खेती-बाड़ी से जुड़ी सरकारी संस्था इंडियन काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च (ICAR) ने खेत में हानिकारक कीटों को पकड़ने के लिए एक नई मशीन इजाद की है. इस मशीन का नाम इनसेक्ट लाइट ट्रैप है. इस मशीन की खास बात ये है कि यह वैसे कीटों को ही नुकसान पहुंचाती है जो फसलों पर विपरीत असर डालते हैं जबकि मित्र कीटों को इस मशीन से कोई नुकसान नहीं होता. इस मशीन के इस्तेमाल से किसान खेती की लागत को घटा सकते हैं क्योंकि सिंथेटिक केमिकल कीटनाशकों पर लगने वाला खर्च बचेगा. दरअसल यह मशीन लालटेन की तरह दिखने वाला एक ट्रैप है जिसमें कीट फंस जाते हैं. इस तरह फसलों को हानिकारक कीटों से छुटकारा मिल जाता है.
इस मशीन को आईसीएआर-एनसीआईपीएम ने तैयार किया है जिसमें बड़ी संख्या में कीटों को पकड़ा जाता है. इस मशीन से बालों वाले कैटरपिलर, बॉल वर्म, पॉड बोरर, सेमीलूपर, तंबाकू कैटरपिलर और मैक्रो कोलोप्टेरा जैसे सफेद ग्रब आसानी से पकड़े जा सकते हैं. यह मशीन हर तरह के खेतों में समान रूप से काम करती है. यह मशीन व्यावसायिक फसलें, दाल, तिलहन, अनाज और सब्जियों पर लगने वाले कीटों को ट्रैप करती है.
इस मशीन में कीड़ों को फंसाने के लिए एक लाइट लगी होती है. उसके साथ ही एक फनेल लगा होता है. इसी फनेल में कीट फंस जाते हैं और एक चैंबर में गिरकर इकट्ठा होते रहते हैं. इसकी उपरी सतह पर एक हूक लगी होती है जिससे खेतों में इसे टांगना आसान हो जाता है. मशीन में लगा फनेल कलेक्टिंग चैंबर का काम करता है. इस फनेल को खोलने के लिए मशीन की तलहटी में एक ढक्कन लगा होता है. जब कीट फनेल में इककट्ठे हो जाएं तो उन्हें ढक्कन खोलकर निकाला जा सकता है.
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इस मशीन को आसानी से एडजस्ट किया जा सकता है. इसे खेतों में इस तरह से रखा जाता है ताकि मशीन की ऊंचाई फसलों की लंबाई से 60 सेमी ऊपर हो. इस मशीन का मेन लाइट सोर्स अपनी तरफ कई अलग-अलग कीटों को आकर्षित करता है. मशीन के चैंबर को हल्का छीद्रदार और हवादार बनाया जाता है ताकि छोटे कीट फंसने से बच जाएं. ये कीट फसलों को हानि नहीं पहुंचाते, इसलिए इन्हें पकड़ने पर जोर नहीं दिया जाता. इस ट्रैप को खेत में एसी जगह लगाना चाहिए जहां से अधिक से अधिक फसल को कवर किया जा सके.
इसके बारे में ICAR - National Centre for Integrated Pest Management के वैज्ञानिकों ने बताया कि मशीन में फनेल के अंतिम छोर पर लगे इनसेक्ट कलेक्शन चैंबर को आसानी से बाहर निकाला जा सकता है. फिर इस चैंबर से या तो कीटों को बाहर निकाला जा सकता है या कीट चैंबर में मर भी जाते हैं.
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इस मशीन के जरिये नर और मादा कीट बड़ी संख्या में पकड़े जाते हैं. साथ ही मित्र कीटों को इसमें बचने की भी सुविधा दी गई है. अगर वे पकड़ में आ भी जाते हैं, तो उड़कर बाहर निकल जाते हैं. यह मशीन पूरी तरह से इको-फ्रेंडली है और पर्यावरण को इससे कोई नुकसान नहीं होता. इस मशीन के कमर्शियलाइजेशन से 2010-19 तक आईसीएआर को लगभग 7 करोड़ रुपये की कमाई हो चुकी है.
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