Turnip Farming: किसानों की कमाई बढ़ाने के साथ सेहत का रंग भी निखारता है शलजम, ये हैं 5 उन्नत किस्में

Turnip Farming: किसानों की कमाई बढ़ाने के साथ सेहत का रंग भी निखारता है शलजम, ये हैं 5 उन्नत किस्में

सितंबर का महीना शलजम की खेती करने के लिए सबसे बेहतरीन माना जाता है. अगर आप भी शलजम की खेती करना चाहते हैं तो सही किस्मों का चयन कर अच्छा उत्पादन और मुनाफा दोनों कमा सकते हैं. जानिए शलजम की ऐसी ही पांच किस्मों के बारे में जिसकी खेती से किसानों को अच्छा लाभ मिलेगा.

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Turnip Farming: किसानों की कमाई बढ़ाने के साथ सेहत का रंग भी निखारता है शलजम, ये हैं 5 उन्नत किस्मेंकिसानों की कमाई बढ़ाने के साथ सेहत का रंग भी निखारता है शलजम

शलगम को शलजम के नाम से भी जाना जाता है. शलजम एकल जड़ वाली एक सब्जी है, जिसका लोग फल के तौर पर भी इस्तेमाल करते हैं. इसे सब्जी और सलाद के रूप में खाया जाता है. मैदानी भागों में शलजम की फसल सर्दी के मौसम में तैयार की जाती है. शलजम की खेती इसकी जड़ों और पत्तों के लिए की जाती है. इसके पत्ते औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं लेकिन स्वाद में कड़वे होते हैं. इसलिए इन्हें उबालकर खाने की सलाह दी जाती है. इसकी मांग को देखते हुए खेती भी बड़े पैमाने पर की जाती है. शलजम की बुवाई के लिए सितंबर का महीना सबसे बेहतर माना जाता है. वहीं भारत के लगभग सभी राज्यों में इसकी खेती की जाती है.

आइए जानते हैं भारत की पांच मशहूर शलजम की किस्मों के बारे में जिनकी खेती बेहतर पैदावार देती है. किसान इसकी खेती कर अच्छा मुनाफा भी कमा सकते हैं. सितंबर महीने में अब 14 दिन बचे हैं. ऐसे में जो भी तैयारी करनी है, जल्द की जानी चाहिए.

ये हैं वो पांच किस्में

अगर आप किसान हैं और इस सितंबर महीने में किसी फसल की खेती करना चाहते हैं तो आप शलजम की कुछ उन्नत किस्मों की खेती कर सकते हैं. इन उन्नत किस्मों में पर्पल टॉप वाईट ग्लोब, सफेद-4, लाल-4, पूसा स्वेती और स्नोवाला किस्म शामिल हैं. इन किस्मों की खेती करके अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है.

पर्पल टॉप वाईट ग्लोब

शलजम की पर्पल टॉप वाईट ग्लोब किस्म आकार में सामान्य से बड़ी होती है, जिसका ऊपरी भाग बैंगनी और गूदा सफेद होता है. इसे तैयार होने में 60 से 65 दिन का समय लगता है. वहीं इसका उत्पादन 150 से 180 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक होता है.

सफेद-4 किस्म

सफेद-4 किस्म को बरसात के अंत में लगाया जाता है. इसे तैयार होने में 50 से 55 दिन का समय लगता है. इसकी उपज 200 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है. वहीं ये शलजम सफेद रंग की होती है.

लाल-4 किस्म

शलजम की यह किस्म शरद ऋतु में पाई जाने वाली किस्म है. इसके तैयार होने में 60 से 70 दिन का समय लगता है. इसकी खासियत यह है कि इसमें निकलने वाली जड़ों का आकार सामान्य और गोल होता है. वहीं यह अधिक पैदावार देने वाली किस्म है.

पूसा स्वेती किस्म

पूसा स्वेती किस्म एक अगेती किस्म है. इसकी बुआई सितंबर महीने के मध्य में की जाती है. इसकी जड़ें सबसे कम टाइम में पकती हैं. इनके तैयार होने में महज 45 दिन का समय लगता है. ये किस्म भी पैदावार के लिए बेहतर होती है.

स्नोवाला किस्म

स्नोवाला किस्म सफेद रंग की होती है. इसका आकार गोल होता है. गूदा नरम और मीठा होने के कारण इसे सलाद में खूब उपयोग किया जाता है. इसे तैयार होने में 55 से 60 दिन का समय लगता है.

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