फसल को सिर्फ जानवर ही नहीं, बल्कि पक्षी भी बर्बाद करते हैं. कई पक्षी ऐसे भी हैं, जो बुवाई करते ही खेतों में झुंड के झुंड पहुंच जाते हैं और मिट्टी के अंदर से को बीजों को निकाल कर खा जाते हैं. ऐसे में किसान फसल को नुकसान होने से बचाने के लिए खेत की रखवाली करते हैं. इस दौरान वे पक्षियों को अपनी मौजूदगी का एहसाल कराने के लिए मुंह से तरह- तरह की आवाजें निकालते हैं. लेकिन केरल के किसानों ने पक्षियों से फसल को बचाने के लिए नया तरीका इजाद कर लिया है. वे पक्षियों को भगाने के लिए पटाखे जला रहे हैं. खास बात यह है कि किसानों ने खेत में पटाखे जलाने के लिए अलग से दिहाड़ी पर कई मजूरों को भी रखा है.
द हिंदू बिजनेसलाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, केरल के त्रिशूर जिला स्थित चेरपु में इन दिनों किसान बीज बोए धान के खेतों की रखवाली करने के लिए पटाखे जला रहे हैं. इन किसानों का कहना है कि उन्होंने हाल ही में धान की नर्सरी तैयार करने के लिए बीजों की बुवाई की है. अभी बीज अंकुरित नहीं हुए हैं. ऐसे में झुंड के झुंड पक्षी खेत में आकर धान के बीच को खा जा रहे हैं. यही वजह है कि धान के खेत के मालिक पक्षियों को भगाने के लिए पटाखे जलाने के लिए दिहाड़ी पर मजदूरों को रख रहे हैं. ये देहाड़ी मजदूर दिन में पटाखे जलाकर पक्षियों को खेतों से दूर रखते हैं.
दरअसल, चेरपू और आसपास के इलाकों में धान की नर्सरी तैयार की जा रही है. इसके लिए हाल ही में धान के बीजों की बुवाई की गई है. लेकिन प्रवासी पक्षियों का झुंड और स्थानीय कबूतर धान के दाने को खेत में आकर खा जा रहे हैं. ऐसे में धान के खेत के मालिक पीके इब्राहिम इन पक्षियों को डराने के लिए पटाखे जला रहे हैं. खास बात यह है कि इब्राहिम ने पटाखे जलाने के लिए देहाड़ी पर मजदूर भी रखा है. इन मजदूरों को पटाखा जलाने के लिए रोज 800 से 900 रुपये मिलते हैं. ज्यादातर मजदूर तमिलनाडु के रहने वाले हैं, जो केरल में देहाड़ी का काम करते हैं.
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स्थानी किसानों का कहना है कि धान के खेतों के लिए कबूतरों के अलावा सारस भी खतरा बने हुए हैं. मजे की बात यह है कि समस्या केवल 4-5 दिनों तक रहती है, जब तक कि बीज अंकुरित नहीं हो जाते हैं. बिज के अंकुरित होते ही पक्षी खेतों में आना बंद कर देते हैं. ऐसे मेंधान के खेत के मालिक 5 दिनों तक पक्षियों को डराने के लिए देहाड़ी पर मजूदर रखते हैं, जो पटाखा जलाने का काम करते हैं. चेरपू और आसपास के इलाके में करीब 150 एकड़ में किसान धान की बुवाई करते हैं. किसानों ने बताया कि पिछले साल 23 से 25 क्विंटल प्रति एकड़ पैदावार हुई थी. ऐसे में किसानों को उम्मीद है कि इस साल भी अच्छी उपज होगी.
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