गेहूं की पैदावार बढ़ाने के लिए ये 5 उपाय करें किसान, बालियों में ऐसे बढ़ेगी दानों की संख्या

गेहूं की पैदावार बढ़ाने के लिए ये 5 उपाय करें किसान, बालियों में ऐसे बढ़ेगी दानों की संख्या

कृषि एक्सपर्ट का कहना है कि गेहूं का उत्पादन तभी बढ़ेगा, जब बालियों में अनाज के दाने अधिक होंगे. इसलिए किसान खेत में नाइट्रोजन का भरपूर इस्तेमाल करें. इससे गेहूं की बालियों में दानों की संख्या बढ़ती है.

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गेहूं की पैदावार बढ़ाने के लिए ये 5 उपाय करें किसान, बालियों में ऐसे बढ़ेगी दानों की संख्याइन उपायों को अपनाने से बढ़ जाएगी गेहूं की पैदावार. (सांकेतिक फोटो)

भारत एक कृषि प्रधान देश है. यह गेहूं उत्पादन के मामले में चीन के बाद दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा देश है. इस साल किसानों ने 336.96 लाख हेक्टेयर में गेहूं की बुवाई की है. खास बात यह है कि अभी मौसम भी गेहूं की फसल के लिए अनुकूल है. ठंड और कोहरे से गेहूं उत्पादक किसान काफी खुश हैं. उन्हें उम्मीद है कि इस बार गेहूं की बंपर पैदावार होगी. लेकिन इसके बावजूद भी कई किसान बेहतर उपज को लेकर परेशान हैं. लेकिन अब उन्हें चिंता करने की जरूरत नहीं है. आज हम उन्हें पैदावार बढ़ाने के ऐसे उपजाए बताएंगे, जिससे अपनाकर वे मालामाल हो जाएंगे.

किसान गेहूं की बेहतर पैदावार के लिए खेत में समय पर उर्वरकों का छिड़काव करें. पोटेशियम गेहूं के लिए सबसे आवश्यक पोषक तत्व है. इसलिए उर्वरक डालते समय इनकी मात्रा अधिक रखें. आमतौर पर गेहूं की फसल में पोटेशियम की मात्र  60 प्रतिशत से अधिक रखें. क्योंकि पोटेशियम गेहूं के लिए ज्यादा फायदेमंद होता है. अगर जरूरत पड़े तो किसान फॉस्फेट और सल्फर का भी उर्रवरक के रूप में इस्तेमाल कर सकते हैं. हालांकि, ऐसे गेहूं की फसल को फॉस्फेट और सल्फर की बहुत कम जरूरत पड़ती है.

नाइट्रोजन का भरपूर इस्तेमाल

कृषि एक्सपर्ट का कहना है कि गेहूं का उत्पादन तभी बढ़ेगा, जब बालियों में अनाज के दाने अधिक होंगे. इसलिए किसान खेत में नाइट्रोजन का भरपूर इस्तेमाल करें. इससे गेहूं की बालियों में दानों की संख्या बढ़ती है. ऐसे गेहूं की अधिक उपज देने वाली फसल में लगभग 45-50 दाने वाली बालियां होती हैं. लेकिन नाइट्रोजन की आपूर्ति सीमित रहने पर यह कम हो भी हो सकती है. इसलिए खेत में नाइट्रोजन का भरपूर इस्तेमाल करें.

कृषि विशेषज्ञ की माने तो गेहूं की बुवाई करने के बाद किसानों को खेत का नियमित दौरा करते रहना चाहिए. उससे फसल के ऊपर पड़े वाले मौसमी असर का पता किसान को सही समय पर लग जाता है. अगर खेत में पीला रतुआ रोग से संक्रमित पौधे दिखाई दे रहे हैं, तो उन्हें निकाल कर बाहर फेक दें. नहीं तो वे दूसरे पौधों को भी संक्रमित कर सकते हैं. इससे उपज प्रभावित हो सकती है. साथ ही पाले और शीतलहर से फसल को बचाने के लिए किसान गेहूं की हल्की सिंचाई भी कर सकते हैं. इससे खेत में नमी बढ़ जाती है.

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न्यूट्रिएंट्स का इस तरह करें इस्तेमाल

वहीं, गेहूं की अच्छी फसल के लिए किसान खेत में न्यूट्रिएंट्स भी डाल सकते हैं. इससे पौधों अच्छे से ग्रोथ करते हैं. वहीं, कृषि वैज्ञानिकों की माने तो गेहूं की अच्छी पैदावार तभी होगी, जब फसल में हरियाली रहेगी. यानी गेहूं की पत्तियां रही रहेंगी. ऐसे में किसान गेहूं के खेत में हरियाली बनाए रखने के लिए नाइट्रोजन, मैग्नीशियम और सल्फर का इस्तेमाल कर सकते हैं. वैज्ञानिकों का कहना है कि क्लोरोफिल एक नाइट्रोजन और मैग्नीशियम युक्त प्रोटीन है, जो पौधे को हरा रंग देता है और कुशल प्रकाश संश्लेषण के लिए केंद्रीय है. 

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कीटनाशकों से बचाने के लिए करें ये काम

खेत में फसल को कीट, पतंगों और रोगों से बचाव के लिए उचित समय पर बचाव के तरीकों को अपनाएं. वहीं, खरपतवार से फसल को बचाने के लिए खेत में शाकनाशी सल्फोसल्फ्यूरॉन 75डब्ल्यूजी लगभग 13.5 ग्राम प्रति एकड़ या सल्फोसल्फ्यूरॉन प्लस मेटसल्फ्यूरॉन 16 ग्राम को 120-150 लीटर पानी में मिलाकर प्रति एकड़ छिड़काव कर सकते हैं. इससे अच्छी उपज होगी.


 

 

 

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