मॉनसून आने से पहले ही किसान खरीफ फसल की खेती की तैयारी में जुट गए हैं. बिहार, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब और झारखंड सहित पूरे देश में किसानों ने फसलों की बुवाई करने के लिए बीजों की खरीद शुरू कर दी है. लेकिन पिछले साल के मुकाबले उन्हें बीज के लिए अधिक रकम चुकाने पड़ रहे हैं. इससे किसानों की परेशानी बढ़ गई है. उनका कहना है कि एक साल में ही बीज काफी महंगे हो गए. इससे किसानों का बजट बिगड़ रहा है. ऐसे में सरकार को बीज की बढ़ती कीमत को कम करने के लिए कुछ पहल करनी चाहिए.
द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, बीजों की बढ़ती कीमत से कर्नाटक के किसान कुछ ज्यादा ही परेशान हैं. यहां के कलबुर्गी जिले में बीज की कीमतों में हालिया वृद्धि से किसानों पर अतिरिक्त बोझ पड़ने की आशंका है. क्योंकि पिछले साल के सूखे से हुए नुकसान की भरपाई के लिए वे संघर्ष कर रहे हैं. ऐसे में एक्सपर्ट का कहना है कि बीजों की कीमतें बढ़ाने के सरकार के फैसले से कृषि समुदाय पर और बोझ पड़ेगा.
उदाहरण के लिए, अरहर के बीज की कीमत, जो पहले 130 रुपये प्रति किलोग्राम थी, अब बढ़कर 178 रुपये प्रति किलोग्राम हो गई है. इसी तरह मक्के का बीज 114 रुपये किलो बिक रहा है, जो पिछले साल 108 रुपये किलो था. इसी तरह धान की कीमत में करीब 5 रुपये प्रति किलो की बढ़ोतरी हुई है. अभी धान का बीज 39 रुपये किलो है.
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खास बात यह है कि कीमतों में बढ़ोतरी केवल अरहर तक ही सीमित नहीं है. सभी बीजों की कीमतें बढ़ गई हैं, जिससे किसानों को खेती की आवश्यक वस्तुओं पर अधिक खर्च करने के लिए मजबूर होना पड़ा है. बढ़ोतरी संभावित रूप से उनकी समग्र उत्पादकता और लाभप्रदता को प्रभावित कर रही है. किसान कार्यकर्ता शरणबसप्पा ममशेट्टी ने कहा कि सरकार, जो छोटे किसानों को मुफ्त में बीज उपलब्ध कराने वाली है, इसके बजाय उन पर बोझ डाल रही है. उन्होंने कहा कि सरकार को मुफ्त बीज वितरित करके या सब्सिडी बढ़ाकर छोटे किसानों की मदद करनी चाहिए.
उन्होंने कहा कि किसान, जो पहले से ही कर्ज में डूबे हुए हैं और बीज और कीटनाशक खरीदने के लिए पिछले साल का ऋण नहीं चुका सके हैं, उन्हें बैंकों द्वारा उनके राहत कोष से बकाया राशि काटने की समस्या का भी सामना करना पड़ रहा है. सरकार ने सभी बैंकों को किसानों के खाते से फसल राहत राशि नहीं काटने का निर्देश दिया है. इन समस्याओं के बीच किसानों को इस मानसून में अपनी फसलों के लिए बीज और कीटनाशकों के लिए नया कर्ज लेना पड़ रहा है.
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कलबुर्गी जिले के अधिकांश किसान जो अरहर की खेती करते हैं वे सरकार से परेशान हैं, क्योंकि अरहर के बीज की कीमतें आसमान छू रही हैं. कृषि के संयुक्त निदेशक समद पटेल ने बताया कि सरकार ने पड़ोसी राज्यों से बीज खरीदे हैं और उन्हें किसानों को वितरित कर रही है, क्योंकि पिछले साल राज्य में कोई फसल नहीं उगाई गई थी. इसलिए, बीज की कीमतों में थोड़ी बढ़ोतरी की गई है. बीजों का पर्याप्त भंडार उपलब्ध है.
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