दालों की महंगाई रोकने के लिए सरकार बाजार में उपलब्धता बढ़ाने पर जोर दे रही है. इसीलिए सरकार ने 14 लाख टन तूर और उड़द दाल को आयात करने का निर्णय लिया है. दाल आयात सौदा म्यांमार के साथ हुआ और संभावना है कि जनवरी में दाल की खेप भारत आ जाएगी. इससे पहले मोजांबिक से 2 लाख टन तूर आयात सौदा देरी की वजह से अधर में लटका हुआ है. लगातार कीमतें बढ़ने के चलते सरकार आयात में देरी नहीं करना चाहती है और इसीलिए म्यांमार से खरीदारी की जा रही है.
तूर की दाल की औसत कीमत बढ़कर 155 रुपये प्रति किलो तक पहुंच गई है. नवंबर में यह कीमत 150 रुपये दर्ज की गई थी. वहीं, बीते साल के मुकाबले कीमत में 40 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है. कीमतों में लगातार बढ़ोत्तरी की वजह आपूर्ति में गिरावट को माना जा रहा है. मांग के अनुरूप सप्लाई नहीं होने से कीमतों में तेजी हो रही है, जिसके चलते दालों की खुदरा महंगाई दर अक्टूबर में सालाना आधार पर बढ़कर 18.79% पर पहुंच गई है. इसका मुख्य कारण तूर दाल का 40.94 फीसदी महंगी होने के साथ ही चना 11.16 फीसदी और मूंग 12.75 फीसदी महंगी हुई है.
दालों की महंगाई को रोकने के लिए सरकार जनवरी में 400,000 टन तूर यानी अरहर दाल और फरवरी में 1 मिलियन टन उड़द दाल का म्यांमार से आयात करेगी. देश का तूर बुवाई रकबा घट गया है, जिसके चलते पिछले साल की तुलना में तूर दाल का कम प्रोडक्शन होने की आशंका है. इस साल जनवरी में सरकार ने जमाखोरी रोकने के लिए स्टॉक लिमिट की घोषणा की थी.
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कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार खरीफ 2023 के बुवाई सीजन के दौरान 43.86 लाख हेक्टेयर में अरहर की बुआई की गई है, जो पिछले वर्ष के 46.12 लाख हेक्टेयर से कम है. कर्नाटक, महाराष्ट्र, आंध्र, तेलंगाना समेत कई राज्यों में अरहर बुवाई रकबा घट गया है. मंत्रालय के उत्पादन अनुमान के अनुसार 2023-24 में अरहर उत्पादन 34.21 लाख टन होगा. जबकि, बीते साल की समान अवधि में 33.12 लाख टन उत्पादन हुआ था.
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