भिंडी एक ऐसी हरी सब्जी है, जिसकी खेती पूरे साल की जाती है. लेकिन इसकी पहली बुवाई फरवरी से मार्च महीने में की जाती है. बुवाई करने के 2 महीने बाद मई से उत्पादन शुरू हो जाता है. इस दौरान किसानों को फसल की सिंचाई भी करनी पड़ती है, क्योंकि मई महीने में भीषण गर्मी पड़ती है. अगर किसान समय पर सिंचाई नहीं करते हैं, तो फसल सूख भी सकती है. इससे किसानों को आर्थिक नुकसान होगा.
एक्सपर्ट की माने तो मई महीने में किसानों को 10-12 दिनों के अंतराल पर भिंडी की सिंचाई करनी चाहिए. इससे पौधों का विकास तेजी से होता है. ऐसे भिंडी में प्रचुर मात्रा में विटामिन ए, बी एवं सी पाया जाता है. इसके अलावा भिंडी में कैल्शियम और जिंक जैसे तत्व भी पाए जाते हैं. यही वजह है कि भिंडी को आदर्श सब्जी माना गया है. कहा जाता है कि भिंडी ब्लड शुगर को भी कंट्रोव करता है. साथ ही यह वजन घटाने में भी सहायक सिद्ध होता है. यही प्रेगनेंसी में फायदेमंद है.
ये भी पढ़ें- Gram Price: महाराष्ट्र में चने के दाम ने बनाया रिकॉर्ड, 9250 रुपये क्विंटल हुआ मंडी भाव
ऐसे भिंडी के पौधों में बहुत रोग भी लगते हैं. इसलिए किसानों को सावधान रहने की जरूरत है. खास कर भिंडी की फसल में मोजैक और पर्ण कुंचन रोग अधिक लगते हैं. मोजैक और लीफ कर्ल रोग सफेद मक्खी द्वारा फैलते हैं. मोजैक में पत्तियों पर छोटे- छोटे पीले रंग के चितकबरे धब्बे बनते हैं. पत्तियों की शिराओं का रंग पीला पड़ जाता है. पत्ती मोड़क में पत्तियों का हरा भाग छिछले गड्ढों का रूप ले लेता है.
इसके नियंत्राण के लिए एसिटामाइप्रिड 3 ग्राम/10 लीटर पानी या कन्पफीडोर-200 एस.एल.0.3-0.5 मिली./लीटर पानी की दर से बुआई के 20 दिनों बाद आवश्यकतानुसार 15 दिनों के अंतराल पर छिड़काव करें. साथ ही स्पाइरोमसीपफेन दवा की 2 ग्राम/लीटर मात्रा पानी में घोल बनाकर दूसरा छिड़काव करें. इससे फसलों को इन रोगों से बचाव होता है.
ये भी पढ़ें- कोरोना में नौकरी गई तो घर में तैयार कर दी मशरूम कॉफी, आज देश-विदेश से मिल रही डिमांड
ये कीट फलियों में छेद कर अंदर बीज को नुकसान पहुंचाते हैं. इससे फली खाने योग्य नहीं रहती है. पौधे की अंतिम कोमल शाखाओं में तक छेद कर देते हैं. इससे पौधे का ऊपरी हिस्सा मुरझा जाता है. इस कीट को नियंत्राण करने के लिए एमामेक्टिन बेन्जोएट 2 ग्राम/10 लीटर या स्पिनोसैड 1 मि.ली. 3 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें और अंडा परजीवी ट्राइकोडर्मा की 50,000 कार्ड की मदद से खेत में छोड़ने से इस कीट का प्रकोप काफी कम हो जाता है. भिंडी की पत्ती को काटने वाले कीट को मारने के लिए साइपरमेथ्रिन 0.5 मि.ली./लीटर पानी में घोलकर 15 दिनों के अंतराल पर छिड़कना चाहिए. इससे फली तथा तनाछेदक कीट नियंत्रित रहते हैं.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today