
मध्य प्रदेश के किसान राधेश्याम अपनी प्याज की खेती की वजह से चर्चा में हैं. दरअसल, उनके प्याज की एक गांठ का वजह 850 ग्राम तक है, जो प्रदेश में उगाई गई प्याज में सबसे बढ़ा बताया जा रहा है. इस प्याज की खेती के लिए किसान ने जैविक खेती का तरीका अपनाया है और इससे उन्हें बंपर उपज के साथ बड़े साइज वाला प्याज हासिल हुआ है. सबसे बड़े साइज का प्याज उगाने के लिए किसान को पुरस्कार राशि भी मिली है.
मध्य प्रदेश में रासायनिक उर्वरक के बढ़ते प्रयोग से न सिर्फ जमीन का स्वास्थ्य बिगड़ रहा है बल्कि अब तो पैदा होने वाले अनाज में पोषण की मात्रा भी कम हो गई है, बढ़ते रासायनिक उर्वरक के प्रयोग के चलते खेती की जमीन पहले के मुकाबले ज्यादा सख्त हो गई है, जिसका असर पैदावार पर अब पढ़ने लगा है. इसी को देखते हुए आगर मालवा जिला क्षेत्र में बड़ी संख्या में किसानों ने खेती की जैविक विधि को अपनाया है. यहां प्याज और लहसुन की पैदावार खूब होती है. जैविक विधि से एक किसान ने तो इतनी बड़ी साइज गांठ की प्याज उगाई है, जिसकी चर्चा पूरे प्रदेश में है.
आगर मालवा क्षेत्र के किसान राधेश्याम परिहार लंबे समय से खेती कर रहे हैं. बीते 10 सालों से वह जैविक विधि को अपनाकर खेती कर रहे हैं. उनका कहना है कि जैविक विधि से उत्पादित अनाज में पोषण ज्यादा मिलता है बल्कि जमीन की सेहत भी अच्छी रहती है. इस साल उनके खेत में प्याज की अच्छी पैदावार हुई है. उन्होंने प्याज की खेती के लिए नासिक रेड 53 बीज को लगाया था.
नासिक रेड 53 बीज से एक एकड़ क्षेत्रफल में 220 क्विंटल प्याज का उत्पादन हुआ है जो सामान्य से ज्यादा है. उनकी एक प्याज (गांठ) का वजन तो 850 ग्राम है, जिसे प्रदेश की सबसे बड़ी प्याज (गांठ) कहा जा रहा है. वे बताते हैं कि प्याज की खेती के लिए मिट्टी नरम होनी चाहिए, जिससे कि कन्द (गांठ) आसानी से बड़ा हो सकेगा. कृषि विभाग के अधिकारी भी उनकी प्याज साइज को देखकर हैरान हैं. राधेश्याम को अब तक सरकार की ओर से 20 लाख रुपए तक अलग-अलग इनाम की राशि भी मिल चुकी है.
मध्य प्रदेश में सरकार जैविक खेती करने वाले किसानों को प्रोत्साहित कर रही है. इस साल प्रदेश में 4 लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में जैविक खेती का लक्ष्य रखा गया है. प्रदेश की मोहन सरकार ने जैविक खेती वाले किसानों को मुक्त सोलर पंप योजना से आच्छादित करने की घोषणा की है.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today