आज के दौर में देश-दुनिया में कृषि और किसानों के समक्ष कई प्रकार की समस्याएं आ रहे ही. इन सभी में से जलवायु परिवर्तन किसानों के लिए सबसे बड़ी चुनौती बनकर उभरी है. यह इस चुनौती का सामना सिर्फ एक या दो देश के किसान नहीं कर रहे हैं बल्कि पूरी दुनिया के किसान जलवायु परिवर्तन के कारण कृषि में चुनौतियों का सामना कर रहे हैं. इसका खुलासा एक सर्वे में किया गया है. हाल ही में दुनिया के दस देशों के किसानों से बात की गई. इसमें भारतीय किसान भी शामिल थे. किसानों से हाल के वर्षों में कृषि के सबसे बड़ी चुनौती क्या है यह सवाल पूछा गया था. जिसके जवाब में किसानों ने एकजुट होकार कहा कि जलवायु परिववर्तन उनके लिए सबसे बड़ी समस्या है.
सर्वे के दौरान यह पाया गया की आठ में से 10 किसानों ने सामान्य से अधिक तामपान के कारण पड़ रहे असर को महसूस किया है. साथ ही उनका यह भी कहना है कि इसके कारण आने वाले वर्षों में उत्पादन में और भी कमी आएगी. फार्मर्स व्याइस नाम से किए गए इस सर्वेक्षण को बेयर्स कंपनी ने कराया था. इसमे कई महत्पूर्ण बातें सामने आई है. सर्वेक्षण करने के लिए बेर्यस नें केक्सेट सीएनसी को 800 किसानों का अलग अलग इंटरव्यू करने के लिए कमिशन किया था. इसमें ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, चीन,भारत, जर्मनी, केन्या, यूक्रेन और यूनाइटेड स्टेट्स के किसान बराबर की संख्या में शामिल थे.
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इन किसानों में से 76 प्रतिशत किसानों ने बदलते जलवायु को लेकर अपनी चिंता व्यक्त की औऱ कहा कि भविष्य के लिए यह सबसे बड़ी चुनौती है. जबकि 71 प्रतिशत किसानों ने कहा कि जलवायु परिवर्तन का असर शुरू हो चुका है और इसका असर उनके खेतों में पड़ रहा है. सर्वेक्षण में यह तथ्य भी सामने आया की जलवायु परिवर्तन के प्रभाव के कारण पिछले दो सालों में किसानों की आय में 15.7 फीसदी तक की गिरावट आयी है. जबकि आठ देशों के छह में से एक किसान ने यह दावा किया गया कि इस अवधि के दौरान उनकी आय में 25 फीसदी तक की गिरावट आयी है.
बेयर्स कंपनी के बोर्ड ऑफ मैनेजमेंट और बेयर्स क्रॉप साइंस डिविजन के अध्यक्ष रोड्रिगो संतोष ने एक वर्चुअल मीडिया राउंड टेबल को संबोधित करते हुए कहा कि किसान जलवायु परिवर्तन के विपरित प्रभावों से जूझ रहे हैं और इस समय वो इस समस्या से निपटनेके लिए महत्वपूर्ण भूमिका भी निभा रहे हैं. यही कारण है कि उनकी आवाज को सबसे समक्ष रखनी होगी. इस सर्वे में जो सबसे बड़ी चुनौती जलवायु परिवर्तन को लेकर सामने आ रही है इससे यह साफ दिखा रहा है कि वैश्विक स्तर पर खाद की कमी हो सकती है. इसलिए बढ़ती वैश्विक आबादी को भोजन देने के लिए कृषि के तरीके में बदलाव करना करना होगा.
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किसानों की आवाज सर्वे में यह बात भी सामने आयी की कई किसान जलवायु परिवर्तन के प्रभाव को कम करने का प्रयास कर रहे हैं. 80 प्रतिशत से अधिक किसानों ने बताया कि वो ग्रीन हाउस गैस के उत्सर्जन को कम करने के लिए अभी से प्लानिंग कर रहे हैं औऱ इसके लिए कई उपाय भी अपना रहे हैं. इसके तहत किसान ब़योफ्यूल और ऑर्गेनिक इंधन का इस्तेमाल कर रहे हैं. साथ ही कार्बट उत्सर्जन को कम करने के उपाय किए जा रहे हैं.
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