साल 2020 अब तक भारत और दुनिया के लिए बेहद खराब रहा है. इसने हर स्तर पर घाव दिए हैं. वैश्विक मंदी के इस दौर में कोरोना का घाव इतना गहरा है कि कई देशों की अर्थव्यवस्था चरमरा गई है. बेरोजगारी और भुखमरी बहुत बढ़ गई थी. इतना ही नहीं लाखों लोगों की नौकरियां भी चली गईं. नौकरी की तलाश में कई लोगों ने अपना रोजगार शुरू किया तो कई लोगों ने खेती में रुचि दिखाई और इस दिशा में बेहतर काम किया. इसी कड़ी में आज हम एक ऐसे किसान की कहानी लेकर आए हैं, जिसकी कोरोना काल में नौकरी चली गई. लेकिन जिंदगी की गाड़ी को पटरी पर लाने के लिए उन्होंने घर पर ही मशरूम कॉफी की खेती शुरू कर दी. आजकल उनकी मशरूम कॉफी की मांग देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी बढ़ती जा रही है. आइए जानते हैं क्या है उनकी सफलता की कहानी.
लालू थॉमस, 45 वर्षीय जो पेशे से शेफ और संयुक्त अरब अमीरात के एक पूर्व प्रवासी रह चुके हैं. इन्होंने वर्ष 2019 में कोरोना संकट के कारण अपनी अत्यधिक पारिश्रमिक वाली नौकरी को खो दिया था. नौकरी खो जाने की वजह से लालू को कोल्लम जिले में अपने पैतृक गांव, थलावूर लौटने के लिए मजबूर कर दिया. उनकी विशेषज्ञता के अनुरूप नौकरी ढूंढना बहुत कठिन था. इन्होंने अपने परिवार के भरण-पोषण के लिए रास्ते तलाशने शुरू कर दिए. जिसके बाद लालू ने मशरूम की खेती कर उसे बाजार में बेचने का काम शुरू कर दिया. उन्होंने बाजार की मांग, मशरूम की शेल्फ लाइफ बढ़ाने और मांग पर कटाई के बारे में कई नई चीजें सीखीं. लालू के लिए सबसे बड़ी चुनौती मशरूमों की शेल्फ लाइफ को बढ़ाने की थी.
ये भी पढ़ें: किसान Of The Week: नेचुरल फार्मिंग से 11 लाख की शुद्ध कमाई, चौंकाने वाली है रामपुर के किसान अमित की कहानी
आपको बता दें मशरूम की कटाई के कुछ ही दिनों बाद मशरूम की ताजगी खत्म हो जाती थी. जिस वजह से बाज़ारों में मशरूम की कीमत उतनी नहीं मिल पाती थी. बाजार में कीमत अधिक मिल सके इसके लिए उन्होंने शेल्फ लाइफ के तरीकों के बारे में सोचने लगे. इस कड़ी में, उन्होंने मशरूम की शेल्फ लाइफ को कैसे बढ़ाया जाए इसके लिए उन्होंने कृषि विज्ञान केंद्र, कोल्लम से संपर्क किया. इसके बाद उन्होंने कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा आयोजित मशरूम के मूल्यवर्धित उत्पादों पर दिए गए ट्रेनिंग में भी भाग लिया. इस कार्यक्रम ने उन्हें मशरूम आधारित उत्पाद विकसित करने के लिए प्रेरित किया. उन्होंने मशरूम पर आधारित विभिन्न उत्पादों का कारोबार किया, जैसे- हेल्दी ड्रिंक, सूप पाउडर, सूखे पदार्थ, स्नैक्स, चॉकलेट, साबुन इत्यादि. इन्होंने केन्द्र के वैज्ञानिकों के दिशानिर्देश के साथ अपने घर पर ही उत्पादन और रिसर्च शुरू किया.
मशरूम की खेती कर रहे लालू के लिए सबसे बड़ी कामयाबी यह थी कि इनके उत्पादों को कृषि विज्ञान केंद्र, कोल्लम की 17वीं एसएसी बैठक के दौरान तत्कालीन विस्तार निदेशक द्वारा लॉन्च किया गया था. शुरूआत में मशरूम की शेल्फ लाइफ कम होने के कारण उन्हें कई दिक्कतों का सामना करना पड़ा फिर, उन्होंने ट्रेनिंग लिया और मशरूम स्पॉन उत्पादन शुरू किया. इतना ही नहीं इन्होंने मशरूम की खेती में कई प्रयोग भी शुरू किए. इसी प्रयोग से मशरूम कॉफी यानी ला बे मशरूम कॉफी का विचार आया. केन्द्र के गृह विज्ञान वैज्ञानिकों ने उन्हें विभिन्न मशरूमों के साथ कॉफी का एक अनोखा मिश्रण सफलतापूर्वक तैयार करने में मदद की. जिला उद्योग केंद्र ने लालू को पीएमएफएमई योजना में शामिल किया. इससे वह 10 लाख रुपये की लागत से अपनी नई इकाई स्थापित करने में सफल हुए. उत्पाद के लिए कॉफी बीन सीधे वायनाड जिले के किसानों से खरीदी जा रही है.
ला बे मशरूम कॉफी 70 प्रतिशत मशरूम और 30 प्रतिशत कॉफी बीन पाउडर से तैयार प्रॉडक्ट है. यह मशरूम कॉफी 5 अलग-अलग मशरूमों का मिश्रण है. कीटाणुरहित मशरूम को विशेष रूप से तैयार किए गए सोलर ड्रायर का उपयोग करके सुखाया जाता है और पल्वराइजर का उपयोग करके इसका पाउडर बनाया जाता है. भुनी और पिसी हुई कॉफी बीन को मशरूम के साथ मिलाया जाता है. इसके 250 कि.ग्रा. तैयार उत्पाद बनाने के लिए लगभग 3000 कि.ग्रा. ताजे मशरूम की आवश्यकता होती है. उत्पाद को केरल सरकार में उद्योग, कानून और कॉयर के मंत्री द्वारा लॉन्च किया गया था.
मशरूम कॉफी के इस प्रीमियम उत्पाद की कीमत 450 रुपये प्रति 100 ग्राम है. इनकी कंपनी को अबू धाबी स्थित मार्केटिंग कंपनी से 250 कि.ग्रा. का ऑर्डर मिला है. कई अन्य कंपनियां भी अपना ऑर्डर देने के लिए तैयार हैं, लेकिन कच्चा माल एक समस्या है. इस समस्या के समाधान के लिए, कृषि विज्ञान केन्द्र ने कृषि भवन के साथ मिलकर मशरूम उत्पादन के लिए ग्रामीण स्तर पर एक मॉडल समूह-आधारित उत्पादन शुरू किया है. मॉडल मशरूम विलेज 300 से अधिक शिक्षित युवाओं के लिए रोजगार के अवसर भी पैदा करेगा. लालू की इस सफलता को आईसीएआर ने अपनी पत्रिका में विशेष स्थान दिया है. जिसकी मदद से यह आज लाखों लोगों तक पहुंच रहा है.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today