आने वाले कुछ महीनों में देश में एक और लोकसभा चुनाव होगा. 140 करोड़ की आबादी वाले देश भारत में हर पांच साल में होने वाले ये आम चुनाव काफी खास होते हैं. जहां कुछ पड़ोसी मुल्क जैसे पाकिस्तान और बांग्लादेश में आम चुनाव हमेशा विवादों से भरे रहे तो वहीं भारत में इस परंपरा को पूरी निष्ठा और ईमानदारी के साथ निभाया जाता है. देश में पहली बार 1951 में लोकसभा चुनाव हुए थे और तब से आज तक यह परंपरा जारी है. भारत को दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश के तौर पर जाना जाता है.
एक बार फिर देश के करोड़ों मतदाता अपने पसंदीदा उम्मीदवार को चुनने के लिए तैयार हैं. एक बार फिर कई दल देश की सत्ता के लिए रणनीति बनाने में लग गए हैं. इस बार 18वीं लोकसभा के लिए जनता वोट डालेगी. 17वीं लोकसभा का कार्यकाल 16 जून 2024 को खत्म हो जाएगा. पिछला आम चुनाव अप्रैल-मई 2019 में हुआ था. भारत की पहली लोकसभा का गठन 17 अप्रैल 1952 को हुआ था. आजादी के बाद भारत की पहली संसद संविधान सभा थी जिसका गठन देश के लिए संविधान बनाने के उद्देश्य से किया गया था.
भारत के लिए संविधान का मसौदा तैयार करने में संविधान सभा को लगभग तीन साल लग गए. 26 जनवरी 1950 को देश ने संविधान अपनाया गया. इसके साथ ही देश में चुनावों का रास्ता खुल गया. देश के पहले आम चुनाव अक्टूबर 1951 से फरवरी 1952 तक हुए थे. सन् 1951-52 के आम चुनाव में वयस्क मताधिकार के आधार पर वोटिंग कराई गई थी.
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उस समय वोट देने की उम्र 21 साल थी. आपको यह जानकर हैरानी होगी कि जिस समय देश में पहली लोकसभा के चुनाव हुए, उस समय 85 फीसदी जनता लिख-पढ़ नहीं सकतर थी. पहले चुनाव में करीब 17.3 करोड़ मतदाता थे. मतदान 45% था. 489 सीटों पर 53 राजनीतिक दलों ने अपनी किस्मत आजमाई थी.
चुनावों में कांग्रेस ने जीत हासिल की जो 364 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी. दूसरी सबसे अधिक सीटें निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीतीं और उनके खाते में 37 सीटें गई थीं. जबकि भारतीय जनसंघ को तीन सीटें मिली थी. जवाहरलाल नेहरु को प्रधानमंत्री और सदन का नेता चुना गया.
उस समय सदन में विपक्ष का कोई औपचारिक नेता नहीं था, इस पद को मान्यता 1969 में मिली. लोकसभा के पहले अध्यक्ष गणेश वासुदेव मावलंकर थे. वह फरवरी 1956 तक अध्यक्ष रहे. पहले उपाध्यक्ष एमए अय्यंगार थे और महासचिव एमएन कौल थे. पहली लोकसभा ने अपना पूरा कार्यकाल पांच सालों में पूरा कर लिया. इसके बाद से चार अप्रैल 1957 को भंग कर दिया गया था.
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