कसूरी मेथी की 'सुप्रीम' वैरायटी है दमदार, बंपर उपज के लिए ऐसे करें खेती

कसूरी मेथी की 'सुप्रीम' वैरायटी है दमदार, बंपर उपज के लिए ऐसे करें खेती

कसूरी मेथी की खेती क‍िसानों के ल‍िए फायदे का सौदा साबित हो सकती है. मेथी की अधिक पैदावार लेने के लिए किसानों को उसकी सही समय पर खेती और अच्छी किस्मों का चयन करना बेहद जरूरी है. इसकी कुछ ऐसी किस्में हैं जिसमें न कीट लगते हैं और न ही रोग होता है. 

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कसूरी मेथी की 'सुप्रीम' वैरायटी है दमदार, बंपर उपज के लिए ऐसे करें खेतीजानिए कसूरी मेथी की सुप्रीम वैरायटी के बारे में

देश के ज्यादातर किसान कम लागत में अधिक मुनाफा कमाने की चाह में मौसमी सब्जियों की खेती की तरफ तेजी से रुख कर रहे हैं. क्योंकि यह सीजनल फसलें बेहद कम वक्त में अधिक मुनाफा दे जाती हैं. जिससे किसानों को फसलों में लगने वाले पैसे की बचत के साथ-साथ इनकी उपज से अच्छी आय अर्जित हो जाती है. इन्हीं सीजनल फसलों की कड़ी में कसूरी मेथी की खेती भी शाम‍िल है, जो क‍ि ठंड के मौसम में की जाती है. यह किसानों को अच्छी आय देती है. कसूरी मेथी के बीजों से लेकर दाने, पत्तियां और साग भारतीय बाजार में हाथों हाथ बिक जाता है. क्योंकि ठंड के दिनों में इसकी मांग बाजार में अधिक रहती है. 

ऐसे में किसानों के लिए मेथी की खेती फायदे का सौदा साबित हो सकती है. मेथी की अधिक पैदावार लेने के लिए किसानों को उसकी सही समय पर खेती और अच्छी किस्मों का चयन करना बेहद जरूरी है. इसकी कुछ ऐसी किस्में हैं जिसमें न कीट लगते हैं और न ही रोग होता है. इन किस्मों की खेती से किसान अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. कसूरी मेथी ऐसे कई किस्में हैं, जिनसे अच्छा उत्पादन मिलता है लेकिन व्यवसाय के तोर सबसे अच्छी वैराइटी 'सुप्रीम' को माना जाता है. 

सुप्रीम वैरायटी की  खासियत

कसूरी सुप्रीम किस्म जिसकी पत्तियां छोटे आकार की होती हैं. इसकी कटाई 2 से 3 बार की जा सकती है. इस किस्म की यह खूबी है कि इस में फूल देर से आते हैं और पीले रंग के होते हैं, जिन में खास किस्म की महक भी होती है. बोआई से ले कर बीज बनने तक यह किस्म लगभग 5 महीने का समय लेती है. 

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कैस होनी चाहिए मिट्टी 

के लिए दोमट तथा बलुई दोमट मिट्टी जिसमें कार्बनिक पदार्थ प्रचुर मात्रा में पाए जाते हो खेती के लिए सर्वोत्तम मानी जाती है. इसके अलावा इसकी खेती दोमट मटियार मिट्टी में भी सफलतापूर्वक किसान भाई कर सकते हैं. साथ ही मिट्टी का पीएच मान 6 से 7 बीच उत्तम माना जाता है. कसूरी मेथी क्षारीयता को अन्य फसलों की तुलना में अधिक सहन करने में सक्षम होती है.

कैसी होनी चाहिए जलवायु

कसूरी मेथी की खेती के लिए ठंडी जलवायु को सर्वोत्तम माना गया है. कसूरी मेथी ठंडे मौसम की फसल होती है. इसीलिए इसकी खेती रबी की फसलों के मौसम में की जाती है. जिन स्थानों पर अधिक वर्षा होती है. उन क्षेत्रों में इसकी बुवाई कम की जाती है. कसूरी मेथी की खेती की सबसे खास बात यह होती है कि यह पाले और ठंड के प्रति अधिक सहनशील पाई जाती है.

कसूरी मेथी के लिए खेत तैयारी कैसे करें?

कसूरी मेथी की खेती के लिए जिस खेत की मिट्टी हल्की हो, उसमें कम जुताई की आवश्यकता नहीं होती है. लेकिन भारी मिट्टी में खेत तैयार करने के लिए अधिक जुताई की जरूरत पड़ती है. इसलिए खेत को सबसे पहले मिट्टी पलटने वाले हल से एक जुताई करें और इसके बाद एक या दो जुताई देसी हल या ट्रैक्टर हैरो चलाकर मिट्टी को भुरभुरा बना लेना चाहिए. और साथ ही पाटा लगाकर खेत को समतल भी बना ले. जिससे खेत में मौजूद नमी कम ना हो. खेत में आखिरी जुताई करते समय प्रति एकड़ 6 से 8 टन गोबर की सड़ी हुई खाद या कंपोस्ट खाद जरूर डालें. जिससे यह खाद मिट्टी में अच्छी तरीके से मिल जाए.

कसूरी मेथी के अन्य किस्में

हिसार सोनाली - हरियाणा और राजस्थान और आसपास के क्षेत्रों के लिए उपयुक्त, यह कसूरी जड़ सड़न और रोग के प्रति मध्यम सहिष्णु है. यह किस्म लगभग 140 से 150 दिनों में पक जाती है और प्रति हेक्टेयर 17 से 20 क्विंटल उपज देती है.

हिसार सुवर्णा – यही हाल हरियाणा, राजस्थान और गुजरात राज्यों का है. यह पत्तियों और बीजों दोनों के लिए लोकप्रिय है. यह किस्म leaf blight के लिए प्रतिरोधी है, जबकि मध्यम रूप से छाया झुलसा के लिए प्रतिरोधी है. इस किस्म की औसत उपज 16 से 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है.

हिसार माध्वी - पानी और गैर-पानी की स्थिति के लिए उपयुक्त, यह डिल छाया प्रतिरोधी है. जबकि कवक की रोग प्रतिरोधक क्षमता मध्यम होती है. उपज 19 से 20 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है.

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