केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने शुक्रवार को राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में यह बताया कि कृषि में ड्रोन का उपयोग किसानों के लिए काफी लाभकारी है क्योंकि इसके कई लाभ हैं, जैसे- इसके प्रयोग से कीटनाशकों और उर्वरकों की बर्बादी में कमी आती है और पारंपरिक छिड़काव विधियों की तुलना में पानी की भी बचत होती है.
साथ ही पारंपरिक तरीकों की तुलना में छिड़काव और उर्वरक डालने की लागत में कमी के अलावा खतरनाक रसायनों की वजह से होने वाले जोखिमों से भी बचाव होता है.
SMAM योजना के तहत किए गए हैं कई प्रावधान
तोमर के अनुसार, कृषि में ड्रोन प्रौद्योगिकियों के लाभों को देखते हुए, कृषि और किसान कल्याण विभाग द्वारा कृषि में ड्रोन प्रौद्योगिकी के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए, कृषि विभाग द्वारा चलाए जा रहे कृषि यंत्रीकरण पर उप-मिशन (Sub-Mission on Agricultural Mechanization) के तहत कई प्रावधान किए गए हैं:-
(i) भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) और राज्य कृषि विश्वविद्यालयों के अलावा राज्य और केंद्र सरकार के अन्य कृषि संस्थानों/विभागों के तहत आने वाले संस्थानों द्वारा ड्रोन की खरीददारी करने पर प्रति ड्रोन 10 लाख रुपये अनुदान दिया जाता है. वहीं, किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) को कृषि ड्रोन की लागत का 75% तक अनुदान प्रदान किया जाता है.
(ii) कस्टम हायरिंग सेंटरों के माध्यम से किसानों को किराये पर ड्रोन सेवाएं उपलब्ध कराने वाले कृषि विषय से स्नातक प्रति ड्रोन पर अधिकतम 5.00 लाख रुपये तक की लागत राशि पर 50% अनुदान प्राप्त कर सकते हैं.
(iii) लघु और सीमांत, अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति, महिलाओं और उत्तर पूर्वी राज्य के किसानों को अपने खेतों में इस्तेमाल करने के लिए ड्रोन लागत का 50% तक अनुदान उपलब्ध कराया जाता है.
जारी किए गए हैं 52.50 करोड़ रुपये
इसके अलावा, आईसीएआर के तहत आने वाले 75 संस्थानों और 25 राज्य कृषि विश्वविद्यालयों के माध्यम से देश में किसानों के खेतों पर ड्रोन प्रौद्योगिकी के बड़े पैमाने पर प्रदर्शन के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) को 52.50 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं. साथ ही विभिन्न राज्य सरकारों को ड्रोन प्रदर्शन, किसानों को अनुदान प्रदान करने और किसानों को ड्रोन सेवाएं प्रदान करने के लिए कस्टम हायरिंग सेंटर स्थापित करने के लिए 70.88 करोड़ रुपये भी जारी किए गए हैं.
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