उत्तर प्रदेश के औरेया में बिन मौसम हुई बारिश ने किसानों को भारी परेशानी में डाल दिया है क्योंकि किसानों को इस बार अपनी फसलों से काफी उम्मीदें थीं. पर बेमौसम बारिश ने किसानों की उम्मीदों पर पानी फेर दिया है. बारिश के कारण सरसों और आलू की खड़ी फसल को खूब नुकसान हुआ है. बारिश के चलते सरसों के फूल झड़ गए हैं जबकि आलू के खेतों में जलजमाव हो जाने के कारण किसानों को डर सता रहा है कि उनका तैयार आलू कहीं सड़ ना जाए. कूदरत की इस मार के आगे किसान बेबस नजर आ रहे हैं. इधर मौसम विज्ञान विभाग ने सोमवार को भी उत्तर प्रदेश के कई जिलों के लिए बारिश की संभावना जताई है.
किसानों का कहना है कि इस बार की बारिश ने किसानों की कमर तोड़ दी है क्योंकि उनकी तैयार फसलों को काफी नुकसान हुआ है. रविवार रात से ही हो रही बारिश के कारण जहां किसान परेशान हो गए हैं, वहीं एक बार फिर से सर्दी लौट आई है. बारिश के कारण तबाह हुई आलू और सरसों की खेती ने किसानों को बर्बाद कर दिया है. किसानों का कहना है कि जिस तरह से खेतों में नुकसान हुआ है, उससे वो अंदाजा लगा रहे हैं कि सिर्फ 50 फीसदी उपज ही वो अपने घर ले जा सकेंगे. खेतों में तैयार खड़ी फसल बारिश और हवा के चलते गिर गई है. खुदाई के लिए तैयार आलू के खेतों में पानी भर गया है. इससे किसानों की चिंता बढ़ गई है.
ये भी पढ़ेंः गेहूं बुवाई के 45 दिन बाद खेत में भूलकर भी न करें इन खादों का इस्तेमाल, नहीं तो घट सकती है उपज
इधर यूपी में गेहूं की खेती करने वाले किसानों के लिए सलाह जारी करते हुए कहा गया है कि फिलहाल किसान गेहूं की तीसरी सिंचाई स्थगित कर दें. गेहूं की फसल में तीसरी सिंचाई बुवाई के 60-65 दिन के बाद की जानी चाहिए. हालांकि जिस समय दाने तैयार हो रहे हों, उस वक्त हल्की सिंचाई जरूरी होती है. यदि देर से बोई गई गेहूं की फसल में संकरी और चौड़ी पत्ती वाले दोनों प्रकार के खरपतवार दिखाई दें तो पहली सिंचाई के बाद सल्फोसल्फ्यूरान 75 फीसदी डब्लूपी 33 ग्राम का हेक्टेयर या मैट्रीब्यूजिन 70 फीसदी डब्लूपी 250 ग्राम का 500-600 लीटर पानी में मिलाकर प्रति हेक्टेयर में छिड़काव करें.
किसानों को सलाह दी जाती है कि वे सरसों की फसल में सिंचाई और कीटनाशकों को स्थगित कर दें. आसमान में लगातार बादल छाए रहने के कारण सरसों की फसल में एफिड, पेंटेड क्लास और लीफ मल्च का प्रकोप दिखाई देने की संभावना है. इसलिए क्लोरपायरीफॉस 20 प्रतिशत ईसी 1.0 लीटर प्रति हेक्टेयर या मोनोक्रोटोफॉस 37 प्रतिशत एसएल का 500 मिली प्रति को 500-600 लीटर पानी में मिलाकर प्रति हेक्टेयर की दर से उपयोग करें. ध्यान रखें कि छिड़काव करने के दौरान आसमान साफ हो. इसके साथ ही किसानों को मटर की फसल में सिंचाई और कीटनाशक दवाएं देने से मना किया गया है. हालांकि मटर की फसल में फली छेदक कीट का प्रकोप होने की संभावना रहती है, इसलिए इसकी रोकथाम के लिए क्यूनालफॉस 25 ईसी 2 लीटर प्रति हेक्टेयर की दर से 500 से 600 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें.
ये भी पढ़ेंः गेहूं की अधिक पैदावार पाने के 13 आसान नुस्खे, ध्यान से पढ़ें किसान
इसके साथ ही प्रदेश में किसानों को आलू की फसल में सिंचाई स्थगित करने की सलाह दी गई है क्योंकि बढ़ती नमी, लगातार बादल छाए रहने और गिरते तापमान के कारण आलू की फसल में झुलसा रोग का प्रकोप तेजी से होता है. इसलिए ऐसी स्थिति में इसकी रोकथाम के लिए मैंकोजेब या रिडोमिल 2.5 ग्राम प्रति लीटर पानी या कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 3.0 ग्राम प्रति लीटर पानी में घोल बनाकर 12-15 दिनों के अंतराल पर छिड़काव करें. मौसम साफ और सूखा रहने पर ही दवाओं का छिड़काव करें.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today