बहुत सारे फूलों की खेती सिर्फ उनका तेल निकालने के लिए की जाती है. एक्सपर्ट का कहना है कि देश में इत्र, परफ्यूम और कुछ खाने-पीने के सामान में सुगंध का बड़ा कारोबार है. कारोबार का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि देश की डिमांड पूरी करने के लिए कुछ देशों से इस तरह का तेल आयात भी किया जाता है. जबकि भारत में बहुत सारे ऐसे फूल हैं जिनके तेल की बाजार में डिमांड है. लेमन ग्रास के तेल की भी डिमांड बाजार में बनी रहती है. लेकिन किसान सिर्फ फूलों की खेती कर उन्हें बाजार में बेच देते हैं.
इसी को देखते हुए इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ बॉयो रिसोर्स टेक्नोनलॅजी (आईएचबीटी), पालमपुर, हिमाचल प्रदेश ने एक प्लांट डिजाइन किया है. इसे खेत में ही लगाकर फूलों का तेल निकाला जा सकता है. बहुत ही कम कीमत पर इसे लगाया जा सकता है. यह बाजार में भी उपलब्ध है.
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फूल और लेमन ग्रास से तेल निकालने वाले इस प्लांट को वैसे तो आईएचबीटी ने डिजाइन किया है. लेकिन एक ऑफिशियल एग्रीमेंट के तहत आईएचबीटी अब इस टेक्नोलॉजी को एक प्राइवेट कंपनी को ट्रांसफर कर चुका है. इस प्लांट का निर्माण अब मोहाली, पंजाब की एक कंपनी गेक (जीएके) कर रही है. आईएचबीटी से जुड़े एक्सपर्ट की मानें तो इस प्लांट की कीमत 50 से 60 हजार रुपये है. लेकिन कंपनी से सीधे खरीदने पर यह कुछ सस्ती पड़ती है. इस प्लांट की क्षमता 10 किलो फूल है.
एक्स पर्ट का कहना है कि इस प्लांाट में एक बार में 10 किलो फूल आते हैं. इसके बाद इसमे पानी मिला दिया जाता है. वहीं मशीन के कंडेंसर में भी ठंडा पानी छोड़ा जाता है. पानी के साथ ही तेल एक हिस्से में जमा होता रहता है. फूलों से तेल निकालने के पुराने ट्रेडीशनल तरीके से 100 फीसद तेल की प्राप्ति नहीं होती है. जबकि इस प्लांट से तेल की एक-एक बूंद जमा हो जाती है. यह प्लांट लकड़ी के साथ ही गैस के स्टोव पर भी काम करता है.
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छोटा होने के चलते इसे कहीं भी बड़े आराम से लगाया जा सकता है. खासतौर पर खेतों में. क्योंकि तेल वाले फूल तोड़ने के बाद उन्हें आधे से एक घंटे के अंदर-अंदर इस्तेमाल करना बहुत जरूरी हो जाता है. 10 किलो फूलों से तेल निकालने में इस प्लांट को 3.5 से चार घंटे लगते हैं.
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