Betel Farming: पान में क्या होती है थाक लगाने की विधि जो पत्ते को सड़ने से बचाती है

Betel Farming: पान में क्या होती है थाक लगाने की विधि जो पत्ते को सड़ने से बचाती है

तुड़ाई के बाद, पान के पत्तों को उनके आकार, दाग-धब्बों आदि के अनुसार अलग कर लिया जाता है और डंठलों के बीच 1-1.5 सेमी की दूरी छोड़ दी जाती है. 100 पान की दूरी रखते हुए थाक की व्यवस्था की जाती है. बोलचाल की भाषा में 200 पान के पत्तों के बंडल को 'ढोली' कहा जाता है.

Advertisement
Betel Farming: पान में क्या होती है थाक लगाने की विधि जो पत्ते को सड़ने से बचाती हैपान के पत्तों को सुरक्षित रखने का तरीका

भारत में पान का सेवन बड़े पैमाने पर किया जाता है. खासतौर पर माउथ फ्रेशनर के तौर पर इसका इस्तेमाल पसंद किया जाता है. इस पत्ते का स्वाद बढ़ाने के लिए इसमें चुना, कत्था, सुपारी, गुलकंद और न जाने क्या-क्या मिलाया जा सकता है. कई लोगों को पान खाने की लत लग जाती है तो कई लोग इसके स्वाद के कारण इसे यूं ही खा लेते हैंपान के पत्ते का वैज्ञानिक नाम पाइपर बेटल है. जिसके कारण पान की मांग हमेशा बनी रहती है. ऐसे में पान को सुरक्षित रखना बहुत जरूरी है. ताकि बाजारों में पान की अच्छी कीमत मिल सके. ऐसे में किसान थाक विधि अपनाकर पान के पत्ते को सड़ने से बचाते हैं. आइए जानते हैं क्या है ये तरीका.

क्या है थाक विधि?

तुड़ाई के बाद, पान के पत्तों को उनके आकार, दाग-धब्बों आदि के अनुसार अलग कर लिया जाता है और डंठलों के बीच 1-1.5 सेमी की दूरी छोड़ दी जाती है. 100 पान की दूरी रखते हुए थाक की व्यवस्था की जाती है. बोलचाल की भाषा में 200 पान के पत्तों के बंडल को 'ढोली' कहा जाता है, जिसमें एक सौ पत्तों को अन्य सौ पत्तों के ऊपर अलग दिशाओं में रखा जाता है. बांस की जालीदार टोकरी को बिछाकर उस पर एक ढोली के ऊपर दूसरी ढोली बिना दबाए रखे जाते हैं. जब यह टोकरी भर जाती है तो उसके ऊपर दूसरी टोकरी रख दी जाती है और दोनों को पतली रस्सी से बांध दिया जाता है और उस टोकरी को बेचने के लिए बाजार में भेज दिया जाता है. 

पान की पत्तियों को ऐसे रखें सुरक्षित

पत्तियों को पॉलिथीन की थैलियों में भरकर कम तापमान (4.8°C) पर रखने से पत्तियां अधिक दिनों तक ताजी और सुरक्षित रहती हैं.

पत्तों को गीले कपड़े में लपेटकर बांस की टोकरी में सामान्य तापमान पर रखने से हवा का संचार होता है, जिससे पान सड़ने की दर कम हो जाती है और कम तापमान (4.8°C) पर उपरोक्त प्रक्रिया को रोका जा सकता है. इस प्रकार पान को बाजार में उचित मूल्य पर बेचा जा सकता है.

ये भी पढ़ें: Paan Ki Kheti: बरेठा के बिना मुश्किल है पान की खेती, हर मौसम में करता है पौधों की सुरक्षा

पान के पत्तों में पाए जाने वाले पोषक तत्व

  • पानी: 85-90%
  • प्रोटीन: 3-3.5%
  • फैट: 0.4-1%
  • खनिज पदार्थ: 2.3-3.3%
  • फाइबर: 2.3%
  • कार्ब्स: 0.5-6.1%
  • पोटैशियम: 1.1-4.6%
  • कैल्शियम: 0.2-0.5%
  • विटामिन-सी: 0.005-0.01%
  • इसेन्शियल ऑयल: 0.08-0.2%

पान की पत्तियों के क्या फायदे

  • इसमें एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं.
  • यह फंगस की ग्रोथ को रोक सकती हैं.
  • एलर्जिक रिएक्शन से बचाती हैं.
  • यह चोट को ठीक करने में मदद करती हैं.
  • कब्ज की समस्या को ठीक कर सकती हैं.
POST A COMMENT