महाराष्ट्र में बारिश की कमी के कारण गन्ना उपज में आयी गिरावट, 20 फीसदी तक घट सकता है चीनी का उत्पादन

महाराष्ट्र में बारिश की कमी के कारण गन्ना उपज में आयी गिरावट, 20 फीसदी तक घट सकता है चीनी का उत्पादन

चीनी उत्पादन के मामले में महाराष्ट्र भारत का अग्रणी राज्य है. यहां पर देश का दो-तिहाई हिस्से का चीनी का उत्पादन होता है. राज्य के चीनी मिलों से वर्ष 2022-23 में 10.5 मिलियन टन चीनी का उत्पादन किया गया था.

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महाराष्ट्र में बारिश की कमी के कारण गन्ना उपज में आयी गिरावट, 20 फीसदी तक घट सकता है चीनी का उत्पादनमहाराष्ट्र में घट सकता है गन्ने का उत्पादन फोटोः किसान तक

महाराष्ट्र से इस बार चीनी उत्पादन को लेकर एक निराश करने वाली खबर आ रही है क्योंकि खबर के मुताबिक महाराष्ट्र में इस फसल वर्ष 2023-24 में चीनी के उत्पादन में 20 प्रतिशत तक की गिरावट आ सकती है. दरअसल राज्य में मॉनसून के दौरान हुई कम बारिश के कारण गन्ने के उत्पादन पर व्यापक असर पड़ असर पड़ा है. जाहिर है गन्ने का उत्पादन कम होगा तो चीनी मिलों के पास पर्याप्त मात्रा में गन्ना नहीं पहुंच पाएगा. यही वजह है कि बारिश की कमी के कारण चीनी मिलों को भी कई प्रकार के संकटों से जूझना पड़ रहा है. कयास लगाए जा रहे हैं कि बारिश की कमी के कारण पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष 20-25 फीसदी तक चीनी के उत्पादन में कमी आ सकती है. 

गौरतलब है कि चीनी उत्पादन के मामले में महाराष्ट्र भारत का अग्रणी राज्य है. यहां पर देश का दो-तिहाई हिस्से का चीनी का उत्पादन होता है. राज्य के चीनी मिलों से वर्ष 2022-23 में 10.5 मिलियन टन चीनी का उत्पादन किया गया था. बिजनेसलाइन की खबर के मुताबिक वेस्ट इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन के अध्यक्ष बीबी थोंबरे ने कहा कि शुगर मिलों की चिंताए इस लिए बढ़ गई है क्योंकि आने वाले सीजन में चीनी मिलों के पास गन्ने की भारी कमी हो सकती है. क्योंकि इस बार गन्ने के उत्पादन में भारी कमी आई है. 

20-25 फीसदी तक गिर सकता है गन्ने का उत्पादन

बीबी थोंबरे ने कहा कि इस बार जुलाई और अगस्त के महीने में कम बारिश हुई थी, फिर हमें उम्मीद थी कि सितंबर महीने में अच्छी बारिश होगी. पर बारिश नहीं हुई और यह उम्मीद भी टूट गई. उन्होंने कहा कि हमारा पहले का पूर्वानुमान था कि बारिश नहीं होने के कारण इस बार गन्ने के उत्पादन में 15 फीसदी तक कमी कमी आएगी पर अभी जो हालात हैं उससे लग रहा है कि 20-25 फीसदी तक उत्पादन में गिरावट आ सकती है. इसके अलावा गन्ने कि पेराई के लिए सरकार की अनुमति मिलने में देरी होना भी चीनी मिलों की परेशानियों को और बढ़ा सकता है.

राज्य के बाहर गन्ना नहीं बेच सकते किसान 

महाराष्ट्र में बढ़ रहे गुड़ और खंडसारी उद्योग का जिक्र करते हुए थोंबरे ने कहा कि अगर जल्द की चीनी मिलों का गन्ना पेराई की अनुमति नहीं मिलेगी तो किसान अपने गन्ने को खंडसारी और गुड़ उद्योग को दे सकते हैं ऐसे में चीनी मिलों के पास चीनी बनाने के लिए गन्ने की कमी हो सकती है. वहीं दूसरी तरफ महाराष्ट्र सरकार ने एक अधिसूचना जारी करते हुए गन्ना किसानों से कहा है कि वो अपने गन्ने को राज्य के बाहर नहीं बेचें. क्योंकि इससे राज्य के चीनी मिलों का कार्यदिवस 90 दिनों तक सीमित हो जाएगा.

 

सरकार के फैसला के किसान कर रहे विरोध

वहीं सरकार के इस फैसले का विरोध भी शूरू हो गया है. स्वाभीमानी क्षेत्रीय संगठन के अध्यक्ष राजू सेट्टी ने कहा कि राज्य सरकार को अपना यह फैसला वापस लेना होगा. उन्होंने कहा कि किसान दो अक्टूबर तक सरकार के फैसले को वापस लेने का इंतजार करेंगे उसके बाद सड़कों पर आंदोलन करेंगे. शेट्टी ने कहा कि किसानों के पास अपने उत्पाद को बेचने की आजादी होनी चाहिए. कर्नाटक की कई ऐसी चीनी मिलें हैं जो किसानों को अच्छी कीमत देती है तो फिर किसान वहां पर जाकर अपने उत्पाद क्यों नहीं बेचें. किसानों को बंधन में बांधना ठीक नहीं है.  
 

 

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