अधिकांश किसानों को लगता है सिर्फ धान, गेहूं, मक्का, मसूर, चना और जौ जैसी पारंपरिक फसलों की खेती से ही अच्छी कमाई होती है, लेकिन ऐसी बात नहीं है. अगर किसान चाहें, तो रजनीगंधा की खेती से भी मालामाल हो सकते हैं. इसके लिए बस उन्हें खेती की कुछ आधुनिक तकनीकों को अपनाना होगा. अभी मार्केट में रजनीगंधा के फूलों की बहुत मांग है. क्योंकि इसका उपयोग इत्र और आयुर्वेकि दवाइयां बनाने में किया जाता है. इसके अलावा शादी ब्याह के दौरान घर और मंडप को सजाने में भी रजनीगंधा के फूलों का इस्तेमाल किया जाता है. अगर बिहार, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब के किसान इसकी खेती करते हैं, तो अच्छी कमाई कर सकते हैं.
रजनीगंधा की खेती के लिए रेतीली और चिकनी मिट्टी अच्छी मानी गई है. मिट्टी का पीएच मान 6.5 से 7.5 के बीच होना चाहिए. अगर किसान इसकी खेती करना चाहते हैं, तो सबसे पहले चिकनी और रेतीली मिट्टी वाली जमीन का चुनाव करें. इसके बाद मिट्टी को भूरभूरी होने तक खेत की दो से तीन बार गहरी जुताई कर दें. फिर पाटा चलाकर खेत को समतल करें, ताकि खेत में जलभरवा न हो. क्योंकि रजनीगंधा की फसल खेत में जलभराव होने पर खराब हो जाती है. इसके बाद आप खेत में रजनीगंधा के पौधों की रोपाई कर सकते हैं.
खास बात यह है कि रजनीगंधा की रोपाई करने के बाद उसकी अच्छी तरह से देखभाल करना भी जरूरी है. नहीं तो इसकी फसल में रोग लग सकता है. ऐसे पौधों में रोग लगने पर इसके पत्तों पर हरे रंग के धब्बे बन जाते हैं, जिससे फसल चौपट हो जाती है. अगर किसान एक हेक्टेयर में रजनीगंधा की खेती करते हैं, तो करीब 80 क्विंटल तक फूलों का उत्पादन हो सकता है. वहीं, मार्केट में रजनीगंधा का फूल 15 से 20 रुपये किलो बिकता है. इस तरह किसान एक हेक्टेयर में खेती कर सालभर में डेढ़ से दो लाख रुपये की कमाई कर सकते हैं.
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वहीं, कई राज्यों में सरकारें रजनीगंधा की खेती करने पर किसानों को सब्सिडी भी देती है. महाराष्ट्र और हरियाणा सरकार रजनीगंधा की खेती करने के लिए किसानों को समय-समय पर प्रोत्साहित करती रहती है. इन राज्यों में किसान इसकी खेती से अच्छी कमाई कर रहे हैं. वहीं, रजनीगंधा के फूलों की सप्लाई विदेशों में भी होती है. थाईलैंड सबसे बड़ा रजनीगंधा के फूलों का खरीदार है.
कृषि एक्सपर्ट की माने तो रजनीगंधा की फसल में चेपां, थ्रिप्स और सूंडी का प्रकोप सबसे अधिक देखने को मिलता है. इससे फसल का उत्पादन प्रभावित होता है. इसलिए किसानों को चेपां और थ्रिप्स से फसल को बचाव के लिए खेत में ऑक्सीडेमेटोन मिथाइल का छिड़काव करना चाहिए. ऐसे रजनीगंधा के फूल की डंठल 75 से 100 सेंटी मीटर लंबी होती है. इसलिए फूलों की पैकिंग करने से पहले उसकी कटाई- छटाई भी कर लेनी चाहिए. इसके बाद आप फूलों को बाजार में बेचकर कमाई कर सकते हैं.
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