तमिलनाडु के रामनाथपुरम जिले में धान की कटाई लगभग समाप्त हो गई है. इसके बावजूद भी धान खरीद केंद्रों पर ज्यादा भीड़ नहीं दिख रही है, क्योंकि किसान अपनी उपज खुले बाजार में बेचने का विकल्प चुन रहे हैं. किसानों का कहा है कि ओपन मार्केट में उन्हें सरकारी क्रय केंद्रों के मुकाबले अच्छा रेट मिलता है. यही वजह है कि किसान धान खरीद केंद्रो पर जाने के बजाए ओपन मार्केट में उपज बेचना पसंद कर रहे हैं. ऐसे इस साल सांबा सीजन के दौरान लगभग 1.39 लाख हेक्टेयर भूमि पर धान की खेती की गई थी. बेमौसम बारिश के बाद लगभग 10,000 हेक्टेयर की फसल खराब हो गई थी.
द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, बारिश से हुए नुकसान के कारण उत्पादन में गिरावट आई है, लेकिन कई किसानों ने इस साल अच्छी पैदावार की बात कही है. इस सीजन में प्रति एकड़ औसतन 25-30 बैग प्राप्त करने में सक्षम रहे. पिछले सीज़न के दौरान, जिले ने सांबा सीज़न के दौरान कुल 4 लाख टन धान का उत्पादन किया था, जिसके बाद नागरिक आपूर्ति विभाग ने 1 लाख मीट्रिक टन धान की खरीद का लक्ष्य रखा था.
ये भी पढ़ें- Mahogany Farming: किसान क्यों कहते हैं इसे पैसों वाला पेड़? पत्ता, छाल, लकड़ी और बीज तक महंगा बिकता है
जबकि, पिछले साल सूखे की स्थिति के कारण खरीद सामान्य से कम थी. नागरिक आपूर्ति विभाग ने सांबा धान की खरीद के लिए जिले भर में लगभग 70 प्रत्यक्ष खरीद केंद्र (डीपीसी) खोले थे. गौरतलब है कि यह पहली बार है कि जिले में इतने सारे डीपीसी खोले गए हैं. हालांकि, इस वर्ष डीपीसी में फरवरी के तीसरे महीने तक औसतन 5,000 टन धान की खरीद की गई थी.
कृषि विभाग के अधिकारियों ने कहा कि इस साल इस सीजन के अंत तक खरीद 10,000-15,000 टन तक जाने की संभावना है. अधिकारियों ने कहा कि खुले बाजार में खरीद कीमतों में वृद्धि से डीपीसी में बेची जाने वाली मात्रा में कमी आई है. भले ही कृषि विभाग ने भंडारण सुविधाओं का उपयोग किया है और अधिक डीपीसी खोले हैं. इसके बावजूद भी खरीद दर न्यूनतम बनी हुई है.
ये भी पढ़ें- 5 साल में किसानों को मिले 2.81 लाख करोड़, अब यवतमाल से 9 करोड़ किसानों के खाते में जारी होंगे 21 हजार करोड़ रुपये
रामनाथपुरम के एक किसान रवि ने कहा कि किसानों को डीपीसी में प्रति किलो धान लगभग 23 रुपये मिलते हैं, जबकि खुले बाजार में अच्छी किस्मों की कीमतें 25 रुपये प्रति किलो से काफी ऊपर हैं. उन्होंने कहा कि आरएनआर किस्म, जो किसानों के बीच अनुकूल है, खुले बाजार में लगभग 28 रुपये प्रति किलो पर बेची जा रही है. यही कारण है कि किसान डीपीसी के बजाय खुले बाजार को प्राथमिकता दे रहे हैं. कई किसानों ने राज्य और केंद्र सरकार से धान के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) बढ़ाकर 25-30 रुपये प्रति किलो करने की मांग की है.
Copyright©2024 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today