तेलंगाना के किसान महिपाल रेड्डी पिछले साल उस समय खबरों में थे जब उन्होंने सिर्फ 15 दिनों के अंदर टमाटर बेचकर करोड़ो रुपये कमा लिए थे. बांसवाड़ा के रहने वाले महिपाल ने अब बताया है कि टमाटर को बाजार में कब बेचे कि उससे ज्यादा से ज्यादा कमाई हो सके. महिपाल रेड्डी की मानें तो उन्होंने टमाटर की फसल इस तरह उगाने की कला में महारत हासिल कर ली है कि जब बाजार में इसकी कमी होती है, तब भी उन्हें इसकी फसल मिल जाती है. रेड्डी अप्रैल और मई में अपनी फसल उगाते हैं, जिससे उन्हें जून, जुलाई और अगस्त में फसल मिल जाती है, क्योंकि इस दौरान आमतौर पर बाजार में सब्जियों की आपूर्ति कम होती है.
साल 2023 में टमाटर रिकॉर्ड 200 रुपये प्रति किलोग्राम पर बिक रहा था. उसी समय रेड्डी ने टमाटर की खेती से जमकर फायदा उठाया. इस साल उन्होंने आठ एकड़ से टमाटर की खेती के का रकबा बढ़ाकर 30 एकड़ कर दिया. तेलंगाना टुडे से बात करते हुए रेड्डी ने कहा कि किसानों को गर्मियों के दौरान टमाटर की फसल उगाने में बहुत ज्यादा सावधानी बरतने की जरूरत है क्योंकि अप्रैल और मई के दौरान फसल का जिंदा रहना मुश्किल है. रेड्डी ने बताया कि किसानों को शेड के नीचे फसल उगानी चाहिए. इसके अलावा किसानों को बागवानी अधिकारियों की सलाह के तहत अतिरिक्त पानी और उर्वरक देना चाहिए और साथ ही साथ बाड़ लगाने की भी जरूरत है.
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उन्होंने कहा कि किसानों को बीज खरीदने से लेकर मजदूरी, जुताई, खाद, कीटनाशक और बाकी चीजों पर हर एकड़ फसल पर करीब तीन लाख रुपये का निवेश करना होगा. आमतौर पर, किसान बरसात और सर्दियों के मौसम में एक एकड़ टमाटर की फसल पर 2 लाख रुपये से कम निवेश करते हैं. उनकी मानें तो कहा कि उन्हें आमतौर पर बरसात और सर्दियों के मौसम में प्रति एकड़ 35 टन फसल मिलती है, लेकिन इस अवधि में फसल 17 टन तक कम हो जाती है.
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गर्मी के मौसम के बाद बागवानी करने वाले महिपाल का मानना है कि फसल को मानसून के दौरान भारी बारिश का सामना करना पड़ता है. अगर फसल को भीषण गर्मी से बचाने के लिए कोई छायादार जाल नहीं लगाया गया तो बारिश में फूल झड़ जाएंगे. ज्यादातर सब्जी फसलों से अलग टमाटर 70 दिनों के बाद फसल देना शुरू करता है और 90 दिनों के बाद पीक पर होता है. जबकि बाकी सब्जियां 30 से 45 दिनों में फसल देती हैं.
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महिपाल रेड्डी ने इस साल 30 एकड़ में टमाटर की सफलतापूर्वक खेती की है. उन्हें यह फसल ऐसे समय में मिलनी शुरू हुई जब खुदरा बाजार में कीमतें आसमान छू रही थीं. 15 दिन पहले उन्हें थोक बाजार में सिर्फ 18 रुपये प्रति किलो मिल रहे थे, अब यह 50 रुपये प्रति किलो को पार कर गया है. रेड्डी ने कहा कि उन्होंने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं. यहां तक कि उन्हें इस साल मार्च में टमाटर सात रुपये प्रति किलो पर भी बेचना पड़ा.
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पिछले दो दशकों से सब्जी की खेती कर रहे एक अन्य बागवानी किसान एमडी हनीफ ने कहा कि टमाटर की खेती में जोखिम ज्यादा होने की वजह से उन्होंने इसकी खेती न करने का फैसला किया. हालांकि उन्होंने महिपाल रेड्डी की तारीफ की कि उन्होंने हर तरह का रिस्क उठाया और हर चैलेंज का सामना करते हुए उस मौसम में सबसे अच्छी फसल हासिल की जब ज्यादातर किसान टमाटर की फसल उगाने से डरते हैं.
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