Wheat Procurement: गेहूं खरीद में फि‍सड्डी ब‍िहार, अब तक 240 क‍िसानों ने बेची फसल

Wheat Procurement: गेहूं खरीद में फि‍सड्डी ब‍िहार, अब तक 240 क‍िसानों ने बेची फसल

बिहार सरकार ने गेहूं खरीद की तारीख 15 जून तक बढ़ा दी है, लेकिन पैक्स अध्यक्षों का कहना है कि इससे गेहूं की खरीदारी पर कोई असर नहीं पड़ने वाला है. सरकार को कोई दूसरा रास्ता निकालना होगा.

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Wheat Procurement: गेहूं खरीद में फि‍सड्डी ब‍िहार, अब तक 240 क‍िसानों ने बेची फसल बिहार में गेहूं खरीद 15 जून तक की जाएगी. फोटो 'किसान तक'

बिहार में गेहूं की खेती का रकबा बढ़ा है.साथ ही उत्पादन में भी वृद्धि हुई है, लेकिन गेंहू की सरकारी खरीद के मामले में ब‍िहार फ‍िसड्डी सा‍ब‍ित हो रहा है. मसलन, अभी तक न‍िर्धार‍ित लक्ष्य से 50 फीसदी गेहूं की खरीद भी नहीं हो पाई है. सूबे में 20 अप्रैल से गेहूं की खरीदारी की जा रही है. लेकिन 40 से अध‍िक बीत जाने के बाद भी अब तक मात्र 240 किसानों ने ही MSP पर व्यापार संघ और पैक्स को अपनी फसल बेची है, ज‍िसके तहत अभी तक स‍िर्फ 618 मीट्रिक टन के आसपास  गेहूं की खरीद की गई है. इस बीच ब‍िहार सरकार ने गेहूं खरीद की तारीख 15 जून तक बढ़ा दी है.  

सहकारी सहकारिता विभाग के आंकड़ें बताते हैं कि सूबे के 38 जिलों में से बांका, खगड़िया, मधेपुरा, पूर्णिया जिलो में एक मीट्रिक टन से भी कम गेहूं की खरीदारी अभी 41 दिनों में हो पाई है. वहीं सहरसा जिला में अब तक 206 मीट्रिक टन  पश्चिमी चंपारण में 41 और अरवल जिला में 40 मीट्रिक टन गेहूं की सबसे अधिक खरीद हुई है. कैमूर जिले के रहने वाले वाले किसान विनोद सिंह कहते हैं कि प्रदेश सरकार को अन्य राज्यों की तरह बोनस देकर  गेहूं की खरीदारी करनी चाहिए. सरकार के द्वारा तय समर्थन मूल्य से प्रति क्विंटल गेहूं के उत्पादन का खर्च तक नहीं आने वाला है.

MSP से अध‍िक बाजार में भाव

गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य यानी MSP  इस वर्ष 2125 रुपये प्रति क्विंटल तय क‍िया गया है. तो वहीं बि‍हार के खुले बाजारों में गेहूं का भाव 2400 से 2500 रुपए प्रति क्विंटल तक चल रहा है. जिसकी वजह से किसान पैक्स व व्यापार मंडल को बेचने की जगह निजी व्यापारियों को गेहूं बेच रहे हैं. 

 

वहीं पैक्स अध्यक्षों का कहना है कि तारीख बढ़ाने से गेहूं की खरीदारी पर कोई असर नहीं पड़ने वाला है. राज्य के 4169 पैक्स व व्यापार मंडल के सदस्यों को 15 जून तक 10 लाख मीट्रिक टन गेंहू  खरीदने का टारगेट दिया गया है. गेहूं की खरीदारी की गति को देखते हुए यह अंदाज जरूर लगाया जा सकता है कि टारगेट को हासिल करने के लिए मंजिल दूर नहीं काफी दूर है. बिहार में गेहूं और धान की खरीदारी सरकार पंचायत स्तर पर पैक्स अध्यक्ष ,व्यापार मंडल के द्वारा करवाती है.

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तारीख नहीं, MSP पर बोनस दे सरकार

दि‍ सासाराम-भभुआ सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक के उपाध्यक्ष व नरहन जमुरना पंचायत के पैक्स अध्यक्ष विजय बहादुर सिंह क‍िसान तक से बातचीत में कहते हैं कि रोहतास और कैमूर जिले में 368 पैक्स अध्यक्षों (प्राथमिक कृषि साख समिति) का चयन गेहूं खरीदारी के लिए किया गया है. इन दोनों जिलों से अब तक 30 मीट्रिक टन ही गेहूं खरीद हो पाई है. इसका मुख्य वजह बाजार के मूल्य से कम गेहूं का समर्थन मूल्य सरकार के द्वारा तय किया जाना है. वहीं कोई किसान पैक्स या व्यापार मंडल को गेहूं बेचता है तो उसे घाटे के अलावा कुछ हाथ नहीं लगने वाला है. वह सरकारी गेहूं की खरीद का पैमाना बताते हुए कहते हैं कि किसान को गेहूं को साफ करके स्वयं के खर्च पर क्रय केंद्र तक पहुंचाना होता है. इसमें प्रति क्विंटल 100 से 150 रुपए तक खर्च आता है. यानी उसका गेहूं 2125 रुपए की जगह 2 हजार रुपए प्रति क्विंटल के भाव से बिकेगा. अब ऐसे में कोई किसान सरकार को गेहूं क्यों बेचेगा? अगर प्रदेश सरकार किसानों से गेहूं खरीदना ही चाहती है तो बाजार के भाव से अधिक मूल्य पर गेहूं की खरीदारी करें. वरना तिथि बढ़ाने से गेहूं की खरीदारी पर कोई असर पड़ने वाला नहीं है. 

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14 सालों से गेहूं खरीद में बिहार फिसड्डी

बिहार आमतौर पर फसलों की सरकारी खरीद में काफी पीछे रहा है. प‍िछले 14 साल में कभी भी यहां गेहूं की खरीद अच्छी नहीं रही. इस दौरान सबसे अच्छी खरीद साल 2011-12 में हुई थी, जब सेंट्रल पूल यानी बफर स्टॉक के लिए 5.57 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदा गया था. दूसरी बार अच्छी खरीद 4.56 लाख मीट्रिक टन के साथ 2021-22 में हुई, लेकिन उस समय बाजार मूल्य 1400 से 1500 रुपये के आसपास था, जबकि सरकारी रेट अधिक था. हमेशा की तरह इस बार भी स्थिति खराब है. ऐसे में बिहार भी केंद्र की गेहूं खरीद न पूरी होने का एक बड़ा फैक्टर बनेगा. 

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