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क्‍यों कानपुर से सत्‍यदेव पचौरी नहीं लड़ रहे बीजेपी के टिकट पर चुनाव, उम्र का तकाजा या फिर कहानी है कुछ और 

क्‍यों कानपुर से सत्‍यदेव पचौरी नहीं लड़ रहे बीजेपी के टिकट पर चुनाव, उम्र का तकाजा या फिर कहानी है कुछ और 

उत्‍तर प्रदेश के कानपुर में भी इस बार लोकसभा सीट के लिए मुकाबला काफी दिलचस्‍प होने वाला है. यहां पर गोविंद नगर सीट से दो बार विधायक रहे और साल 2019 में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सांसद सत्‍यदेव पचौरी ने इस बार लोकसभा चुनाव न लड़ने का फैसला किया. एक कट्टर ब्राह्मण नेता रहे पचौरी ने पार्टी अध्‍यक्ष जेपी नड्डा को चिट्ठी लिखकर अपनी इच्‍छा जताई.

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सत्‍यदेव पचौरी ने साल 2019 में लोकसभा चुनाव जीता था सत्‍यदेव पचौरी ने साल 2019 में लोकसभा चुनाव जीता था

उत्‍तर प्रदेश के कानपुर में भी इस बार लोकसभा सीट के लिए मुकाबला काफी दिलचस्‍प होने वाला है. यहां पर गोविंद नगर सीट से दो बार विधायक रहे और साल 2019 में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सांसद सत्‍यदेव पचौरी ने इस बार लोकसभा चुनाव न लड़ने का फैसला किया. एक कट्टर ब्राह्मण नेता रहे पचौरी ने पार्टी अध्‍यक्ष जेपी नड्डा को चिट्ठी लिखकर अपनी इच्‍छा जताई. पचौरी, उत्‍तर प्रदेश सरकार में मंत्री भी रहे हैं. साल 2019 में बीजेपी ने मुरली मनोहर जोशी की जगह उन्‍हें कानपुर से टिकट दिया था. जोशी, बीजेपी के एक अनुभवी नेता रहे हैं. ऐसे में जब पचौरी को टिकट दिया गया तो इसे पार्टी का एक बड़ा फैसला माना गया था. 

स्‍थानीय नेता पचौरी से नाराज 

पचौरी यह समझ चुके थे कि इस बार पार्टी उन्‍हें टिकट देने के मूड में नहीं हैं. पिछले दिनों जब बीजेपी की चौथी लिस्‍ट आई तो उसमें पचौरी की जगह पूर्व जर्नलिस्‍ट रमेश अवस्‍थी को लोकसभा टिकट मिला था. पचौरी ने अपनी चिट्ठी में चुनाव न लड़ने का कोई कारण नहीं बताया है. उन्‍होंने फेसबुक पर पोस्‍ट लिखकर चुनाव न लड़ने का ऐलान किया था. लेकिन पार्टी सूत्रों की मानें तो पचौरी की उम्र की वजह से पार्टी इस बार उनकी उम्र की वजह से उन्‍हें टिकट देने के मूड में नहीं थी. पचौरी की उम्र इस समय 76 साल है और उनकी उम्र चुनाव के आड़े आ गई है. वहीं स्‍थानीय नेताओं में भी पचौरी के खिलाफ काफी नाराजगी थी. 

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बेटी के लिए मांगा था टिकट 

स्‍थानीय नेताओं की मानें तो पचौरी को टिकट न देने के कदम के पीछे उम्र सिर्फ एक वजह है. कानपुर में पार्टी के कुछ निर्वाचित प्रतिनिधियों ने उम्मीदवार के तौर पर उनके नाम का विरोध किया था. पचौरी को इसका अहसास हो गया था और उन्होंने अपनी बेटी के लिए टिकट मांगा, लेकिन बीजेपी ने उन्हें ठुकरा दिया. मई 2021 में कोविड महामारी के दौरान पचौरी ने यूपी के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य को पत्र लिखकर यह कहकर पार्टी को शर्मिंदा किया था कि समय पर इलाज के अभाव में लोगों की जान चली गई. 

संसद में उन्होंने जो मुद्दा उठाया उनमें से एक समान नागरिक संहिता की आवश्यकता थी. कानून मंत्री को संबोधित करते हुए, पचौरी ने कहा था कि इससे देश को फायदा होगा, क्योंकि यह इसे एकजुट करेगा और राष्ट्रवादी भावना  को बढ़ावा देगा. पचौरी के आरएसएस से पुराने संबंध हैं और उनके कानपुर के प्रमुख संघ नेताओं के साथ पारिवारिक संबंध माने जाते हैं. 

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क्‍या लिखा पचौरी ने चिट्ठी पर 

पचौरी ने एक्‍स (ट्विटर) पर अपनी चिट्ठी में लिखा है, 'आप सभी को अवगत कराना है कि आगामी लोकसभा चुनाव 2024 में मैं प्रतिभाग नहीं करना चाहता हूं. इस निर्णय से मैंने माननीय प्रधानमंत्री एवं माननीय राष्ट्रीय अध्यक्ष को अवगत करा दिया है. मैं पार्टी का निष्ठावान कार्यकर्ता हूं और पार्टी द्वारा दिए जाने वाले दायित्वों का निर्वहन करता रहूंगा.' उन्होंने अपनी चिट्ठी में लिखा है, 'आपसे विनम्र आग्रह है कि मैं वर्तमान कानपुर लोकसभा 2024 का चुनाव लड़ने का इच्छूक नहीं हूं. इसलिए मेरे नाम पर विचार न किया जाए. मैं पार्टी का निष्ठावान कार्यकर्ता हूं. पार्टी के द्वारा दिए गए सभी दायित्वों का निर्वहन करता रहूंगा.' 

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रिकॉर्ड वोटों से मिली जीत 

साल 2019 के लोकसभा चुनाव में सत्यदेव पचौरी करीब 1.55 लाख वोटों के अंतर से चुनाव जीते थे. उन्होंने अपने प्रतिद्वंदी कांग्रेस उम्मीदवार प्रकाश जायसवाल को हराया था. तब बीजेपी सांसद को करीब 4.68 लाख वोट मिले थे. वहीं कांग्रेस उम्मीदवार को 3.13 लाख वोट मिले थे. सत्यदेव पचौरी साल 2004 के लोकसभा चुनाव में भी कानपुर सीट पर उम्मीदवार थे. तब इस चुनाव में प्रकाश जायवाल ने उन्हें हराया था. इस चुनाव में प्रकाश जायवाल ने करीब छह हजार वोटों के अंतर से जीत दर्ज की थी.