किसान ने अपने घर में बनाया देसी बीज का बैंक, अब ऑर्गेनिक खेती से हो रही 20 लाख की कमाई

किसान ने अपने घर में बनाया देसी बीज का बैंक, अब ऑर्गेनिक खेती से हो रही 20 लाख की कमाई

इस किसान का नाम अनिल गवली है जिन्होंने महाराष्ट्र के सोलापुर में अपने घर मं देसी बीज का बैंक बनाया है. इस बीज बैंक से देश के 40 हजार किसान जुड़े हैं जो यहां से बीज लेकर अपने खेतों में बुआई करते हैं. अनिल गवली देसी बीजों से प्राकृतिक खेती करते हैं जिससे उन्हें 20 लाख तक की कमाई होती है.

Advertisement
किसान ने अपने घर में बनाया देसी बीज का बैंक, अब ऑर्गेनिक खेती से हो रही 20 लाख की कमाईसोलापुर के युवा किसान अनिल गवली

महाराष्ट्र के सोलापुर में एक युवा किसान पारंपरिक देसी बीज से ऑर्गेनिक खेती कर साल में बीस लाख रुपये की कमाई कर रहे हैं. इस युवा किसान का नाम है अनिल गवली. अनिल गवली ने अपने आठ एकड़ खेत में अपने परिवार की सेहत के लिए और अपने शौक के लिए पारंपरिक देसी बीज को इकट्ठा किया है. उन्होंने अपने खेत में बाकी फसलों के उत्पादन के साथ देसी बीज से सब्जियां उगाना शुरू किया. पिछले दस साल की खेती का नतीजा है कि अनिल के पास लगबग 60 प्रकार की सब्जियां, गेहूं, मक्का, बाजरा के अच्छे देसी बीज उपलब्ध हैं. अनिल गवली इस देसी बीज के प्रसार के लिए कृषि मेले में अपनी स्टॉल लगाते हैं. उन्होंने अपने घर में ही बीज बैंक तयार किया है. अनिल गवली की इस खेती और उनके प्रयास से लगभग चालीस हजार लोग उनसे जुड़े हैं. इससे वे साल में बीस लाख रुपये कमाते हैं. 

युवा किसान कहते हैं कि देश में सभी की सेहत अच्छी रहे, इसलिए वे पारंपरिक देसी बीज के प्रचार-प्रसार पर फोकस करते हैं. देसी बीज के प्रसार के लिए उन्होंने अपने घर में ही बीज बैंक बनाया है. इससे वे खुद की आर्गेनिक खेती करते हैं और बाकी किसानों की भी मदद करते हैं. अनिल गवली को इस खेती से अच्छा मुनाफा भी हो रहा है. उनकी इस खेती से रोजगार भी जुड़ा है.

10 हजार लोगों को दिए देसी बीज

किसान अनिल गवली 'आजतक' से कहते हैं, पिछले 10 साल में देसी बीज का बैंक तैयार किया गया है. इस बैंक में देसी बीजों को रखकर उनका संवर्धन किया जाता है. पिछले 10 साल में 10 हजार किसानों तक देसी बीज पहुंचाया गया है. देसी बीज का फायदा ये होता है कि हर साल किसानों को देसी बीज खरीदने की जरूरत नहीं पड़ती. खेत से निकली उपज को ही जमा कर रखा जाता है और अगले साल उससे बीज बना लिया जाता है.

ये भी पढ़ें: PM-PRANAM: क्या है पीएम-प्रणाम योजना, क‍िसानों को क्या होगा फायदा? 

आजकल बोए जाने वाले बाजरे को पंक्षी बहुत नुकसान पहुंचाते हैं, लेकिन देसी बीज से बुआई की जाए तो बाजरे को नुकसान नहीं होगा. अनिल गवली इस बारे में कहते हैं, देसी बीज से उगाए जाने वाले बाजरे की बालियों पर आधा इंच बाल आता है. जब पंक्षी इन बालियों को खाने चलता है तो बाजरे के बाल उसके नाक में फंस जाते हैं. इस परेशानी के चलते पंक्षी देसी बाजरे की बालियों को नहीं खाते. 

देसी बीज का फायदा बहुत

युवा किसान अनिल गवली कहते हैं कि उन्होंने अपनी और बाकी किसानों की मेहनत से 80 फसलों का बीज बैंक तैयार किया है. अगर इससे अलग कोई बीज किसान के पास है तो वे बैंक में देते हैं औऱ अपनी जरूरत का बीज बैंक से फ्री में ले जाते हैं. देसी बीज की खासियत ये है कि इससे खेती करने पर केमिकल खाद देने की जरूरत नहीं होती. केवल गोबर खाद देकर खेती की जा सकती है. देसी बीज की क्वालिटी होती है कि उसमें कम से कम बीमारी लगती है, इसलिए खाद या कीटनाशक का छिड़काव नहीं करना पड़ता है. 

ये भी पढ़ें: Natural Farming: इस राज्य के तीन लाख किसानों को हर महीने मिलेगी प्राकृतिक खेती की ट्रेनिंग, रोडमैप तैयार

साल में 20 लाख रुपये की कमाई

देसी बीज की खासियत बताते हुए किसान अनिल गवली कहते हैं, शॉर्ट बिन (एक तरह की फली) के एक बीज को लगाने से किसान को 300 से 400 किलो तक उत्पादन मिलता है. इसे उगाने के लिए किसी भी तरह की खाद या दवाई की जरूरत नहीं पड़ती. गवली के पास कुछ आठ एकड़ खेत है जिसमें वे देसी बीज से फसलों की बुआई करते हैं. इससे उन्हें साल में 20 लाख रुपये तक की आमदनी होती है. गवली के बीज बैंक से पूरे देश के 40 हजार किसान जुड़े हैं जबकि महाराष्ट्र के 10,000 किसान हैं.

POST A COMMENT