खरीफ फसलों की बुवाई अंतिम दौर में है. करीब 97 फीसदी एरिया में फसलों को बोया जा चुका है. खास बात यह है कि धान, मोटे अनाजों और गन्ना का रकबा बढ़ा है जबकि दलहन, तिलहन, जूट और कॉटन का एरिया घट गया है. देश में खरीफ फसलों का सामान्य एरिया 1091.73 लाख हेक्टेयर है. जबकि इस साल 25 अगस्त तक 1053.59 लाख हेक्टेयर में बुवाई हो चुकी है. पिछले वर्ष इसी अवधि तक सिर्फ 1049.96 लाख हेक्टेयर में बुवाई हुई थी. दलहन फसलों की बुवाई पिछले साल के मुकाबले 10.63 लाख हेक्टेयर में पिछड़ी हुई है. जबकि धान का रकबा पिछले साल के मुकाबले 16.23 लाख हेक्टेयर बढ़ गया है.
केंद्रीय कृषि मंत्रालय की ओर से जारी से एक रिपोर्ट में बताया गया है कि अब तक 384.05 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में धान की रोपाई और बुवाई हो चुकी है. जबकि इस अवधि तक पिछले साल सिर्फ 367.83 लाख हेक्टेयर में बुवाई हुई थी. देश में धान का सामान्य एरिया 399.45 लाख हेक्टेयर है. जिन क्षेत्रों में पिछले साल के मुकाबले धान की रोपाई का रकबा बढ़ गया है उनमें बिहार पहले नंबर पर है. जहां पिछले साल से 5.08 लाख हेक्टेयर अधिक रोपाई हो चुकी है. दूसरे नंबर पर छत्तीसगढ़ है जहां पिछले साल से 4.52 लाख हेक्टेयर अधिक रकबा हो चुका है. तेलंगाना में 2.64 लाख हेक्टेयर, झारखंड में 1.82 लाख, हरियाणा में 1.64 लाख और उत्तर प्रदेश में धान की रोपाई पिछले से 1.19 लाख हेक्टेयर बढ़ चुकी है.
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श्री अन्न यानी मोटे अनाजों के एरिया में भी उछाल देखने को मिला है. इस साल 25 अगस्त तक देश में 178.33 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में मोटे अनाजों की बुवाई हुई है. जबकि पिछले वर्ष की इसी अवधि के दौरान 176.31 लाख हेक्टेयर में ही मोटे अनाज बोए गए थे. ज्वार की बुवाई 13.84 लाख हेक्टेयर में हुई है. बाजरा 70 लाख हेक्टेयर में बोया गया है. रागी की बुवाई 7.63 लाख हेक्टेयर और स्मॉल मिलेट 4.78 लाख हेक्टेयर में बोया गया है. मक्का 82.09 लाख हेक्टेयर में बोया जा चुका है. जो पिछले साल से 2.09 लाख हेक्टेयर ज्यादा है. मध्य प्रदेश, कर्नाटक, हरियाणा, झारखंड और उत्तर प्रदेश में मोटे अनाजों की बुवाई पिछले साल से बढ़ गई है.
केंद्रीय कृषि मंत्रालय के मुताबिक भारत में दलहन फसलों का सामान्य क्षेत्र 139.75 हेक्टेयर है. जिसमें से इस साल अब तक सिर्फ 117.44 लाख हेक्टेयर में बुवाई हुई है. जबकि पिछले वर्ष की इसी अवधि के दौरान 128.07 लाख हेक्टेयर में दलहन फसलें बोई जा चुकी थीं. इस तरह इस बार दलहन फसलों का रकबा पिछले साल के मुकाबले 10.63 हेक्टेयर कम है. जिन क्षेत्रों में दलहन की बुवाई सबसे ज्यादा घटी है उसमें पहले नंबर पर मध्य प्रदेश है. जहां पिछले साल के मुकाबले बुवाई 3.58 लाख हेक्टेयर कम हो गई है. कर्नाटक में 3.15 लाख और महाराष्ट्र में 2.73 लाख हेक्टेयर एरिया कम हो गया है. उत्तर प्रदेश, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश से भी दलहन फसलों के कम क्षेत्रफल की सूचना मिली है.
दलहन फसलों की तरह तिलहन ने भी चिंता बढ़ा दी है. इस साल अब तक 188.58 लाख हेक्टेयर में तिलहन फसलों की बुवाई हुई है. जबकि पिछले साल 190.38 लाख हेक्टेयर में बुवाई हुई थी. इस तरह इस साल हम 1.80 लाख हेक्टेयर पीछे हैं. तिलहन फसलों की बुवाई का ये हाल तब है जब हम खाद्य तेलों के बड़े आयातक हैं. जिन क्षेत्रों में इन फसलों की बुवाई कम हुई है उनमें आंध्र प्रदेश पहले नंबर पर है. जहां पिछले साल के मुकाबले बुवाई 2.62 लाख हेक्टेयर पिछड़ गई है. जबकि कर्नाटक में 1.98 लाख हेक्टेयर, तमिलनाडु में 0.35 लाख हेक्टेयर और बिहार में तिलहन का एरिया पिछले साल साल 0.13 लाख हेक्टेयर कम है.
कॉटन का एरिया पिछले साल के मुकाबले कम हो गया है. इस साल अब तक 122.56 लाख हेक्टेयर में कपास की बुवाई हुई है. जबकि पिछले साल इस अवधि तक 124.82 लाख हेक्टेयर में बुवाई हो चुकी थी. इस तरह पिछले वर्ष की तुलना में इस बार कपास की बुवाई 2.27 लाख हेक्टेयर कम है. जिन राज्यों में एरिया सबसे कम कम हुआ है उनमें आध्र प्रदेश पहले नंबर पर है. जहां एरिया 2.03 लाख हेक्टेयर कम हो गया है. तेलंगाना में 1.34 लाख, कर्नाटक में 1.24 लाख और पंजाब में 0.80 लाख हेक्टेयर एरिया कम हुआ है. हालांकि, गन्ना की बुवाई 56.06 लाख हेक्टेयर में हो चुकी है, जो पिछले साल से 0.47 लाख हेक्टेयर अधिक है.
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