बनी रहती है, खरपतवार (अनचाही घास) नहीं उगती और मिट्टी की गुणवत्ता भी बनी रहती है.
ग्राफ्टिंग यानी कलम विधि से पौधों को तैयार करना आजकल बहुत लोकप्रिय हो गया है. इस तकनीक से तैयार पौधे जल्दी फल देना शुरू करते हैं और इनकी उपज भी बेहतर होती है. ग्राफ्टिंग से एक ही पेड़ पर दो अलग-अलग किस्मों के आम भी उगाए जा सकते हैं.
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कीटनाशकों का अत्यधिक उपयोग नुकसानदायक हो सकता है. इसलिए आजकल ट्रैप (जैसे फेरोमोन ट्रैप) और जैविक कीटनाशकों का इस्तेमाल किया जा रहा है. यह पर्यावरण के लिए भी सुरक्षित होता है और आम की गुणवत्ता को बनाए रखता है.
आधुनिक यंत्रों की मदद से फलों की सही परिपक्वता का पता लगाया जा सकता है. इसके अलावा फल तोड़ने के लिए भी आजकल हल्के और सुरक्षित उपकरण उपयोग किए जाते हैं, जिससे फल को नुकसान नहीं होता और बाजार में अच्छी कीमत मिलती है.
फसल कटाई के बाद भी आम को सुरक्षित रखने की तकनीकें आज के समय में बहुत जरूरी हैं. कोल्ड स्टोरेज, ग्रेडिंग मशीन और पैकेजिंग के आधुनिक तरीके अपनाकर किसान अपने आम को लंबे समय तक सुरक्षित रख सकते हैं और दूर के बाजारों में भी भेज सकते हैं.
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