अरोमा मिशन के तहत सीआईएसआर (CISR) सुगंधित पौधों की खेती करने के लिए किसानों को प्रोत्साहित कर रहा है. औषधीय फसलों की खेती करने वाले किसानों को अच्छा फायदा भी हो रहा है. सुगंधित और औषधीय पौधों की खेती में कम मेहनत और कम लागत के बावजूद अच्छा मुनाफा मिलता है. अरोमा मिशन के तहत किसानों को सीमैप के द्वारा ट्रेनिंग दी जा रही है. उत्तर प्रदेश में भी इस मिशन के तहत खस की खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है. लखनऊ से सटे हुए बाराबंकी और रायबरेली में भी खस की खेती की जा रही है. खस की जड़ से लेकर पत्तियों तक सबकुछ औषधीय गुणों से भरपूर है. खस की खेती बंजर जमीन में भी हो जाती है. इसी वजह से केंद्रीय औषधि एवं सुगन्ध पौधा संस्थान के कृषि वैज्ञानिक किसानों को ये खेती को करने के लिए प्रोत्साहित कर रहे हैं. सीमैप में आयोजित प्रदर्शनी में दक्षिण भारत के रामेश्वरम से पहुंचे किसान सी पांडियन के वैल्यू ऐडेड प्रोडक्ट काफी चर्चित रहे.
खस एक औषधीय पौधा है जिसकी जड़, पत्ती और फूल से आयुर्वेदिक दवाएं ,तेल , इत्र और कॉस्मेटिक प्रोडक्ट बनाए जाते हैं. खस का तेल 20 हजार रुपए प्रति लीटर बिकता है. अरोमा मिशन के तहत किसानों को खस की खेती के साथ-साथ इसकी प्रोसेसिंग करने के लिए भी सीमैप के द्वारा प्रोत्साहित किया जा रहा है. खस की खेती करने के लिए उपजाऊ मिट्टी की कोई खास भूमिका नहीं होती है बल्कि बंजर और कम पानी वाले इलाकों में भी इसकी खेती की जा सकती है. खस की फसल में कीड़े और बीमारी लगने की संभावना कम होती है. वहीं आवारा जानवरों से भी इस फसल को खतरा नहीं होता है, इसलिए सीमैप के द्वारा किसानों को खस की खेती करने के लाभ भी गोष्ठी के माध्यम से बताए जा रहे हैं.
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लखनऊ के सीमैप के प्रांगण में चल रहे किसान मेले में खस की खेती करने वाले किसान सी पांडियन खस से बने हुए अलग-अलग तरह के 100 वैल्यू ऐडेड सामान को लेकर पहुंचे. खस की खुशबू और इसके फायदों को जानकर लोगों के लिए ये सामान आकर्षण का केंद्र बन चुके हैं. खस की बनी हुई माला, रूम एयर फ्रेशनर गर्मी में हवा देने वाले पंखे, मैट, डलिया जैसे 100 सामान हैं जो किसानों की किस्मत को संवारने का काम कर रहे हैं. खस का तेल तो सबसे ज्यादा फायदेमंद माना जाता है. खस का इत्र भी लोगों द्वारा खूब प्रयोग किया जाता है.
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