केंद्र सरकार ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए भारतीय खाद्य निगम (FCI) के जरिए ओपन मार्केट सेल्स स्कीम (OMSS) के तहत गेहूं की बिक्री पर अब विराम लगाया दिया है. सरकार ने आगे नया टेंडर नहीं जारी करने का फैसला किया है. केंद्र ने इस वित्त वर्ष में गेहूं की कीमतें नियंत्रित करने के प्रयास में 4 दिसंबर 2024 से गेहूं की साप्ताहिक नीलामी शुरू कर ट्रेडर्स/प्रोसेसर्स/मिलर्स के सामने 3 मिलियन टन गेहूं की पेशकश की, जिसमें से खरीदाराें ने बोली लगाकर 2.97 मिलियट टन गेहूं खरीद लिया. हालांकि, गेहूं की कीमतों में कोई खास कमी नहीं आई और भाव ऊंचा ही चल रहा है. इससे पहले वित्त वर्ष 2023 में केंद्र ने लगभग 10 मिलियन टन गेहूं की बिक्री की थी.
बिजनेसलाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, FCI ने 1 लाख टन गेहूं से नीलामी की शुरुआत की और बाद में यह मात्रा 0.5 मिलियन टन तक बढ़ा दी. वहीं, नीलामी में प्रोसेसर्स को फायदा पहुंचाते हुए उनकी व्यक्तिगत खरीद की लिमिट 100 टन से बढ़ाकर 400 टन कर दी. हालांकि, इसमें व्यापारियों को नीलामी में शामिल नहीं किया गया.
5 मार्च को हुई आखिरी नीलामी में उत्तर प्रदेश, असम, कर्नाटक, पश्चिम बंगाल और हरियाणा में पिछले हफ्ते के मुकाबले न्यूनतम बोली की कीमत में 10-150 रुपये प्रति क्विंटल की लिमिट में बढ़ोतरी देखने को मिली. वहीं, तेलंगाना, तमिलनाडु और केरल में उच्चतम बोली मूल्य में 10 से 58 रुपये प्रति क्विंटल की लिमिट में बढ़ोतरी देखने को मिली.
अगर पिछली नीलामी के उच्चतम बोली मूल्य की बात करें तो गेहूं उत्पादक राज्यों में यह 2,540-3,009 रुपये प्रति क्विंटल के बीच रही. इसमें मध्य प्रदेश में 2,540 रुपये प्रति क्विंटल तो वहीं उत्तराखंड में 3,009 रुपये प्रति क्विंटल उच्चतम बोली लगी. वहीं, सबसे ऊंची बोली 3,275 रुपये प्रति क्विंटल जम्मू और कश्मीर में लगी.
इसके अलावा, हरियाणा में 2,880 रुपये प्रति क्विंटल दर्ज की गई, जबकि पंजाब में 2,850 रुपये प्रति क्विंटल और बिहार में 2,953 रुपये क्विंटल दर्ज की गई. रिपोर्ट के मुताबिक, अफसरों ने कहा कि प्रोसेसर में गेहूं की बहुत डिमांड थी, जिसके चलते लगभग गेहूं का उठान हो गया और बिक्री भी आरक्षित से ज्यादा कीमत पर हुई. हालांकि, सरकार थोड़ी हद तक कीमतों को कंट्रोल कर सकी. एफसीआई ने इस वर्ष 2,800 रुपये प्रति क्विंटल के भाव से गेहूं बेचा, जबिक औसत आरक्षित मूल्य 2,464 रुपये प्रति क्विंटल था.
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