भारतीय मसाला फसल अनुसंधान संस्थान, कोझीकोड केरल ने नई काली मिर्च प्रजाति को विकसित किया है. काली मिर्च को किसानों की आमदनी बढ़ाने में सबसे आगे माना जाता है. इसके बिक्री मूल्य और आवश्यकता दिन-ब-दिन बढ़ते रहने से काली मिर्च की मांग बढ़ रही है. काली मिर्च की बढ़ती रहनेवाली आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए और उत्पादन की कमी को मिटाने के लिए भारतीय मसाला फसल अनुसंधान संस्थान (आईआईएसआर) के वैज्ञानिकों ने उच्च उत्पादन क्षमता वाली नई काली मिर्च प्रजाति को विकसित किया है.
काली मिर्च की ‘चंद्र’ नाम की यह नई प्रजाति श्रेष्ठ उत्पादन क्षमता वाली है. इसकी एक बेल से 7.5 किलो काली मिर्च उपज मिल सकती हैं. डॉ. शिवकुमार एमएस, डॉ. बी शशिकुमार, डॉ. सजी के वी, डॉ. षीजा टी ई, डॉ. के एस कृष्णमूर्ति, डॉ. शिवरंजनी आर. आदि के एक दल ने इस नई प्रजाति को विकसित करने के पीछे काम किया है.
कई सालों के कठिन परिश्रम के बाद आईआईएसआर के वैज्ञानिक चंद्र को विकसित कर सके हैं. साधारण तौर पर दो तरह के काली मिर्च से नई तरह की संकर काली मिर्च को विकसित किया जाता है. लेकिन चंद्र को विकसित करने में वैज्ञानिकों ने एक नया तरीका अपनाया है. शुरुआत में चोलमुंडी, तोम्मनकोडी जैसी प्रजातियों से एक संकर प्रजाति को विकसित किया फिर दूसरे चरण में इस संकर प्रजाति को मातृ पौधे के रूप में स्वीकार करके तोम्मनकोडी से लिए गए पराग को परागण करके चंद्र को विकसित किया गया.
वर्तमान में मौजूद अन्य सभी प्रजातियों की अपेक्षा चंद्र की स्पाइकें लंबी होती हैं. वर्तमान में प्रचलित सभी काली मिर्च प्रजातियों के बदले नई किस्म में कई विशेषताएं मौजूद हैं. अनुसंधान केंद्र के निदेशक डॉ. आर. दिनेश ने कहा कि साल भर में काली मिर्च उपलब्ध कराने के लिए भी चंद्र अनुकूल है. चंद्र के पौधे को वाणिज्यिक तौर पर उगाने के लिए आवश्यक लाइसेंस भी आईआईएसआर से दिया जाता है. नई प्रजाति चंद्र का उत्पादन करने के लिए लाइसेंस 8 उद्यमियों को 22 नवंबर को भारतीय मसाला फसल अनुसंधान संस्थान में दिया गया.
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