झारखंड की कृषि में बड़ी संख्या में युवा सामने आ रहे हैं और सफलता की कहानी लिख रहे हैं. युवाओं के खेती में आने से एक फायदा यह हो रहा है कि वे खेती में नई तकनीकों का इस्तेमाल कर रहे हैं. इसका लाभ उन्हें भी मिल रहा है और उनके आस-पास के किसानों को भी मिल रहा है. बोकारो जिले के पेटरवार प्रखंड अंतर्गत सरला खुर्द जराडीह के युवा किसान ओमप्रकाश महतो भी एक ऐसे ही किसान हैं जो खुद खेती करते हैं और दूसरे किसानों को भी उन्नत खेती करने के बारे में जानकारी देते हैं. इस तरह से वे खुद अच्छी कमाई कर रहे हैं और अपने गांव और आस-पास के गांवों के किसानों की भी मदद कर रहे हैं.
कृषि परिवार से संबंध रखने वाले ओमप्रकाश महतो का झुकाव शुरू से ही खेती की तरफ था. उन्होंने बचपन से अपने घर में खेती होते हुए देखा. खुद खेतों में काम भी किया. इसलिए वे खेती के क्षेत्र में ही कुछ बेहतर करना चाहते थे. हालांकि उस समय तक उनके घर में पारंपरिक तरीके से खेती होती थी. इसलिए अधिक कमाई नहीं होती थी पर घर का खर्च चल जाता था. ओमप्रकाश ने इसे बदलने का सोचा और खेती को फायदेमंद बनाने के बारे में जानकारी हासिल की और खेती में आ गए.
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ओमप्रकाश बताते हैं कि खेती की शुरुआत करने से पहले उन्होंने कई जगहों पर काम किया. इसके बाद वे खेती में आए. वर्ष 2019-20 में वे रांची स्थित एक बीपीओ में काम करते थे. इसके बाद वे पेटरवार आ गए और एक किसान उत्पादन संगठन में बतौर अकाउंटेंट जुड़ गए. उन्होंने कहा कि यहां जुड़ने का उन्हें बहुत फायदा हुआ. उनकी मुलाकात कई ऐसे कई लोगों से हुई जो खेती के क्षेत्र में बहुत बेहतर काम कर रहे थे. इससे उनके अंदर भी आत्मविश्वास आया और खुद से खेती करने का विचार बनाया.
इसके बाद उन्होंने अपनी पुश्तैनी तीन एकड़ जमीन में खेती की शुरुआत की. उन्होंने बताया कि वो तरबूज, मिर्च, टमाटर, बैंगन, खीरा लौकी, मक्का, धान, बीन्स, आलू, मटर और प्याज की खेती करते हैं. उपज कम रहने पर स्थानीय पेटरवार बाजार में अपने उत्पाद बेचते हैं, जबकि अधिक होने पर बंगाल, ओडिशा या कहीं और के बाजार में अपने उत्पाद भेज देते हैं. आज खेती में बेहतर काम कर रहे ओमप्रकाश ने बताया कि जब उन्होंने काम छोड़कर खेती करने का फैसला किया था, तब उन्हें घरवालों के विरोध का सामना करना पड़ा था. पर आज उनकी सफलता को देखकर घरवाले भी खुश हैं.
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खेती के अलावा ओमप्रकाश खेतों में ड्रिप इरिगेशन लगवाने का भी काम करते हैं. उन्होंने कहा कि अब तक 300 एकड़ से अधिक जमीन में ड्रिप इरिगेशन लगवा चुके हैं. केमिस्ट्री ऑनर्स से बीए करने करने के बाद अब ओमप्रकाश बीएससी इन इग्रीकल्चर की पढ़ाई कर रहे हैं. उनका कहना है कि इस डिग्री को हासिल करने के बाद वे अपने क्षेत्र में एक मिट्टी जांच केंद्र खोलना चाहते हैं ताकि उनके क्षेत्र के किसानों को मिट्टी की जांच करने में परेशानियों का सामना नहीं करना पड़े. वे सही तरीके से खेती कर पाएंगे. अपनी कमाई को लेकर उन्होंने बताया कि एक साल में चार से छह लाख रुपये तक की कमाई कर लेते हैं.
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