धान किसानों के लिए ऐतिहासिक सौगात, यहां बनेगा देश का दूसरा बासमती बीज उत्पादन और प्रशिक्षण केंद्र

धान किसानों के लिए ऐतिहासिक सौगात, यहां बनेगा देश का दूसरा बासमती बीज उत्पादन और प्रशिक्षण केंद्र

पीलीभीत में एग्रीकल्चर एंड प्रोसेस्ड फूड प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट डेवलपमेंट अथॉरिटी (APEDA ), वाणिज्य मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा देश का दूसरा बासमती बीज उत्पादन और प्रशिक्षण केंद्र और जैविक प्रदर्शन फार्म स्थापित किया जा रहा है.

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धान किसानों के लिए ऐतिहासिक सौगात, यहां बनेगा देश का दूसरा बासमती बीज उत्पादन और प्रशिक्षण केंद्रधान किसानों के लिए ऐतिहासिक सौगात

उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जिले को ऐतिहासिक सौगात मिला है. दरअसल, पीलीभीत में एग्रीकल्चर एंड प्रोसेस्ड फूड प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट डेवलपमेंट अथॉरिटी (एपीडा), वाणिज्य मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा देश का दूसरा बासमती बीज उत्पादन और प्रशिक्षण केंद्र और जैविक प्रदर्शन फार्म स्थापित किया जा रहा है. यह केंद्र बासमती अनुसंधान, बीज उत्पादन, प्रशिक्षण और जैविक खेती के प्रदर्शन के लिए एक महत्वपूर्ण हब के रूप में विकसित होगा.

सात एकड़ कृषि भूमि पर बनेगा केंद्र

पीलीभीत सांसद और सूचना प्रौद्योगिकी राज्यमंत्री जितिन प्रसाद के निरंतर प्रयास, प्रभावी पैरवी और क्षेत्र के प्रति उनकी प्रतिबद्धता के फलस्वरूप यह परियोजना संभव हो पाई है. केंद्रीय वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल के सहयोग से एपीडा ने पीलीभीत के तहसील अमरिया स्थित ग्राम टांडा बिजैसी में लगभग सात एकड़ कृषि भूमि पर इस केंद्र की स्थापना के प्रस्ताव को स्वीकृति दी है.

राज्य सरकार स्तर पर उत्तर प्रदेश के कृषि, कृषि शिक्षा और कृषि अनुसंधान विभाग के मंत्री सूर्य प्रताप शाही द्वारा निर्णय लेते हुए टांडा बिजैसी स्थित कृषि भूमि के आवंटन को मंजूरी दी गई है. अनुमोदन के बाद अब यहां बुनियादी ढांचा, रिसर्च यूनिट, प्रशिक्षण केंद्र, बीज उत्पादन इकाई और जैविक प्रदर्शन फार्म की स्थापना का कार्य शीघ्र शुरू किए जाने की तैयारी है.

किसानों के लिए मील का पत्थर सिद्ध होगा ये केंद्र

यह केंद्र पीलीभीत सहित आसपास के बासमती उत्पादक क्षेत्रों के किसानों, निर्यातकों, बीज उत्पादकों, प्रोसेसरों और किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) के लिए मील का पत्थर सिद्ध होगा. यहां उच्च क्वालिटी वाले बासमती बीजों का उत्पादन, क्वालिटी सुधार, प्रमाणीकरण, ट्रेसेब्लिटी और अवशेष प्रबंधन के मानकों के अनुरूप वैज्ञानिक सहायता उपलब्ध कराई जाएगी, जिससे अंतरराष्ट्रीय बाजारों में निर्यात को संगठित दिशा मिलेगी.

केंद्र के माध्यम से किसानों को उन्नत बासमती किस्मों का प्रदर्शन, आधुनिक खेती पद्धतियों, कीट और रोग प्रबंधन, जैविक खेती, बीज उत्पादन तकनीक और क्वालिटी मानकों पर व्यावहारिक प्रशिक्षण दिया जाएगा. शुद्ध और प्रमाणिक बीज की उपलब्धता सुनिश्चित होने से उत्पादन लागत में कमी आएगी, उपज की क्वालिटी बेहतर होगी और किसानों को बासमती की प्रीमियम कीमत प्राप्त करने में सहूलियत होगी. 

बासमती धान निर्यातकों को मिलेगा फायदा

बासमती निर्यातकों और उद्यमियों के लिए यह केंद्र अंतरराष्ट्रीय मानकों, वैश्विक बाजार की मांग, निर्यात प्रक्रिया, अवशेष जांच और डीएनए परीक्षण जैसी तकनीकी सूचनाओं का प्रमुख स्रोत बनेगा. प्रस्तावित इकाई में विश्वस्तरीय लैब, बीज प्रोसेसिंग सुविधा और प्रशिक्षण अवसंरचना विकसित किए जाने की रूपरेखा तैयार की गई है, जिससे पीलीभीत को बासमती निर्यात मानचित्र पर विशेष स्थान मिल सके.

केंद्र के खुलने से लोगों को मिलेंगे रोजगार

इस प्रतिष्ठान की स्थापना से क्षेत्र में प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे. साथ ही युवाओं को एग्री–बिजनेस और उद्यमिता से जोड़ने का मार्ग खुलेगा. इससे पीलीभीत की पहचान देश–विदेश में एक प्रमुख बासमती उत्पादक और निर्यातक क्षेत्र के रूप में मजबूत होगी, साथ ही उत्तराखंड और आसपास के जिलों के किसानों को भी लाभ पहुंचेगा.

पीलीभीत के लिए ऐतिहासिक सौगात

जनपदवासियों, किसानों, एफपीओ प्रतिनिधियों और बासमती से जुड़े सभी हितधारकों ने केंद्रीय मंत्री जितिन प्रसाद के प्रति हार्दिक आभार व्यक्त करते हुए इसे पीलीभीत के लिए ऐतिहासिक सौगात बताया है. स्थानीय स्तर पर यह उम्मीद जताई जा रही है कि केंद्र की शुरुआत के बाद बासमती क्षेत्र में वैज्ञानिक हस्तक्षेप बढ़ने से कृषि–आधारित अर्थव्यवस्था को नई ऊंचाइयां मिलेंगी.

केंद्र की स्वीकृति के अवसर पर जितिन प्रसाद ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर किसानों का जीवन आसान बनाने, उनकी आय बढ़ाने और बासमती जैसे उच्च मूल्य वर्धित फसलों को बढ़ावा देने की दिशा में निरंतर काम कर रही है और पीलीभीत में स्थापित होने वाला यह केंद्र उसी कड़ी को और मजबूत करेगा. (समर्थ श्रीवास्तव की रिपोर्ट)

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