बिहार में पिछले कुछ दिनों में हुए बेमौसम बारिश और ओलावृष्टि ने किसानों की कमर तोड़ कर रख दी है. बेमौसम बारिश ने आम के किसानों के अरमानों पर पानी फेर दिया है. इस बार बिहार में आम के बहुत अच्छे फूल आए हैं जो बेमौसम हुई बारिश के पानी में धुल गए. लेकिन, जो मंजर अब टिकोला बन चुके हैं. उन्हें बचाना और देखभाल करना किसानों के लिए बहुत आवश्यक है. इसके लिए बिहार कृषि विभाग ने सुरक्षा के उपाय बताए हैं. कृषि विभाग ने किसानों के नाम जानकारी जारी की है. इसमें बताया गया है कि जब आम के पौधे में मटर के समान दाने आने लगते हैं तो उसमें कीट और पाउडरी मॉड्यूल और एन्थ्रेकनोज जैसी रोगों का संक्रमण मुख्य रूप से होता है.
कृषि विभाग का कहना है कि कीटों और बीमारियों से टिकोलों को बचाने के लिए स्प्रे करना जरूरी है. आम का भरपूर उत्पादन लेने के लिए दो छिड़काव सही समय पर करने की जरूरत है. इससे आम की पैदावार अच्छी हो सकती है और टिकोलों को नुकसान से बचाया जा सकता है.
बिहार कृषि विभाग के मुताबिक, मंजरों में मटर के जैसे दाना लग जाने पर कीटनाशक के साथ-साथ किसी एक फफूंदीनाशक को मिला कर छिड़काव करने की जरूरत है. जो मंजर को पाउडरी मॉड्यूल और एन्थ्रेकनोज रोग से सुरक्षित रख सके. साथ ही इस घोल में अल्फा नेप्थाईल एसेटिक एसिड मिलाया जाता है जो फलों को गिरने से रोकता है.
आम में जब टिकोला बनने लगे तब तीसरा छिड़काव करना चाहिए. तीसरे छिड़काव में कीटनाशक के साथ अल्फा नेप्थाईल एसेटिक एसिड के अलावा जरूरत के अनुसार फफूंदीनाशक को मिलाकर छिड़काव करना चाहिए. इससे फल में रोग लगने से छुटकारा मिलता है.
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मंजर के समय बूंदाबांदी हो जाने पर घुलनशील सल्फर या कार्बेन्डाजिम या हेक्साकोनाजोल का छिड़काव जरूर करें. दहिया कीट नियंत्रण के लिए कीटनाशक के तैयार घोल में स्टीकर अवश्य मिला दे. साथ ही फल और मंजर को गिरने से बचाने के लिए दूसरे और तीसरे छीड़काव में कीटनाशक तैयार किए गए घोल में अल्फा नेप्थाईल एसेटिक एसिड 4.5 प्रतिशत एस. एल का चार मिली लीटर प्रति 10 लीटर पानी में डालना चाहिए.
वहीं दूसरे छिड़काव में सल्फर का घुलनशील चूर्ण तीन ग्राम प्रति लीटर घोल की दर से मिलाकर छिड़काव करने पर फल के लिए लाभदायक होता है. साथ ही, अल्फा नेप्थाईल एसेटिक एसिड 4.5 प्रतिशत एस. एल के निर्धारित मात्रा से अधिक छिड़काव करने से मंजर जल जाता है. इसलिए छिड़काव करते वक्त किसानों को सावधानी भी बरतनी चाहिए.
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