भिंडी पर फूल आने के बाद गिर जाते हैं, बचाव के लिए क्या करें?
बरसात के समय भिंडी की फसल में सफेद मक्खी कीट और अन्य रोगों का प्रकोप बढ़ जाता है. इन कीटों और रोगों के लगने से किसानों को काफी नुकसान होता है. ऐसे में आइए जानते हैं सफेद मक्खी कीट से बचाव के लिए किसानों को क्या करना चाहिए.
भारत में भिंडी की खेती व्यावसायिक फसल के तौर पर की जाती है. इसकी खेती भारत के कई अलग-अलग क्षेत्रों में की जाती है. भिंडी की खेती मुख्य रूप से खरीफ के मौसम में की जाती है. भिंडी की खेती के लिए अच्छी मिट्टी, उचित मौसम और प्राकृतिक परिस्थितियों की जरूरत होती है. लेकिन बरसात के समय भिंडी की फसल में सफेद मक्खी कीट और अन्य रोगों का प्रकोप बढ़ जाता है. साथ ही भिंडी पर फूल आने के बाद गिर जाते हैं. ऐसे में किसानों को सही समय पर उचित प्रबंधन कर फसल का बचाव कर लेना चाहिए, ताकि फसल को सफेद मक्खी से ज्यादा नुकसान न हो. ऐसे में आइए जानते हैं कैसे करें बचाव का उपाय.
सफेद मक्खी कीट के लक्षण
भिंडी की फसल में लगने वाली सफेद मक्खी एक सूक्ष्म आकार के कीट होते हैं. इन कीटों के लार्वा और प्रौढ़ दोनों ही निचली सतह से रस चूसकर फसल को नुकसान पहुंचाते हैं. इससे पौधे की वृद्धि कम होती है और फूल-फल के साथ ही उपज में कमी आ जाती है. आपको बता दें कि सफेद मक्खी कीट भिंडी की फसलों में पीत शिरा मोजेक (पीलिया) रोग भी फैलाते हैं.
खरपतवार जैसे कि कंधी बूटी अगर आस पास उगी हुई हो तो उसे उखाड़ दें.
बीज का उपचार 5 ग्राम इमिडाक्लोप्रिड 5.7 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचार करें. साथ ही बीज का उपचार करने से पहले बीज को 6 से 12 घंटे तक पानी में भिगोएं.
भीगे हुए बीज को आधे से एक घंटे तक छाया में सुखाएं और इमिडाक्लोप्रिड डालकर अच्छी तरह से बीज में मिला लें.
अगर बीज का उपचार न किया गया हो तो एक्टारा 25 डब्ल्यू. जी. कीटनाशक दवा की मात्रा 40 ग्राम लें. इसे 150-200 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ की दर से छिड़कें.
जरूरत हो तो छिड़काव 20 दिन के अंतराल पर फिर से करें.
पीला शिरा मोजेक रोग
भिंडी में इस रोग से पत्तियों की शिराएं पीली और चितकबरी दिखाई देने लगती हैं. साथ ही इस रोग के लगने से फल भी छोटे होने लगते हैं. भिंडी की फसल में खतरनाक बीमारी सफेद मक्खी से फैलता है. इससे उत्पादन पर भी काफी असर पड़ता है.
रोग से बचाव के उपाय
पीला शिरा मोजेक रोग से बचाने के लिए इस रोग के प्रतिरोधी क्षमता वाली किस्मों को लगाएं.
जैसे ही पीला शिरा मोजेक रोग के लक्षण दिखाई दें, किसान रोग लगे पौधों को खेत से बाहर निकाल दें.
बीज का शोधन फफूंदी नाशक कार्बेन्डाजिम 3 ग्राम किलोग्राम बीज के साथ और किसी कीटनाशी जैसे इमिडाक्लोप्रिड 0.5 मिली किलोग्राम बीज में मिला कर छिड़काव करें.
इसके अलावा रस चूसने वाले कीटों की रोकथाम के लिए येलो स्टिकी ट्रैप का प्रयोग करना चाहिए.