पश्चिम बंगाल के धान उत्पादक किसानों के लिए खुशखबरी है. मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सरकार ने धान के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) बढ़ाने का फैसला किया है. अब प्रदेश में धान की खरीद 2,300 रुपये प्रति क्विंटल की दर से की जाएगी. इससे प्रदेश के लाखों किसानों को सीधा फायदा होगा. सरकार ने महंगाई को देखते हुए एमएसपी में बढ़ोतरी करने का फैसला लिया है, क्योंकि राज्य में खेती पर इनपुट लागत बढ़ गई है. साथ ही कृषि उत्पादों के दाम भी साल भर में काफी महंगे हो गए हैं. इससे धान की खेती में ज्यादा लागत आ रही है. प्रदेश सरकार को उम्मीद है कि उसके इस फैसले से किसानों को अच्छा मुनाफा होगा.
द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सरकार ने धान के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में 117 रुपये प्रति क्विंटल बढ़ोतरी करने का फैसला लिया है. इसके बाद पश्चिम बंगाल में धान का एमएसपी 2,300 रुपये क्विंटल हो जाएगा. हालांकि, साल 2023 में राज्य में धान का एमसपी 2,183 रुपये प्रति क्विंटल था. खास बात यह है कि बढ़ी हुई कीमत पर सभी जिलों में धान की खरीद की जाएगी. वहीं, धान की सुचारू रूप से खरीद करने के लिए लगभग पूरी तैयारी हो गई है. इसके लिए सैंकड़ों क्रय केंद्र बनाए गए हैं. उपज बेचने आने वाले किसानों को क्रय केंद्रों पर किसी तरह की कोई परेशानी न हो, इसका भी पूरा ध्यान रखा जाएगा.
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वहीं, किसानों को अपनी उपज बेचने के लिए अब 'बांग्ला शस्य बीमा' पोर्टल के माध्यम से अपनी भूमि का पंजीकरण कराना होगा. क्योंकि, भूमि रिकॉर्ड के बिना किसान सीधे खरीद केंद्रों पर धान नहीं बेच पाएंगे. एमएसपी में बढ़ोतरी से किसानों को आर्थिक राहत मिलेगी, लेकिन कई जिलों में आने वाली चुनौतियों को लेकर भी सरकार चिंतित है. कई इलाकों में बीमारियों और कीटों ने धान की पैदावार को प्रभावित किया है. इससे खरीद में देरी हो रही है. इन मुद्दों से निपटने के लिए जिला प्रशासन को धान खरीद प्रक्रिया में तेजी लाने के निर्देश दिए गए हैं. साथ ही यह सुनिश्चित करने के भी प्रयास चल रहे हैं कि बढ़े हुए समर्थन मूल्य को स्थानीय स्तर पर प्रभावी ढंग से लागू किया जाए.
इस बार राज्य सरकार बिचौलियों की भूमिका को भी खत्म करने की कोशिश कर रही है. इसके लिए पंजीकरण के बिना खरीद केंद्रों पर धान बेचने की अनुमति नहीं मिलेगी. अब, केवल वैध दस्तावेजों वाले पंजीकृत किसानों को ही अपनी उपज बेचने की अनुमति होगी. किसानों के शोषण को रोकने और हर कदम पर पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए अधिकारियों को प्रक्रिया की निगरानी करने का भी काम सौंपा गया है. प्रशासन को उम्मीद है कि इन बदलावों से पूरे राज्य में धान खरीद प्रणाली अधिक प्रभावी और निष्पक्ष हो जाएगी.
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