देशभर में रबी फसलों की बुवाई जोरों पर चल रही है. किसान गेहूं, सरसों, चना, मटर समेत अन्य फसलों की बुवाई कर रहे हैं. जबकि, कुछ इलाकों में खेतों में बीज से अंकुर भी फूट गया है. ऐसे में किसानों को इन फसलों में होने वाले कीटों और रोगों से काफी नुकसान झेलना पड़ता है. लेकिन, कृषि वैज्ञानिकों ने किसानों को घर पर घरेलू चीजों के इस्तेमाल से कीट प्रबंधन का तरीका बताया है, जिससे उन्हें कीटनाशकों पर पैसा खर्च करने की जरूरत नहीं पड़ेगी. आइये यहां जानते हैं घरेलू साधनों से बनने वाली 5 कीटनाशक दवाएं और उन्हें बनाने का पूरा तरीका.
नीम की पत्तियों से एक बाल्टी को भरा जाता है. बाल्टी को पानी से भरकर चार दिनों के लिए छोड़ दिया जाता है. पांचवें दिन पत्तियों को अच्छी तरह से मिलाकर छान लिया जाता है. छानने के बाद दो ग्राम सर्फ या कपड़ा धोने वाला साबुन प्रति लीटर पानी की दर से मिलाकर छिड़काव करना चाहिए. छिड़काव करने से पिल्लू, मूंग, फनगा, दीमक को नियंत्रित किया जा सकता है.
एक किलोग्राम नीम बीज को धूल के रूप में बदला जाता है. इस धूल को 20 लीटर पानी में डालकर मिला दिया जाता है. 10-12 घंटा पानी में भिगोने के बाद घोल को अच्छी तरह से मिलाकर छान लिया जाता है. छानने के बाद घोल में 20 ग्राम कपड़ा धोने वाला साबुन या सर्फ को घोल मिलाया जाता है. उसके बाद छिड़काव किया जाना चाहिए. इसके छिड़काव से अनेक प्रकार के कीड़ों की रोकथाम की जा सकती है.
एक किलोग्राम खैनी के डंठल को चूर्ण के रुप में बदलकर 10 लीटर पानी में गर्म करते हैं. आधा घंटा खौलने के बाद घोल को ठंडा होने के लिए छोड़ दिया जाता है. उसके बाद घोल को छानकर उसमें कपड़ा धोने वाला साबुन को घोल (2 ग्राम प्रति लीटर) में मिलाया जाता है. इस घोल में पानी मिलाकर कुल 80-100 लीटर बनाकर छिड़काव करना चाहिए. इसके छिड़काव से श्वेतमक्खी, लाही, मधुआ, फलीछेदक पिल्लू (हेलियोथिस) को नियंत्रित किया जा सकता है. इसका व्यवहार दो बार से अधिक नहीं करना चाहिए.
3 किलोग्राम हरा और तीखा मिर्चा लेते हैं और उसके डंठल को हटाकर मिर्च को पीस देते हैं. पिसे हए मिर्चा को 10 लीटर पानी में डालकर रात भर छोड़ देते हैं. सुबह में घोल को अच्छी तरह से मिलाकर घोल को सूती कपड़ा से छान लिया जाता है. दूसरे बर्तन में आधा किलोग्राम लहसुन को पीसकर 250 मिली. किरोसन तेल में डालकर रातभर के लिए छोड़ दिया जाता है. सुबह में अच्छी तरह मिलाकर घोल को सूती कपड़े से छान लिया जाता है. सुबह में एक लीटर पानी में 75 ग्राम कपड़ा धोने वाला साबुन का घोल बनाते हैं. अब सभी घोल को एक साथ मिलाकर 3-4 घंटे के लिए छोड़ दिया जाता है. घोल को फिर से छान लेते हैं. इस घोल में पानी मिलाकर कुल 80 लीटर बना लेते हैं. उसके बाद फसलों पर छिड़काव करना चाहिए. इस कीटनाशी के व्यवहार से चना के फलीछेदक एवं तम्बाकू के पिल्लू (स्पोडोपटेरा) को नियंत्नित किया जा सकता है.
पांच किलोग्राम ताजा गोबर +5.0 लीटर गोमूत्न + 5 लीटर पानी का घोल बनाकर मिट्टी के बर्तन में रखकर मुंह को ढक्कन से ढंक दिया जाता है. चार दिनों तक सड़ने के बाद घोल को अच्छी तरह से मिलाकर छान लिया जाता है. घोल में 100 ग्राम चूना मिलाकर कुल घोल को 80 लीटर बनाकर फसलों पर छिड़काव किया जाता है. इस कीटनाशी के छिड़काव से मादा कीट फसलों पर अंडा नहीं दे पाती है एवं रोग के नियंत्रण में भी सहायता मिलती है. इस घोल के छिडृकाव से पौधे हरे-भरे हो जाते हैं.
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