फसलों की ज्यादा पैदावार बढ़ाने के लिए किसान बड़े पैमाने पर रासायनिक खाद और कीटनाशक का प्रयोग कर रहे हैं. उर्वरक के बढ़ते प्रयोग से उत्पादन तो जरूर बढ़ा है लेकिन खेती से पैदा होने वाले कृषि उत्पाद अब जहरीले हो रहे हैं. ऐसे में कृषि विभाग किसानों के बीच गोष्ठियों के द्वारा जैविक खेती को प्रोत्साहन देने का काम कर रहा है. उत्तर प्रदेश के हर जनपद में कृषि विभाग के अधिकारियों के द्वारा किसानों को जैविक खेती फायदे बताए जा रहे हैं. यूपी के हापुड़ में भी किसानों को बिना कीटनाशक के उपयोग के भी कीटों का सफाया करने के उपाय भी बताये गए हैं. इन उपायों के द्वारा जहां खेती में कीटनाशक का उपयोग घटेगा तो वही फसल उत्पादन भी ज्यादा सेहतमंद होंगा.
कृषि विभाग के द्वारा अब किसानों को जैविक कीटनाशक का उपयोग करने की सलाह दी जा रही है. रासायनिक खाद और कीटनाशक के बढ़ते प्रयोग से जहां अन्य और सब्जियां जहरीली हो रही है. ऐसे में किसान इनकी उपयोग को कम करके अपने उत्पादों को ज्यादा सेहतमंद बन सकता है. उन्होंने किसानों को बताया कि गंगा को प्रदूषण मुक्त करने के उद्देश्य से खादर क्षेत्र के रामपुर, हैदरपुर , लाठीरा , आलमपुर , भगवंतपुर इनायतपुर, बलवापुर , किरावली, पूठ, नवादा, आलमनगर , शंकर टीला समेत गांव में शासन के द्वारा जैविक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है. जैविक उत्पादों की बढ़ती मांग से किसानों की आर्थिक स्थिति में भी सुधार हो रहा है.
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कृषि विभाग के एसडीओ सतीश चंद्र शर्मा ने बताया लोगों की औसत आयु लगातार घट रही है. जहरीले रसायनों से अन्य और सब्जियां दूषित होने के साथ-साथ भू-जल भी दूषित हो रहा है. ऐसे में किसान बिना रसायन के भी कीटों की रोकथाम कर सकता है. उन्होंने किसानों को फेनोमेन ट्रेप बनाने का तरीका भी बताया. इसके लिए एक प्लास्टिक कीपनुमा बनाना होगा जिसमें नीचे एक बड़ी जाली लगी होती है. फेरोमोन ट्रेप में एक कैप्सूल लगाया जाता है जिसे ल्योर कहा जाता है. ल्योर से मादा किट की खुशबू आती है जिसके चलते नर किट इसमें फंस जाते हैं. नीम के तेल के छिड़काव करने से भी कीटों पर नियंत्रण होता है. इसके अलावा धतूरा, लहसुन से भी जैविक स्प्रे बनाकर छिड़काव करने से फसलों पर कीटों का नियंत्रण होता है.
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