हमारा देश कई क्षेत्रों में तरक्की की नई इबारत लिख रहा है. सॉफ्टवेयर और अंतरिक्ष विज्ञान के मामले में हम गिने चुने देशों में शामिल हैं,लेकिन खेती में हम आधुनिक विज्ञान के इस्तेमाल करने में कहीं पीछे रह गए हैं. आधुनिक कृषि उपकरणों की पहुंच देश के गावों में ना के बराबर है. इसके पीछे सबसे बड़ा कारण जागरुकता का अभाव है. चूंकि अब 15 मई के बाद खरीफ सीजन की शुरुआत हो जाएगी. इसलिए किसान तक की सीरीज खरीफनामा में मॉर्डन कृषि यंत्रों पर पूरी रिपोर्ट, ये माॅडर्न कृषि यंत्र खरीफ सीजन में फसलों की बुवाई-जुताई में किसानों की राह आसान बनाएंगे.
कृषि विज्ञान केन्द्र किशनगंज के प्रमुख और कृषि इंजीनियर डॉ मनोज कुमार राय ने किसान तक से विशेष बातचीत में कहा कि खरीफ फसलों को बुवाई के लिए खेत तैयारी, जुताई और बुआई का काम लगभग एक साथ होता है. इतने सारे कार्यों का निपटारा तेज़ी से और सही ढंग से करना एक बड़ी चुनौती है, लेकिन किसान मॉडर्न कृषि यंत्रों के सहारे इन कामों को बेहद आसान बना सकते हैं. उन्होंने बताया कि रोटावेटर एक ट्रैक्टर के साथ कार्य करने वाली मशीन है, जिसका इस्तेमाल खेत की तैयारी लिए किया जाता है. रोटावेटर फसल अवशेष को मिट्टी में मिलाने के साथ ही खेत को अच्छी प्रकार से बुवाई के लिए तैयार कर देता है. रोटावेटर के इस्तेमाल से लागत, समय और ऊर्जा आदि की भी बचत होती है.
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किसान तक से बातचीत डॉ मनोज कुमार राय ने कहा कुछ साल पहले विकसित गई रोटी सीड ड्रील रोटावेटर मशीन खेत तैयारी के साथ में बीज की बुआई का भी अच्छी तरह कर देती है. रोटावेटर की सबसे बड़ी खासियत यह है की इससे जुताई करने के बाद खेतो में पाटा लगाने की जरुरत नहीं पड़ती है. इस मशीन का इस्तेमाल किसी भी मिट्टी के जुताई में किया जा सकता है. चाहे मिट्टी दोमट, चिकनी ,बलुई, बलुई दोमट, चिकनी दोमट आदि क्यों न हो. रोटावेटर के कीमत इसकी तकनीक और इसकी आधुनिकता पर निर्भर करता है. भारतीय बाजारों में इसकी क़ीमत 50 हजार से शुरू होकर 2 लाख रुपये तक होती है.
कृषि मशीनीरी विशेषज्ञों के अनुसार धान की खेती करना किसानों के लिए काफी मेहनत भरा होता है, क्योंकि इसके लिए पहले किसान को धान की नर्सरी तैयार करनी होती है और फिर एक-एक पौधे की रोपाई करनी होती है,जिसमें काफी वक्त और पैसा लगता है, लेकिन ड्रम सीडर जो एक मानव चालित यंत्र है. इसके माध्यम से अंकुरित धान की सीधी बुआई की जाती है. ड्रम सीडर के इस्तेमाल से किसान ना सिर्फ अपना समय बचा सकते हैं, बल्कि अपने पैसे की भी बचत कर सकते हैं, जिस खेत में इसका प्रयोग किया जाता है, उस खेत में सीधी बुआई की जाती है.
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ड्रम सीडर 6 प्लास्टिक डब्बों का बना हुआ यंत्र है. डब्बों की लंबाई 25 सेंटीमीटर, और व्यास 18 सेंटीमीटर होती है, जिसमे बुवाई के लिए रखा जाता है. इस मशीन से एक बार में 12 कतार में बीज की बुआई होती है. इसकी कीमत 7 हजार से लेकर 9 हजार रुपये तक होती है.ड्रम सीडर से की बुवाई करने से कम लागत और अधिक उपज और प्रति हेक्टेयर कम मजदूरो की जरूरत धान के नर्सरी की जरूरत नही होती है. इसमे कम सिंचाई की जरूरत होती है और छिटकवां विधि की तुलना में 15 फीसदी उपज ज्यादा होती है.
किसान तक से बातचीत में डॉ मनोज कुमार राय ने रेज्ड बेड प्लांटर मशीन के बारे में चर्चा करते हुए बताया कि ये मशीन ये टैक्ट्रर से संचालित होती है. मेड पर बुवाई करने का मशीन है .इस यंत्र से मक्का, अरहर, सोयाबीन और मूंगफली दलहनी और तिलहनी बुवाई की जा सकती है.इस यंत्र उपयोग करने से करीब 20 से 30 फीसदी सिंचाई जल की बचत होती है. इसके साथ ही करीब 20 से 25 फीसदी खाद और बीज की बचत होती है. इस मशीन के उपयोग से मृदा में नमी बनी रहती है. जैसी फसलों की बुआई मेड़ पर की जाती है. ये मशीन मेड बनाने के .साथ ही बुवाई का भी कार्य कर देती है. इस मशीन में बीज और उर्वरक बॉक्स, रेज्ड बेड यूनिट, नाली बनाने वाली यूनिट और बेड शेपर होते हैं.परम्परागत विधि की तुलना में इससे पैदावार में वृद्धि और सिंचाई में बचत होती है. रेज्ड बेडप्लांटर की कीमत लगभग 40, हजार से एक लाख रुपये तक होती है. इसमे कई प्रकार के रेज्ड बेड प्लांटर मशीन है इसकी कीमत मशीन की कतार की संख्या पर निर्भर करता है.ये मशीन टैक्ट्रर से संचालित होता है.
किसान तक से बातचीत में डॉ मनोज ने मल्टी क्रॉप प्लांटर के बारे मे जानकारी देते हुए कहा कि ऐसी फसलें जिनमें बीज दर बहुत ही कम या बीज का आकार बड़ा रहता है, उसके बुवाई के लिए उपयोगी होती है. एक ही मशीन से कई फसलों की बुवाई की जा सकती है .साधारण बीज बोने वाली मशीन से इनकी बुआई तरीके से नहीं हो पाती है. इन्हें बोने के लिये इनक्लाइन्ड प्लेट प्लांटर का उपयोग करना ही बेहतर होता है. इसमें सीड ड्रिल की तरह लोहे का एक फ्रेम होता हैं, जिस पर 6 सीड बॉक्स में फरो ओपनर के लगे होते हैं. प्रत्येक बॉक्स में एक बीज गिराने वाली प्लेट लगी होती है. यह डिस्क फरो ओपनर में एक-एक बीज निश्चित दूरी गिराती चलती है, अलग-अलग फसलों के बीजों के लिए अलग-अलग प्लेट लगाई जाती हैं. यानी मक्का, मूंगफली, अरहर, सोयाबीन, सभी फसलों के लिए अलग-अलग प्लेट का उपयोग होता है.
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इस यंत्र की प्लेट की बनावट इस तरह की गई है कि किसी भी फसल का बीज उसकी निर्धारित दर के अनुसार ही गिरेगा. इसकी कीमत 60 हजार से लेकर 70 हजार रुपये तक है.ये टैक्ट्रर से संचालित होती है. डॉ मनोज कहा राय ने कहा कि इन कृषि यंत्रों की खरीदारी पर अलग-अलग राज्यों में सब्सिडी की सुविधा है. किसान अपने जिला के कृषि अधिकारी से मिलकर सब्सिडी का लाभ उठा सकते हैं. उन्होने कृषि यंत्रो की कीमत अलग -अलग कंपनियों की अलग - अलग हो सकती है.
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