Farming After Flood: बाढ़ और भारी बारिश के बाद तबाह हो गए खेत? जानिए दोबारा कैसे शुरू करें खेती

Farming After Flood: बाढ़ और भारी बारिश के बाद तबाह हो गए खेत? जानिए दोबारा कैसे शुरू करें खेती

Farming After Flood: बाढ़ और भारी बारिश के बाद तबाह हो गए खेत? जानिए दोबारा कैसे शुरू करें खेती: पंजाब, हरियाणा और हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों में भारी बारिश और बाढ़ के कारण खेती को भारी नुकसान हुआ है. इस वजह से बाढ़ प्रभावित खेतों में अगली फसल लगाना नामुमकिन सा हो जाता है. ऐसे में हम आपको इन खेतों में फिर से खेती शुरू करने के लिए स्टेप-बाय-स्टेप गाइड बता रहे हैं.

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बाढ़ और भारी बारिश के बाद तबाह हो गए खेत? जानिए दोबारा कैसे शुरू करें खेतीभारी बारिश और बाढ़ के बाद खेतों को तैयार करना बेहद कठिन काम

पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और बिहार जैसे अधिकतर उत्तर भारत के राज्यों में इस सीजन अत्यधिक भारी बारिश और बाढ़ से लाखों हेक्टेयर की कृषि भूमि का नुकसान हुआ है. अब ये फसल नुकसान तो सिर्फ खरीफ सीजन में हुआ है, बड़ी समस्या तो आने वाले रबी सीजन के लिए है. क्योंकि बाढ़ और भारी बारिश के बाद किसानों के खेतों की हालत इतनी खराब हो जाती है कि खरीफ के बाद रबी की फसल लगाना बेहद मुश्किल हो जाता है. ऐसे में जरूरी है कि किसान को पता होना चाहिए कि भारी बारिश और बाढ़ के बाद खेतों को अगली फसल के लिए दोबारा कैसे तैयार करें.

खेत से जल निकासी का इंतजाम

सबसे पहले तो खेत में से जल निकासी का इंतजाम करना होगा. क्योंकि जब तक खेत सूख नहीं जाएगा तो इसमें कोई काम शुरू नहीं कर सकते. इसके लिए आप खेत की ढाल के हिसाब से मेढ़ काटें या फिर पंप लगाकर पानी निकालें. इससे पानी तेजी से निकलेगा. जब पानी निकला जाए तो फिर खेत को कुछ दिनों के लिए सूखने के लिए छोड़ना पड़ेगा. एक बार जब खेत इतना सूख जाए कि इसमें ट्रैक्टर चलाया जा सकता है, तो फिर इसकी मेड़ और नालियां बंद करें, ताकि दूसरे खेतों का पानी ना आ सके.

सिल्ट/गाद हटाना जरूरी

जब खेत सूखने लगेगा तो आपको बाढ़ और जलभराव से जमा हुई सिल्ट या गाद की परत दिखने लगेगी. याद रखें कि बाढ़ और जलभराव का स्तर जितना ज्यादा होगा, खेत में सिल्ट की परत भी उतनी मोटी होगी. मिट्टी पर जमा ये गाद खेत की मिट्टी खराब करती है और इससे बुवाई करने में कठिनाई होती है. साथ ही सिल्ट के कारण बीज में अंकुरण भी नहीं हो सकता. खेत में अगर जलभराव ज्यादा नहीं होगा तो संभव है कि सिल्ट की 2–5 सेमी की पतली परत में सिल्ट जमा होगी. गाद की इस परत से गहरी जुताई और रोटावेटर चलाकर निपटा जा सकता है. 

अगर आपके खेत बाढ़ से प्रभावित हुए हैं तो खेत में सिल्ट की मोटी परत आ जाती है, करीब 6 इंच या उससे ज्यादा. इस मामले में गाद की परत हटाना बेहद मुश्किल और महंगा पड़ता है. इसके लिए किसानों को JCB और ट्रैक्टर जैसी मशीनें घंटों तक चलानी पड़ती हैं. बाढ़ वाले खेतों में सिल्ट के अलावा भी पत्थर और दूसरे तरह का मलबा आ जाता है. बाढ़ के साथ खेतों में अक्सर कचरा, लकड़ी, प्लास्टिक या पत्थर आ जाते हैं, इन्हें खेतों से हटाने के लिए काफी लेबर लगानी पड़ेगी. 

मिट्टी को फिर से करें जिंदा

  • बाढ़ के बाद खेत को साफ करने से ही खेत अगली फसल के लिए तैयार नहीं हो पाता, इसके लिए खेत की मिट्टी फिर से जीवित करना होगा. मिट्टी की फिर से उर्वरता बढ़ाने के लिए इसमें कई तरह के काम करने होंगे. मिट्टी की सेहत ठीक करने के लिए खेत में हरी खाद (Green Manure) डाल सकते हैं. मिट्टी को जीवित करने के लिए ये सबसे कारगर होती है. 
  • मिट्टी को जिंदा करने के लिए ढैंचा, सन, मूंग, उर्द जैसी फसलें बोएं और फिर 40–45 दिन बाद ट्रैक्टर से खड़ी फसल खेत में पलट दें. इन फसलों के मिट्टी में दबने से नाइट्रोजन और जैविक पदार्थ जल्दी वापस आएंगे. इसके अलावा गोबर की खाद और कम्पोस्ट का भी सहारा ले सकते हैं. मगर ध्यान रहे कि खेत में अच्छी तरह सड़ी हुई खादें ही डालें.
  • इसके साथ ही मिट्टी की टेस्टिंग भी कराना जरूरी. जांच के आधार पर मिट्टी में मिनरल पदार्थ डालें. अगर बाढ़ के कारण मिट्टी काफी चिपचिपी या अम्लीय हो गई है तो जिप्सम या चूना डाल सकते हैं. अगर आपके खेत छोटे हैं तो इसकी मिट्टी को जल्दी उपजाऊ करने के लिए केंचुआ खाद भी डाल सकते हैं. ये तरीका बड़े खेतों में कर पाना मुश्किल होगा. 
     

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