राजधानी दिल्ली- एनसीआर सहित लगभग पूरे देश में टमाटर महंगा हो गया है. पिछले कुछ दिनों के अंदर इसकी कीमतों में तेजी से उछाल आया है. इससे इसकी कीमत 60 से 80 रुपये किलो के बीच पहुंच गई है. जबकि पिछले महीने तक यह 40 रुपये किलो बिक रहा था. खास बात यह है कि अभी दिल्ली में अच्छी क्वालिटी का टमाटर 80 से 85 रुपये किलो है. ऐसे में बहुत से लोगों ने टमाटर खरीदना ही छोड़ दिया है. वहीं, व्यापारियों का कहना है कि त्योहारी सीजन शुरू होने पर टमाटर की कीमतों में और बढ़ोतरी हो सकती है, क्योंकि दशहरा और दीवाली के दौरान इसकी मांग बढ़ जाती है.
जानकारों का कहना है कि टमाटर की कीमत में बढ़ोतरी का मुख्य कारण अधिक बारिश है. इस साल महाराष्ट्र, तमिलनाडु, कर्नाटक और आंध्र प्रदेश सहित प्रमुख टमाटर उत्पादक राज्यों में बहुत अधिक बारिश हुई है. साथ ही इन राज्यों के कई इलाकों में बाढ़ जैसे हालात भी बन गए थे. इससे टमाटर की फसलों को बहुत अधिक नुकसान पहुंचा है, जिससे उत्पादन में बहुत अधिक गिरावट आई है. ऐसे में आपूर्ति भी प्रभावित हुई है. यही वजह है कि डिमांड के मुताबिक, मार्केट में टमाटर की आवक न होने की वजह से कीमतें बढ़ रही हैं.
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इसके अलावा भारी बारिश ने सड़क नेटवर्क को भी नुकसान पहुंचाया है. इससे टमाटर का सप्लाई चेन बाधित हुआ है. मंडियों में टमाटर लदे वाहन समय पर नहीं पहुंच रहे हैं. इससे भी मार्केट में टमाटर की किल्लत हो गई है. साथ ही परिवहन के दौरान टमाटर की अधिक बर्बादी होने से व्यापारियों का मार्जिन लागत बढ़ गया है. टाइम्स ऑफ़ इंडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, सब्जी विक्रेताओं ने कीमतों में उछाल के लिए उत्तरी राज्यों में भारी बारिश को जिम्मेदार ठहराया है, जिसने ट्रकों की आवाजाही को प्रभावित किया है. उन्होंने चेतावनी दी है कि अगले कुछ दिनों में कीमतें और बढ़ सकती हैं.
हालांकि, बारिश के मौसम में हर साल टमाटर महंगे हो जाते हैं. पिछले साल ही आपूर्ति की कमी, कम उत्पादन स्तर और देरी से मॉनसून जैसी समस्याओं के कारण उत्तर भारत में टमाटर की कीमतें 250 रुपये प्रति किलो तक बढ़ गई थीं. खास बात यह है कि सिर्फ टमाटर ही महंगा नहीं हुआ है. बल्कि अन्य खाद्य पदार्थ भी महंगे हो गए हैं. प्याज और आलू के अलावा लौकी, करेला, भिंडी और अरबी जैसी मौसमी सब्जियों की कीमतों में पिछले कुछ हफ्तों में 50-80 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है.
थोक विक्रेताओं ने बताया कि बारिश के कारण मंडियों में इन सब्जियों की आपूर्ति कम हो गई है. दरअसल, मॉनसून का मौसम कृषि उत्पादन और सप्लाई चेन को प्रभावित करता है. साथ ही उत्पादन भी कम हो जाता है. इसलिए हरी सब्जियां महंगी हो गई हैं. वहीं, उपभोक्ताओं को आगे भी आवश्यक सब्जियों की कीमतों में और वृद्धि के लिए तैयार रहना पड़ सकता है.
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