देश में आजकल सबसे अधिक चर्चा में मोटे अनाज हैं. ऐसा ही एक मोटा अनाज रागी है, जिसे फिंगर मिलेट या मडुआ के नाम से भी जाना जाता है. यह एक पौष्टिक अनाज है, जिसकी खेती दुनिया के कई देशों में की जाती है. खासकर अफ्रीका और एशिया के क्षेत्रों में इसकी खेती सबसे अधिक की जाती है. रागी आवश्यक पोषक तत्वों का भंडार है, जो पाचन में सहायता करता है और साथ ही शरीर को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करता है.
वहीं रागी में पाए जाने वाले पोषक तत्वों को देखते हुए इसकी मांग दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है. ऐसे में अगर आप भी रागी की खेती करना चाहते हैं और उसकी उन्नत किस्म वीएल-379 का बीज मंगवाना चाहते हैं तो आप रागी के बीज ऑनलाइन अपने घर पर मंगवा सकते हैं.
NSC's Finger Millet (Ragi) Seeds of 'VL-379' variety are now available online @ONDC_Official in 1Kg pack.
— National Seeds Corp. (@NSCLIMITED) March 14, 2024
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राष्ट्रीय बीज निगम (National Seeds Corporation) किसानों की सुविधा के लिए ऑनलाइन रागी की उन्नत किस्म 379 का बीज बेच रहा है. इस बीज को आप ओएनडीसी के ऑनलाइन स्टोर से खरीद सकते हैं. यहां किसानों को कई अन्य प्रकार की फसलों के बीज भी आसानी से मिल जाएंगे. किसान इसे ऑनलाइन ऑर्डर करके अपने घर पर डिलीवरी करवा सकते हैं. ऑनलाइन आवेदन करने के लिए किसान वेबसाइट के इस लिंक पर जाकर ऑर्डर कर सकते हैं.
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रागी की वीएल-379 किस्म को भारत में ज्यादातर जगहों पर खरीफ की फसल के रूप में उगाया जाता है. ये रागी की अधिक उपज देने वाली किस्म है. इसकी फसल रोपाई के 100 से 110 दिनों में पककर तैयार हो जाती है. वहीं ये किस्म ब्लास्ट रोग प्रतिरोधक होती है. अगर आप भी इस किस्म की खेती करना चाहते हैं तो इस बीज का 1 किलो का पैकेट आपको फिलहाल 41 फीसदी की छूट के साथ मात्र 57 रुपये में राष्ट्रीय बीज निगम के वेबसाइट पर मिल जाएगा.
रागी की खेती के लिए बलुई दोमट मिट्टी बेहतर मानी जाती है. इसकी खेती के लिए भूमि उचित जल निकासी वाली होनी चाहिए क्योंकि जलभराव वाली भूमि में रागी की फसल खराब हो जाती है. इसकी खेती में सामान्य बारिश की जरूरत होती है. दरअसल रागी के बीजों की रोपाई के लिए ड्रिल विधि को सबसे उपयुक्त माना जाता है. यदि आप छिड़काव विधि द्वारा बीजों की रोपाई करना चाहते है, तो उसके लिए आपको समतल भूमि में बीजों को छिड़कना होगा.
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