SOLAR POWER : हमारे देश में जहां सदियों से प्रकृति की पूजा की जाती है, वहां सूरज सिर्फ एक आग का गोला नहीं, बल्कि अक्षय ऊर्जा का परम स्रोत माना जाता रहा है. इसकी उपासना के देश में कई पर्व मनाए जाते हैं. इससे जन आस्था जुड़ी हुई है. वहीं सूर्य जो आशीर्वाद रूपी अपलक ऊर्जा हम सब पर लुटाता है, उसकी ऊर्जा का सही उपयोग करने की कला को आगे बढ़ाने की ज़रूरत है. यानी सौर ऊर्जा, जिसका उपयोग करने की कला, विज्ञान के विकास के साथ ही और बेहतर होती गई है. उसे अब व्यापक तौर पर अपनाने की ज़रूरत है. अब खेती में भी सौर ऊर्जा के इस्तेमाल में बढ़ोत्तरी हो रही है. खेती और कृषि में उपयोग होने वाले उपकरणों को चलाने के लिए सोलर पावर से बनी ऊर्जा का उपयोग किया जा रहा है. इससे किसान बिजली न होने पर भी ट्यूबवेल, सबमर्सिबल समेत कई कृषि उपकरणों को चलाकर खेत पर पड़ने वाले अनावश्यक भार को कम कर सकते हैं. आइए जानते हैं खेती में इस्तेमाल होने वाली 5 सौर ऊर्जा उपकरणों के बारे में, जिनके इस्तेमाल से लागत के साथ-साथ मेहनत भी कम हो जाती है.
किसी भी वॉटर पंप का काम पानी को एक जगह से दूसरी जगह पहुंचाना होता है. इसी तरह सोलर वॉटर पंप का काम भी यही होता है और क्योंकि यह सोलर वॉटर पंप है. इसे चलाने के लिए सूरज की रोशनी की जरूरत होती है. इसका इस्तेमाल बड़े पैमाने पर किया जाता है. सिंचाई पंप, घरेलू पंप, बागवानी फार्म आदि में कर सकते हैं. मुख्य रूप से सोलर वॉटर दो ही प्रकार के होते हैं. पहला सोलर सबमर्सिबल पंप अपने देश में सबसे ज्यादा इस्तेमाल किया जाता है. यह सबमर्सिबल पंप जमीन के अंदर रहकर पानी को ऊपर भेजता है और सोलर सबमर्सिबल पंप का इस्तेमाल अधिक गहराई से पानी निकालने के लिए किया जाता है. जहां पानी की गहराई 40 फीट से ज्यादा होती है. यह सबमर्सिबल पंप है वहां अधिकतर प्रयोग किया जाता है सौर सर्फेस पंपसोलर सरफेस पंप का उपयोग पानी को जमीन या जमीनी स्तर से ऊपर उठाने या इधर-उधर भेजने के लिए किया जाता है, इसलिए जहां पानी की गहराई 30 फीट से ऊपर है, वहां सोलर सरफेस पंप का उपयोग किया जाता है.एचपी डीसी सबमर्सिबल पंप से तकरीबन 40 हजार लीटर पानी प्रतिदिन के हिसाब से दो एकड़ भूमि की सिंचाई किया जा सकता है. दो एच.पी. सोलर पम्प 1 लाख 25 से लेकर 2 लाख तक आते है. राज्य सरकार और केन्द्र सरकार की तरफ से सब्सिडी की सुविधा का प्रावधान है.
फल सब्जियों और मसाले की खेती करने वाले किसानों को कई अच्छी पैदावार होने के बाद मार्केट में उचित दाम नही मिलने से उनको घाटा होता है. फल ,सब्जियों और मसालो में ज्यादा नमी होने के काऱण जल्दी खराब होने के डर से किसान बहुत कम दाम में बेच देते है, इसमें मुख्य रुप से टमाटर, प्याज, हल्दी, अदरक सहित कई फल सब्जियां और मसाला फसलें होती हैं. जिसको सुखाकर नमी को कम कर दिया जाता है, जिससे वह कई दिनों तक सुरक्षित रखी जा सकती है, इस तकनीक में पूरी सफ़ाई के साथ सुखाई जा सकती हैं. इसके अलावा इसका इस्तेमाल कर अनाज को मंडी में भेजने से पहले सुखाया जाता है. इन ड्रायर में आमतौर पर ऊर्जा पैदा करने के लिए निष्क्रिय सौर पैनलों का उपयोग किया जाता है. बड़े सोलर ड्रायर में एक शेड बने होते हैं, जिसमें अनाज को सुखाने के लिए एक रैक और एक सोलर पैनल होता है. शेड में पंखे जरिए गर्म हवा चलायी जाती है. जबकि छोटे सब्जी फल और मसालों के प्रोसेसिंग के लिए सोलर डिहाइड्रेटर होता है .इसके लिए 6 फीट लम्वी 3 फीट उंची और 3 फीट की शेड बनी होती है औऱ एक रैक और एक सोलर पैनल होता है. पंखे से जब शेड के जरिए गर्म हवा चलायी जाती है. इसकी खास बात रहती शेड अन्दर सुखाने से किसी तरह की गंदगी नही जाती है और रंग में ज्यादा बदलाव नही आता है.
जहां पशुओं और जंगली जानवरों से खेतों को अक्सर नुक़सान पहुंचता है, वैसी जगहों के लिए सोलर फेंसिंग एक वरदान के समान है. ये बिना नुक़सान पहुंचाए जानवरों को केतों से दूर रखती है. जैसे जंगली सूअर, नीलगाय जैसे पशु खेतों को क्षति नहीं पहुंचा पाते. इसलिए सौर ऊर्जा से संचालित बिजली की बाड़ खेतों और पशुपालकों के बड़े फार्मों के लिए बहुत फायदेमंद है. बैटरी से चलने वाले सोलर फेंसिंग की लागत प्रति एकड़ 45 हजार से 50 हजार रुपये तक आती है. जिस पर कई राज्य सरकारों की तरफ़ से अलग-अलग अनुदान भी दिया जाता है. राजस्थान और हिमाचल प्रदेश के किसान बड़े पैमाने पर इसका इस्तेमाल कर लाभ उठा रहे हैं.
इन सब यंत्रों के अलावा खेती में रसायनों के स्प्रे के लिए आजकल सोलर स्प्रेयर का इस्तेमाल भी बढ़ा है. जिससे किसान ना केवल छिड़काव में लगने वाला श्रम बचता है बल्कि इससे स्प्रे करने पर समय की भी काफी बचत हो जाती है. बाजार में इसकी क़ीमत 3 हजार से लेकर 5 हजार रुपए तक है जिस पर कई राज्य सरकारें अनुदान देती हैं.
सोलर इन्सेक्ट ट्रैप को बनाने में सोलर प्लेट और सोलर चार्जेबल बैटरी होती है, इसके बाद कीटों को आकर्षित करने के लिए अल्ट्रा वायोलेट एलईडी लैंप की जरूरत पड़ती है और फिर इन तीनों चीजों को जोड़कर बना दिया जाता है. इको फ्रेंडली सोलर इन्सेक्ट ट्रैप, जो की किसी भी तरह के हानिकारक कीट को अपनी तरफ आकर्षित करके खत्म करने में सक्षम है. यह सोलर ट्रैप रात होते ही ऑटोमेटिक चालू हो जाते है औऱ लगातार 5 से 6 घंटे चलता है, जब सूरज की रोशनी धीमी पड़ने लगती है और उसके 4 घंटे बाद तक फ़सल पर कीटों का प्रकोप सबसे ज्यादा होता है. और इसी समय सोलर इंसेक्ट ट्रैप अपना काम करना चालू कर देती हैं. सोलर इंसेक्ट ट्रैप में लगी एलईडी लाइटों के कारण कीट इसकी तरफ आकर्षित होते हैं. और इसके पास पहुंचते ही नीचे डाले गए केरोसिन या डीजल में गिरकर मर जाते हैं. बाजार में इसकी क़ीमत 3 हजार से लेकर 5 हजार रुपए तक है जिस पर कई राज्य सरकारें अनुदान देती हैं.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today